प्लाई रिपोर्टर ने 13 जून, 2021 को मूल्य वृद्धि और वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा के लिए इ-कॉन्क्लेव ‘क्या कहता है बाजार!’ का आयोजन किया जिसे ड्यूरियन के सहयोग से आयोजित किया गया और प्लाई रिपोर्टर फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारित किया गया। कॉन्क्लेव के पैनलिस्ट में शामिल थे श्री रितेश सिंघवी, विशाल प्लाई, बेंगलोर; श्री भावेश जैन, जैन टिमप्लाई एलएलपी, चेन्नई; श्री संजय अग्रवाल, साई लेमिनार्ट, हैदराबाद; श्री वालजी पटेल, प्रिंस प्लाई, मुंबई; श्री प्रदीप करनानी, मंगलम डेकॉर, दिल्ली; श्री जितेंद्र साधवानी, साधवानी वुड प्रोडक्ट्स, कोटा; श्री अलय नागोरी, अध्यक्ष, एटीएमए, अहमदाबाद; श्री योगेश बांग, अध्यक्ष, वीपीएमए, नागपुर; श्री संजय अग्रवाल, अध्यक्ष, पीएचटीएबी (प्लाई एंड हार्डवेयर ट्रेड एसोसिएशन ऑफ बिहार); श्री विजय पटेल, अध्यक्ष, आरपीटीए, रायपुर; श्री राजीव पाराशर, संपादक, प्लाई रिपोर्टर और श्री प्रगत दिवेदी, संस्थापक, प्लाई रिपोर्टर।
दूसरी लहर के बाद मांग,आपूर्ति और बाजार के हलचल पर श्री अलय नागोरीः वुड पैनल उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से खुदरा विक्रेताओं को परेशानी हो रही है। दूसरी बात यह है कि सभी जगह मेटेरियल की दिक्क्तें है इसलिए पूरे सप्लाई चेन में वित्तीय संकट है।
श्री वालजी पटेलः मुझे लगता है अगस्त के बाद बाजार में तेजी आएगी। वित्तीय गतिविधियाँ अनियमित हैं इसलिए जिन्हें काम करना है उन्हें व्यवसाय में अपना पैसा लगाना होगा और आगे बढ़ना होगा। जनवरी, फरवरी और मार्च में मुंबई में एक लाख से अधिक फ्लैट बेचे गए थे, इसलिए निश्चित रूप से इंटिरियर वुड पैनल प्रोडक्टस की मांग में बढ़ोतरी होगी।
श्री योगेश बंगः कीमतों में वृद्धि अब एक अंतरराष्ट्रीय मामला है इसलिए कोई भी इसे नियंत्रित नहीं कर सकता है। पहले इस पर चीन से थोडी रोक थी जो अभी नहीं है इसलिए उत्पाद की कीमत बढ़ रही है। निर्माताओं ने भी इसका फायदा उठाया है और छह महीने में उत्पाद की कीमतें 25 से 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है। कच्चे माल की कीमतें अस्थिर होने के कारण तैयार उत्पादों की कीमत भी बार-बार बदलती है और लेन देन प्रभावित हो जाती है। ऐसे हालात में निर्माताओं को भी अपने चैनल पार्टनर्स को सहयोग करना चाहिए।
श्री विजय पटेलः कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी पूरे व्यापार और उद्योग के लिए एक परीक्षा की घडी है। पूरा सप्लाई चेन, निर्माताओं से लेकर खुदरा विक्रेताओं तक, साथ ही साथ चल रही परियोजनाएं बढ़ती लागत के चलते परेशानी का सामना कर रही हैं। मुझे लगता है कीमतें बढ़ने से खुदरा विक्रेताओं को अपने ग्राहकों और परियोजनाओं से बहुत अधिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए ट्रेड और इंडस्ट्री को इसे सप्लाई चेन में सभी के साथ सही बाचचीत कर समझदारी से संभालना चाहिए, क्योंकि अगर निर्माता अचानक कीमत बढ़ाते हैं तो प्रोजेक्ट की देनदारी समाप्त हो जाती है।
