पीवीसी की कीमतों में पिछले 3 महीनों में लगातार चौथी बार बढ़ोतरी हुई है। आजकल पीवीसी की कीमतें एक बार फिर, लगभग उसी स्तर पर हैं जब इस साल अप्रैल के अंत में अब तक के उच्चतम बिंदु पर थी। रिलायंस ने 19 अगस्त, 2021 से पीवीसी की कीमतों में 5000 रूपए प्रति टन की बढ़ोतरी की है। उद्योग की ओर से पीवीसी खरीदारों का कहना है कि हाल ही में कुल वृद्धि लगभग 15 रुपये प्रति किलोग्राम रही।
आज पीवीसी की कीमतों के साथ साथ वुड पैनल प्रोडक्ट भी प्रभावित हैं। पीवीसी रेजिन पर आधारित कंपाउंड, वुड प्लास्टिक कम्पोजिट बोर्ड, डोर फ्रेम, पीवीसी एज बैंड टेप और पीवीसी लेमिनेट में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। यहां तक की चारकोल पैनल, डेकोरेटिव पीवीसी शीट और प्रोफाइल जैसे उत्पाद भी इसी के जैसा कम्पोजिट कंपाउंड तथा कैल्शियम कार्बोनेट के मिश्रण से बनाए जाते हैं। पीवीसी के इन सभी उत्पादों की कीमतोंपर इसका जबरदस्त असर पड़ा है, जो वुड पैनल और डेकोरेटिव सरफेस के काउंटरों पर बेचे जाते हैं। भारत में इसकी सप्लाई रिलायंस द्वारा की जाती है जिसकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजारों के अनुरूप होती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस पीवीसी के प्रमुख सप्लायर हैं। पिछले महीने दो बड़े उत्पादकों के प्लांट मेंटेनन्स के चलते बंद होने का असर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर पड़ा और सप्लाई पर दबाव बढ़ गया। पीवीसी की कीमतें तेजी से बढ़ने से छोटे प्लेयर्स के लिए बहुत बड़ी मुश्किल पैदा हो गई, जो पहले से ही लिक्विडिटी और वर्किंग कैपिटल के दबाव में हैं। यह तय है कि यदि तैयार उत्पाद की कीमतें अफोर्डेबिलिटी के अनुसार सस्टेनेबल लेवल पर नहीं आती तो पीवीसी बेस्ड छोटे मैन्युफैक्चरर्स को कच्चे माल हासिल करने की चुनौतियों के साथ-साथ वर्किंग कैपिटल, प्रॉफिटेबिलिटी की दिक्क्तों का सामना करना पड़ेगा।
ऐसे हालात में पीवीसी बोर्ड के निर्माता और पीवीसी एज बैंड टेप के निर्माता सैंडविच हो गए है, इसलिए वे बढ़ी हुई कीमतों को बाजारों में पारित करने की संभावनाओं की तलाश कर रहे है। उम्मीद की जा रही है कि सितंबर में इस सेगमेंट में एक बार फिर नई कीमतों की घोषणा होगी।