हर प्रोडक्ट केटेगरी में अब काफी फैक्ट्रियां लगने से बेतहाशा भीड़ बढ़ गई है। डिमांड और मार्जिन पर दबाव के बावजूद इतना ज्यादा कैपेसिटी ऐडिशन होना आश्चर्यजनक लगता है। अकेले प्लाइवुड सेक्टर में 2023 के अंत तक लगभग 200 प्रेस शामिल किये जाने की उम्मीद है। डेकोरेटिव लेमिनेट सेक्टर में भी 45 फीसदी सरप्लस कैपेसिटी है, फिर भी नए प्लेयर इस सेगमेंट में उतर रहे हैं। डेकोरेटिव विनियर, डब्ल्यूपीसी, लूवर आदि में भी यही हाल है।
पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ सेगमेंट में भी यही हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में पार्टिकल बोर्ड की क्षमता में तेजी से वृद्धि ने भी जरूरत से ज्यादा सप्लाई की स्थिति पैदा की है, जिससे कीमतों पर दबाव है और कई प्लांट्स को चलाना मुश्किल हो गया है।
हालांकि प्रमुख ओईएम और फर्नीचर उत्पादकों का कहना है कि क्वालिटी बोर्ड की मैन्युफैक्चरिंग अभी भी भारत में पिछड़ा हुआ है। ऐसा ही एमडीएफ में भी हो रहा है जहां भारत अगले 1 साल में मांग की तुलना में लगभग दोगुना कैपेसिटी ऐडिशन करने वाला है, और मुझे लगता है 2024 में प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी रहेगी।
हम देखते हैं कि नए प्लांट लगाने की आपाधापी है क्योंकि भारतीय व्यवसाय अक्सर ऐसा महसूस करता है कि ष्नहीं हुआ तो छूट जाएगाष्। अगली पीढ़ी के लिए भी नंबर और टॉप लाइन वॉल्यूम हासिल करने के लिए कैपेसिटी ऐड करना उनकी प्रार्थमिकता बनती जा रही है।
ओवर सप्लाई का मुख्य कारण कैपेसिटी ऐडिशन से पहले पर्याप्त शोध की कमी है। संगठित प्लेयर आमतौर पर योजना बनाते हैं, अनुसंधान करते हैं और अंत में बाजार में उतरते हैं जबकि अधिकांश असंगठित प्लेयर ऐसा नहीं करते हैं।
मुझे सबसे ज्यादा डर इस बात का है कि अच्छे और प्रशिक्षित लोगों की भारी कमी है। इसके आलावा उत्पाद के सही प्रशिक्षण के माध्यम से रिटेलरों और सेल्स प्रोफेसनल का मार्गदर्शन करना जरूरी है। मुझे लगता है, हमारे इंडस्ट्री के दो सेगमेंट हैं, एक अपने काम को लेकर स्पष्टता रखते हंै, वहीं दूसरा सेगमेंट परिदृश्य को अव्यवस्थित बनाता जा रहा है, और ट्रेड को पीछे करता जा रहा है।
आगे, कंसोलिडेशन होना तय है, खासकर, अगर प्लेयर आँख बंद करके क्षमता जोड़ते रहे तो। बाजार पर करीबी नजर रखते हुए, प्लाई रिपोर्टर, सरफेस रिपोर्टर और फर्नीचर डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी पत्रिकाएं इस अंतर को पाटने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। हमारे सेमिनार, एग्जिविशन, लाइव शो और मासिक पत्रिकाओं के प्रकाशन के साथ हम इस सेक्टर को नाॅलेज ड्रिवेन और संगठित बनाने की पुरी कोशिश कर रहे हैं।
सेल्स प्रोफेशनल्स और टेक्नोक्रेट को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने की जरूरत है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कितना बड़ा प्लांट या इंडस्ट्री लगा रहा है, इंडस्ट्री को विकसित करने के लिए नॉलेज और ट्रेनिंग समय की मांग है, अन्यथा गलत प्रथाओं और खराब प्रोडक्ट क्वालिटी के साथ अनहेल्दी कॉम्पिटिशन इंडियन वुड पैनल डेकोरेटिव और फर्नीचर सेक्टर को परेशान करती रहेगी।
इस दिशा में 18-20 अगस्त के दौरान प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित हो रहे हमारे कई कांफ्रेंस और मेटेसिया एग्जिविशन, जिसमें 450़ एग्जीबिटर्स की मेजबानी करने की उम्मीद है, में शामिल होकर हमारे प्रयासों को सहयोग प्रदान करें।
पढ़ते रहें, प्लाई रिपोर्टर।
प्रगत द्विवेदी
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