श्री प्रदीप करनानीः मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बिक्री पहले की तुलना में काफी बेहतर रहेगी और जुलाई तक मांग अच्छी होगी। कीमत के लिहाज से हर वस्तु चाहे वह खाद्य पदार्थ हो, पेट्रोल हो या कंस्ट्रक्शन मेटेरियल जैसे हमारे उत्पाद सभी महंगे होगए हैं। लेकिन, फिनोल, फॉर्मल्डिहाइड, विनियर और टिम्बर जैस कच्चे माल की कीमतों में तेजी के बावजूद प्लाइवुड की कीमते नहीं बढ़ी। मैं कहूंगा कि कीमत बढ़नी चाहिए लेकिन सही तरीके से धीरे धीरे बढ़नी चाहिए। यह व्यापार में लोगों के कमिटमेंट पूरा करने केलिए एक रोडमैप तैयार करेगा।
श्री जितेंद्र साधवानीः लॉकडाउन खुलने से बाजार से काफी अच्छी मांग आ रही है और सेंटिमेंट काफी सकारात्मक है। रुके हुए परियोजनाओं से नए ऑर्डर आ रहे हैं और पुरानी चल रही परियोजनाएं बेहतर ढंग से काम कर रही हैं क्योंकि इस बार लेबर का रिवर्स माइग्रेशन भी ज्यादा नहीं था। कीमतें बढ़ना तय है लेकिनइसकी सुचना कम से कम 15 दिन पहले देना चाहिए जैसे कि एमडीएफ में हो रहा है। इससे व्यापारियों को अपने कमिटमेंट मैनेज करने और कीमतों की नई सूची के साथ नए ऑर्डर लेने में मदद मिलती है। राजस्थान में सभी काम सहजता से चल रहे थे इसलिए पेमेंट की कोई दिक्कत नहीं था।
श्री संजय अग्रवालः किसी भी सेक्टर के ग्रोथ के लिए बातचीत सबसे महत्वपूर्ण है और इस महामारी में प्लाई रिपोर्टर ने पूरे देश में वुड पैनल उद्योग और व्यापार के लिए यह प्लेटफार्म प्रदान किया है। इसकी मदद से हम अपने कई मुद्दों को सुलझा रहे हैं। बिहार में उद्योग का काम काज सुचारू रूप से चल रहा था और कंपनियों से मेटेरियल की सप्लाई से लेकर खुदरा विक्रेताओं और व्यापारियों के पास स्टॉक के साथ साथ पेमेंट भी आ रहा था। लॉकडाउन खुलने के बाद से ही बाजार में डिमांड में तेजी है। दिक्कत सिर्फ कीमतें बढ़ने का है क्योंकि कुछ महीनों में इसका एक सिस्टम बन गया है, लेकिन उद्योग और उसके स्टेक होल्डर्स उस क्षमता से अपने उत्पादों की कीमत नहीं बढ़ा पाते। इस चेन में बीच में बैठे डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर शॉक आब्जर्वर के रूप में काम करते हैं। मुझे उम्मीद है कि बढ़ती मांग के साथ चीजें सामान्य हो जाएगी।
श्री रितेश सिंघवीः इस बार कंस्ट्रक्शन की गतिविधियां जारी रखने को कही गई थीं, लेकिन लॉकडाउन का फायदा उठाकर कई लोग पेमेंट होल्डिंग भी किये। पर, लॉकडाउन खुलने के बाद उनकी गतिविधियां शुरू हुई तो फंड का फ्लो भी होगा, इसलिए मुझे उम्मीद है कि स्थिति आसान होने के बाद बाजार में तेजी आएगी। खुदरा विक्रेता थोक विक्रेताओं का सहयोग कर रहे हैं और वे बिल्डरों का सहयोग कर रहे हैं और सप्लाई चेन एक दूसरे का सहयोग कर रही है और काम चल रहा है। इस साल मिड-सेगमेंट नॉन ब्रांडेड कंपनियों ने भी वहीं करना शुरू कर दिया है, जो पिछले साल ब्रांडेड कंपनियों ने किया था। इसलिए, सप्लायर्स के रूप में इसे अपनाने की जरूरत है। पेमेंट के मोर्चे पर हमनें 50 से 60 प्रतिशत अतिरिक्त निवेश किये, न कि खुदरा विक्रेताओं से पेमेंट लेकर फैक्ट्रियों के लिए सुविधाजन स्थिति बनाने की कोशिश की। कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर सप्लायर्स पर और परोक्ष रूप से ग्राहकों और खुदरा विक्रेताओं पर पड़ता है। हमें बाजार में क्रेडिट कम करके पेमेंट सिस्टम को नियंत्रण में लाना होगा। बिना क्रेडिट के मार्जिन कम होने का डर निराधार है जैसे ब्रांडेड कंपनियां अपना कलेक्शन कर चुकी हैं और चैनल पार्टनर उनका माल भी उठा रहे हैं।
