21 अक्टूबर 2022 को जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश में वुड बेस्ड इंडस्ट्री के नए लाईसेंस को हरी झंडी दे दी है। माननीय जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस बी वी नगरथना की बेंच ने आज अपने फैसले में उत्तर प्रदेश वन विभाग की ओर से 1 मार्च 2019 में जारी तकरीबन 1300 वुड बेस्ड इंडस्ट्री के नए लाइसेंस को सही पाया है, जिसे साल 2020 में एनजीटी ने रोक लगा दी थी।
यूपी प्लाइवुड मैन्युफैक्चर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री अशोक अग्रवाल ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि इससे प्रदेश में नए उद्योग लगेंगे, और राज्य के विकास में वुड सेक्टर का योगदान ज्यादा होगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश में टिंबर का प्लांटेशन भी बढ़ेगा, और किसानों को प्रदेश में ही टिंबर के अच्छे रेट मिलेंगे।
माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी आने की प्रतीक्षा है, जिसके बाद विस्तार से इस खबर को प्लाई रिपोर्टर प्रकाशित करेगा।
गौरतलब है कि मार्च 2019 में उत्तर प्रदेश वन विभाग ने वुड बेस्ड इंडस्ट्री के 1350 नए लाइसेंस जारी किए थे, जिसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चुनौती दी गई थी। एनजीटी ने वन विभाग को प्रदेश में टिंबर की उपलब्धता और नए लाइसेंस पर रिपोर्ट मांगी और कई सुनवाई के बाद, एनजीटी ने नए लाइसेंस को ख़ारिज कर दिया। बाद में प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन डाला था।