मेलामाइन की कीमतों में फिर से उछाल आने के कारण पूरे वुड पैनल और डेकोरेटिव लेमिनेट इंडस्ट्री के लिए एक बार फिर से बुरी खबर है। दरअसल, यह संकट पहले से ही गहरा रहा था, जिसके चलते अब विशेष रूप से लेमिनेट मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री अस्थायी या आंशिक रूप से बंद होने की कगार पर हैं। मेलामाइन की कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव के चलते खर्च बढ़ाने के साथ-साथ घबराहट भी पैदा करते हैं। पहले के आर्डर पाइपलाइन में हैं, और फैक्ट्री मालिकों को मेटेरियल पूरा करने की उनकी प्रतिबद्धता को जहां कच्चे माल की बढ़ती लागत से प्रत्यक्ष नुकसान हो रहा है, वहीं यह स्थिति वास्तव में व्यापार और उद्योगोंमें काफी घबराहट भी पैदा कर रही है। इसी तरह, पिछले साल भी मेलामाइन की कीमतें 130 से बढ़कर 150, फिर 170, 200 हो गईं थी और एक साल के भीतर यह 300 को पार कर गईं थी।
हर दूसरे तीसरे महीने मेलामाइन की कीमतों में उतार चढाव के कारण कई लेमिनेट मैन्युफैक्चरिंग प्लांट काफी परेशानm हैं। यदि स्थिति में सुधार नहीं होती है, तो कुछ कारखाने जरूरत के हिसाब से और कीमतें बढ़ने के कारण मेटेरियल की आपूर्ति बंद करने या रोकने का विकल्प चुन सकते हैं। एचपीएल मैन्युफैक्चरर्स इम्पोर्ट्स से आस लगाए बैठे है,लेकिन अभी सुधार की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। भारत सरकार ने यूरोपीय संघ, जापान, कतर और संयुक्तअरब अमीरात से मेलामाइन के आयात पर एंटी डंपिंग डयूटी लगाया है। मेलामाइन के आयात पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगानेका सरकार के हालिया निर्णय से लेमिनेट सेक्टर के लिए आनेवाला समय और चुनौतीपूर्ण होंगे।
मेलामाइन का उपयोग मेलामाइन फॉर्मल्डिहाइड रेजीन बनाने के लिए किया जाता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से लेमिनेट, प्लाईवुड, एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड आदि के उत्पादन में किया जाता है। मेलामाइन फॉर्मल्डिहाइड रेजिन का उपयोग उत्पाद को अच्छी हार्डनेस, स्क्रैच, स्टेन, वाटर और हीट रेजिस्टेंस बनाने के लिए किया जाता है। प्लाई रिपोर्टर के निष्कर्षों से पता चलता है कि पिछले 4 वर्षों के दौरान डेकोरेटिव लेमिनेट, एमडीएफ, प्लाईवुड और पार्टिकल बोर्ड की उत्पादन क्षमता में बड़े पैमाने पर विस्तार के कारण मेलामाइन की खपत में काफी वृद्धि हुई है।