श्री भावेश जैनः लॉकडाउन के दौरान डिस्पैच हो रहा था पर स्लो था। मुझे उम्मीद है कि कुछ दिनों में यह सामान्य हो जाएगा क्योंकिलॉक डाउन खुलने के बाद हम लोगों के बीच ‘‘इंडिया फाइट बैक‘‘ की भावना महसूस कर सकते हैं।
श्री संजय अग्रवालः सभी का काम चलते रहने के लिए पूरे सप्लाई चेन में सभी को एक दूसरे का साथ देने की जरूरत है। भविष्य में हमें सभी के साथ व्यापारिक शर्तें रखनी होंगी चाहे वह खुदरा विक्रेता हो, थोक व्यापारी हो या कोई भी। कीमतें बढ़ने के मामले में देखा जाए तो यह पूरी दुनिया में अस्थिर है। देखें तो बर्च प्लाई की कीमत 2.4 गुना बढ़ गई है।
पेमेंट का हाल
श्री प्रदीप करनानीः लॉकडाउन खुलने के बाद हमें फिर से खुदरा विक्रेताओं से पेमेंट फ्लो अच्छा मिल रहा है। इस बार हमने केवल अच्छी पार्टियों को लेन देन में शामिल किया, इसलिए हमारे साथ उधारी की ऐसी कोई दिक्कत नहीं है।
श्री विजय पटेलः सभी थोक व्यापारी ने अपना निवेश बढ़ाया है चाहे उनका जमा पूँजी हो या बैंकों से लिया हो। देखा जाए तो पिछले साल से कम से कम 25 फीसदी निवेश बढ़ा है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि थोक विक्रेताओं का खुदरा विक्रेताओं से लेन देन में 99 फीसदी पैसा डूबता नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से देर हो जाती है। श्री वालजी पटेल: लॉकडाउन के कारण हमारा निवेश बढ़ा है। वास्तव में अगर आपको सही पेमेंट नहीं मिल रहा है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें फैक्ट्री मालिकों के साथ बने रहने का अधिकार नहीं है। हमें अपना व्यवसाय चलाने के लिए धन लगाना होगा।
श्री रितेश सिंघवीः हमारे साथ भी यही बात है और हम मैन्युफैक्चरर्स और डीलरों व रिटेलरों, दोनों के साथ एक सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं, इसलिए हमें एक रेखा खींचने की जरूरत है। ऐसी स्थिति में डिस्ट्रीब्यूटर सैंडविच बन जाता है क्योंकि वे खुदरा विक्रेताओं से सहयोग मिले बिना कंपनियों को पेमेंट कर रहे हैं। यह भी सच है वास्तव में डिस्ट्रीब्यूटर एक फाइनेंसर के रूप में ही अस्तित्व में आए थे।
श्री जितेंद्र साधवानीः लॉकडाउन के बाद चर्चा कर खुदरा विक्रेताओं ने पार्टियों को अलग-अलग कैटेगरी में बांट दिया। उसी के अनुसार उनके लिए क्रेडिट रेशियो और प्रॉफिट मार्जिन तय किया गया है। हम पिछले 8 से 10 महीने से ऐसा ही कर रहे हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस लॉकडाउन के बाद किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर कोपेमेंट देने की समस्या थी। इसलिए, यदि आप फिल्टर्ड पार्टियों (कुछ अपवाद को छोड़कर) के साथ चर्चा कर अपनी समस्या को हल करते हैं, तो आपको भविष्य में कोई दिक्कत नहीं होगी।
