मुझे अपने बचपन के वे दिन याद है, जब हम भारत और पाकिस्तान के बीच हॉकी मैचों के कमेंट्री रेडियो पर सुना करते थे। उन मैचों में क्या रोमांच होता था। कोई भी भारतीय हॉकी टीम का मुकाबला नहीं कर सकता था। वास्तव में 1928 और 1980 के बीच, भारत ने हॉकी में 8 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते। और 1980 के बाद, हमने हॉकी में एक भी स्वर्ण पदक नहीं जीता है। 2012 के लंदन ओलंपिक में, भारतीय हॉकी टीम 12वें स्थान पर रही थी।
तो गलत क्या हुआ, जो हम अब नहीं जीतते? खेल के नियमों के अलावा कुछ भी नहीं बदला। 1970 तक हॉकी घास (प्राकृतिक) के मैदान पर खेली जाती थी, लेकिन 1970 के दशक के मध्य में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंटों के लिए सिंथेटिक एस्ट्रोटर्फ प्लेइंग सरफेस को अनिवार्य करने के लिए नियमों में फेरबदल किया। चूंकि ये महंगे मैदान थे, भारत उस पर प्रैक्टिस करने में सक्षम नहीं था, परिणाम स्वरूप हम एक ऐसे खेल में हारने लगे, जहां हम दुनिया में सबसे उत्कृष्ट थे और राज करते थे। 2020 में कई भारतीय कंपनियों और कर्मचारियों को अपने हालत ऐसा प्रतीत हो सकता है, हालांकि स्थिति काफी अलग है। इस बार प्रकृतिक रूप से कोविड की परिस्थिति के चलतेखेल अर्थात नियमों में बदलाव आया है। कोविड ने कई व्यवधान पैदा किये हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इसने खेल के नियमों को बदल दिया है। व्यापार का आकार छोटाहो गया है; कुछ विशेषज्ञ इसे 60 फीसदी मान रहे है यानी लगभग 40 फीसदी की कमी आ गई है।
सबसे ज्यादा नुकसान असंगठित क्षेत्र को हुआ है; दुर्भाग्य से यह वह सेगमेंट है जो जनसंख्या के एक बहुत बड़े हिस्से को रोजगार देता है। हजारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और अधिकांश प्लांट अपनी क्षमता के लगभग आधे पर चल रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या किया जा सकता हैघ् हालत को समझकर सही कदम उठायें या चिंता में सब कुछ खत्म होता देखते रहें। एक बात निश्चित है और जो कभी नहीं बदलताए वो है हमारा बेसिक यानी यूनिवर्सल लॉ
ष्ष्बदलाव प्रकृति का नियम हैंष्ष्। इसलिए हालत को सही तरीके से समझकर सही कदम उठाएं। इसके लिए पांच चीजें जो हम सेल्स के लोगों को समझा सकते हैं वे इस प्रकार हैंः
वास्तविकता को रेखांकित करें और उसे समझें . सबसे अच्छा तरीका यह है कि स्थिति को समझने और उसके साथ चलेंए कोई भी कंपनी चाहे संगठित या असंगठित सेक्टर से हीे क्यों नहींए कोविड के लिए किसी ने तैयारी नहीं की थी या कोई योजना बनाई थीए इसलिए हर क्षेत्र पर इसका प्रभाव बहुत बड़ा है। असंगठित क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और हम सभी इसके कारणों को जानते हैं। हम सभी जानते हैं कि कई कंपनियों में वेतन कटौती हुई है जिसके चलते कई कर्मचारियों ने आश्चर्य और निराश महसूस किया है, लेकिन स्मार्टनेस एक उद्यमी की पहचान होती है और वे किसी भी परेशानी का कारण ढूंढ कर उसका हल निकाल सकते है। प्रमोटरों को अपने स्टेकहोल्डर्स, सप्लायर्स, रिटेलर्स, लेवर, सरकार के वैधानिक दायित्वों और कर्मचारियों सभी के लिए संतुलन बनाकर काम करना पड़ता है।
