केन्द्रिय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया, जो देश के वन संरक्षण कानून में स्पष्टता लाने और कुछ केटेगरी की भूमि को राष्ट्रीय महत्व की फास्ट-ट्रैक रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी परियोजनाओं के दायरे से बाहर करने का प्रयास है। बिल पेश होने के बाद विधेयक को चर्चा के लिए दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया है। समिति में 19 लोकसभा सदस्य, 10 राज्यसभा सदस्य और दो सदस्य लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
यह अधिनियम भूमि की कुछ केटेगरी को छूट देने का भी प्रस्ताव करता है ताकि राष्ट्रीय महत्व की रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी परियोजनाओं को फास्ट ट्रैक किया जा सके, सार्वजनिक सड़कों और रेलवे के किनारे छोटे प्रतिष्ठानों, बस्तियों तक पहुंच प्रदान की जा सके और गैर नॉन फारेस्ट लैंड में प्लांटेशन को प्रोत्साहित किया जा सके। इस विधेयक में वनों के संरक्षण, उनकी जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की देश की समृद्ध परंपरा को इसके दायरे में शामिल करने के लिए अधिनियम की प्रस्तावना सम्मिलित करने का प्रस्ताव है।
यह अधिनियम के तहत प्रस्तावित छूटों पर विचार करते हुए वन भूमि पर किए गए पेड़ों की कटाई की भरपाई के लिए पेड़ लगाने की शर्त सहित नियम और शर्तें भी तय किया है। यह वन और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए फॉरेस्टरी एक्टिविटी की केटेगरी में और अधिक गतिविधियों को शामिल करने और सरकारी और निजी संस्थाओं के संबंध में अधिनियम के प्रावधानों की अप्लीकेबिलिटी में एकरूपता लाने का प्रयास है।
यह केंद्र सरकार को आदेश द्वारा उन नियमों और शर्तों को निर्दिष्ट करने का भी अधिकार देता है जिनके अधीन कोई भी सर्वेक्षण, जैसे टोही, पूर्वेक्षण, जांच या भूकंपीय सर्वेक्षण सहित अन्वेषण को नॉन फारेस्ट पर्पस के रूप में नहीं माना जाएगा।