श्री संजय अग्रवालः अब नई पीढ़ी बिना कोई व्यापारिक या व्यावसायिक पृष्ठभूमि के या अपने अर्जित धन या संपत्ति और अन्य व्यक्तिगत चीजों जैसे कारों और अन्य विलासिता आदि में निवेश किए बिना व्यवसाय में आ गई। वे योजना बनाते हैं लेकिन उसे जल्दी से पूरा नहीं करते हैं और बाजार से आ रही मांग से से सिर्फ रिकवरी पर ध्यान देते हैं और बाकी चीजें पीछे रह गई है।
क्या एक डिस्ट्रीब्यूटर सभी तरह के प्रोडक्ट करना चाहिए! श्री संजय अग्रवालः निश्चित रूप से नहीं, क्योंकि उत्पाद की सीमा अनिवार्य है, ज्यादा उत्पादों के साथ खरीद में परेशानी होगी और कीमतें अनियमित होने की वजह से डिस्ट्रीब्यूशन भी धुंधला पड़ जाएगा। उत्पादों की संख्या कम होने से वे इन दिक्क्तों से बच सकते हैं और सही खरीद के साथ डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी आराम से कर सकते हैं। इसके साथ आफ्टर सेल्स सर्विस भी बरकरार रहेगी।
श्री प्रदीप करनानीः हाँ, वे 5 से ज्यादा उत्पाद कर सकते हैं क्योंकि उनका काम स्टॉक रखना है और सही आफ्टर सेल्स सर्विस देना है। सकारात्मक व सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यापारियों को पता है कि यदि कच्चे माल की कीमत बढ़ रही है तो उत्पाद की कीमतें निश्चित रूप से बढ़ेंगी और परियोजनाओं की रनिंग कॉस्ट भी बढ़ेगी। भारत में उपलब्ध उत्पाद दुनिया भर से सबसे कम कीमत पर उपलब्ध है। अभी भी इंडियन प्लाइवुड, लैमिनेट, पार्टिकल बोर्ड, एमडीएफ भारत में सही कीमतों पर उपलब्ध हैं। इसलिए, ऐसा नहीं है कि निर्माता घटते आयात या चीन से चेकपॉइंट नहीं हैं इसका फायदा उठा रहे हैं ।
निष्कर्ष
निष्कर्ष यह है कि जो पेमेंट करेंगे उनको मटेरियल मिलती रहेगी। कीमतें बढ़नी तय है चाहे इसकी स्वीकृति धीमी हो या तेज। मांग तो थी ही और लॉकडाउन खुलने से इसमें सुधार हो रहा है और उम्मीद है कि जुलाई के अंत तक यह और अच्छी हो जाएगी। चर्चा से यह स्पष्ट है कि मई में औसतन पूरे देश में लगभग 30 प्रतिशत व्यवसाय हुआ और जून में वे 60 फीसदी तथा जुलाई तक 80 फीसदी होने की उम्मीद हैं। पेमेंट आज ज्वलंत मुद्दा हैं और व्यवसाय में बने रहने के लिए पहली प्राथमिकता इसी का इंतजाम करना है। डिस्ट्रीब्यूटर्स को तकलीफ इस बात की है कि खुदरा विक्रेताओं से पेमेंट नहीं हो पा रहा है।
वुड पैनल व्यापार में फिल्ट्रेशन शुरू हो गया है लेकिन प्रक्रिया बहुत आसान नहीं है। खुदरा विक्रेताओं को यह समझना चाहिए कि उन्हें पैसा निवेश करने की जरूरत है, क्योंकि वितरक अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए तीन गुना निवेश करते हैं और उन्हें अधिक मार्जिन की जरूरत होती है क्योंकि उनका निवेश तीन गुना होता है। इसलिए, जो खुदरा विक्रेता बढ़िया मार्जिन के साथ व्यापार करना चाहते हैं, उन्हें पार्टियों से जुडे रहना चाहिए और सेल्स में कम से कम डेढ़ गुना निवेश करना चाहिए।
सतर्क रहें और कोशिश करें कि सूची में डिफॉल्टर पार्टियां न हों। कीमतें बढ़ रही है और यह जारी भी रहेगी क्योंकि अंतररास्ट्रीय स्तर पर ऐसा होने से इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। बाजार में सुधार हो रहा है और आने वाले दिनों में इसमें तेजी आएगी।