अपनी काम करने की शैली बदलें - जब 20-20 क्रिकेट का पदार्पण हुआ तो कई प्रतिभाशाली टेस्ट और 50-50 ओवर के प्लेयर्स को अचानक संघर्ष करना पड़ रहा था, तो वे जो अपना खेल नहीं बदल सके, उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। जो लोग अपने खेल को बदल सकते थे और नए कौशल सिख सकते थे, वे बच गए और बढ़ने लगे। वर्तमान स्थिति में बाजार का आकारसिकुड़ गया है और हर प्रमुख ग्राहक पर सभी कंपनियांनजर टिकाएं हंै। विजेता वह है जो ग्राहक के पेनपॉइंट को समझ सकता है और उनके साथ अच्छा संबंध बनाए रख सकता है। नियमित रूप से संपर्क बनाए रखना और सेवाओं का बढ़िया स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हमने अतीत में देखा है कि कभी-कभी सेल्स के कुछ लोग केवल मुट्ठी भर ग्राहकों से मिलते थे, लेकिन आज उन्हें इसे कई गुना बढ़ाना होगा और सामान्य स्तर तक पहुंचने के लिए बहुत सारे ग्राहकों से संपर्क करना होगा। कृपया अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आएं। याद रखें-महत्वपूर्ण यह है कि आपको ग्राहकों तक पहुंचना है, पर उनके पास कई विकल्प हैं।
सबसे पहले बड़े व् महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दें -अधिकांश कंपनियां नकदी के संकट से झूझ रही हैं। सबसे बड़ी वजहों में से एक ओल्ड आउटस्टैंडिंग और स्लो मूविंग स्टॉक हैं। कलेक्शन करने और बिक्री पर ध्यान केंद्रित करें - भले ही आपको कीमतों को लेकर बातचीत करनी पड़े तो अवश्य करें और यह सुनिश्चित करें कि मेटेरियल तत्काल बिकती रहे।
स्मार्ट वर्किंग - आज हर कंपनी कैश फ्लो के लिए संघर्ष कर रही है, कैश इज द किंग। रोटेशन बढ़ने पर
ध्यान दें और अपनी कंपनी के लिए पेमेंट साईकिल में सुधार करें। यह कठिन हो सकता है! लेकिन कल्पना करें कि यदि आप 30 फीसदी तक कैश फ्लो में सुधार कर सकते हैं तो व्यापार दोगुनी गति से वापसी करेगी।
अधिकांश कंपनियां नकदी के संकट से झूझ रही हैं। सबसे बड़ी वजहों में से एक ओल्ड आउटस्टैंडिंग और स्लो मूविंग स्टॉक हैं। कलेक्शन करने और बिक्री पर ध्यान केंद्रित करें - भले ही आपको कीमतों को लेकर बातचीत करनी पड़े तो अवश्य करें और यह सुनिश्चित करें कि मेटेरियल तत्काल बिकती रहे। आज हर कंपनी कैश फ्लो के लिए संघर्ष कर रही है, कैश इज द किंग। रोटेशन बढ़ने पर ध्यान दें और अपनी कंपनी के लिए पेमेंट साईकिल में सुधार करें। यह कठिन हो सकता है! लेकिन कल्पना करें कि यदि आप 30 फीसदी तक कैश फ्लो में सुधार कर सकते हैं तो व्यापार दोगुनी गति से वापसी करेगी।
रिफ्लेक्शनः कुछ साल पहले मैंने ‘‘सेल्फ रिफ्लेक्शन‘‘ के इस सुंदर कला को सीखा, यह एक बहुत ही सरल लेकिन सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। आप एक कागज पर लिख सकते है जो आपने किया, फिर इसे और बेहतर बनाने के लिए आप और क्या कर सकते थे। मेरा विश्वास करें अगर आप खुद के साथ ईमानदार हैं, तो यह जादू की तरह काम करता है। यह कोशिश जरूर करें। (उदाहरण के लिए मैं अपने 20 फीसदी ग्राहकों से नहीं मिला, पर मैंने सेल्फ रिफ्लेक्शन के बाद उन पर ध्यान देना शुरू कर दिया)
लेखक - विकास मारवाहा एक वरिष्ठ सेल्स एंड मार्केटिंग प्रोफेशनल हैं और इस कार्य में उनका तीन दशक का बडा अनुभव है। ये बिल्डिंग मेटेरियल इंडस्ट्री में एक अग्रणी और चिंतनशील व्यक्ति हैं। वर्तमान में ये एवरेस्ट इंडस्ट्रीज लिमिटेड (B&P) में सेल्स एंड मार्केटिंग हेड के रूप में कार्यरत हैं। एक शौक के रूप में ये सेल्स फ्रैटर्निटी और व्यापार के लिए www-freesaletips-com एक ब्लॉग चलाते है। वुड पैनल उद्योग (एमडीएफ बोर्ड) के विस्तार में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके पास MBA की डिग्री है और उन्होंने IIM&C से स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट भी किया है।