पर्यावरण मंत्रालय ने वुड बेस्ड इंडस्ट्रीज की संख्या फिक्स करने का लिया निर्णय
बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 29 अगस्त, 2023 को अधिसूचना जारी कर राज्य स्तर पर आरा मिलों की संख्या-3200 तथा कम्पोजिट यूनिटों की संख्या 450 करने का निर्णय किया है. इसके लिए आरा मिलों एवं कम्पोजिट यूनिट्स की वरीयता सूची तैयार कर इसके प्रकाशन की प्रक्रिया का निर्धारण विभाग द्वारा किया जाएगा। इस सन्दर्भ में में समिति का गठन किया गया है। समिति में राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) अध्यक्ष होंगे तथा क्षेत्रीय मुख्य वन सरंक्षक, पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर सदस्य होंगे और निदेशक, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, पटना, सदस्य सचिव होंगे।
आदेश आने के बाद पटना के प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर श्री सोनू अग्रवाल ने बताया कि वे इस निर्णय के आलोक में सरकार से आग्रह करेंगे कि एग्रो वुड बेस्ड इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया जाए। इस तरह का लिमिटेशन और प्रतिबन्ध उद्योग के विकास के लिए ठीक नहीं है। उद्योग को बढ़ावा देने से प्रदेश में एग्रो फॉरेस्टरी भी बढ़ेगी जिससे काफी बड़ी संख्या में रोजगार भी उपलब्ध होंगे। बिहार के लोगों को अपने राज्य में ही रोजगार मिल सकेगा। उन्होंने दुसरे राज्यों जैसे हरियाणा तथा पंजाब के एग्रो फॉरेस्टरी व् वुड बेस्ड इंडस्ट्री मॉडल को भी सरकार के सामने प्रस्तुत करने कि बात कही और सरकार को इसके प्रति अवगत करने तथा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए प्रयाश करने कि बात कही।
ज्ञातव्य है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक, बिहार, पटना द्वारा लाइसेंस प्राप्त आरा मिलों की वरीयता सूची जिला स्तर पर प्रकाशित किया गया है। आदेशानुसार इसी प्रकार प्रत्येक वन प्रमंडल पदाधिकारी के द्वारा प्रधान मुख्य वन सरंक्षक, बिहार द्वारा जारी लाइसेंस प्राप्त आरा मिलों की जिलावार वरीयता सूची के आधार पर वन प्रमंडलवार वरीयता सूची तैयार किया जाएगा। जिन लाइसेंस प्राप्त आरा मिलों का नाम पूर्व में प्रकाशित वरीयता सूची में शामिल नहीं किया गया था, उनका नाम वरीयता सूची में जोड़ा जाएगा।
आरा मिल जिन्हें बिहार काष्ठ चिरान (विनियमन) अधिनियम, 1990 के तहत लाइसेंस जारी किया गया, परन्तु लम्बे अवधि में इन लाइसेंसो का रिन्युअल नहीं किए जाने के कारण लाइसेंस रद्द कर दी गई है उनके नाम को वरीयता सूची में इस शर्त्त के साथ जोड़ा जाएगा कि लाइसेंस के रिन्युअल उपरांत ही आरा मिल का संचालन किया जा सकेगा। इसपर नव गठित समिति द्वारा सुनवाई उपरांत निर्णय लिया जाएगा। निर्णय लेने के उपरांत अंतिम वरीयता सूची का निर्धारण किया जाएगा।
29 अक्टूबर 2002 तक प्राप्त आवेदन जिनपर उच्च न्यायलय द्वारा पारित आदेश को ध्यान में रखकर लाइसेंस जारी नहीं किया जा सका वैसे आरा मीलों की बरियता सूचि अलग से राज्य स्तर पर तैयार की जाएगी। प्रमंडल वार दोनों वरीयता सूचि सम्बंधित वन प्रमंडल अधिकारी द्वारा तैयार किया जाएगा तथा दोनों सूचि पर समिति की स्वीकृति प्राप्त कर इसका औपबंधिक रूप से प्रकाशन करते हुए आवेदन आमंत्रित किया जाएगा। आरा मीलों की आपसी बरियता का निर्धारण लाइसेंस के लिए प्राप्त आवेदन की प्राप्ति की तिथि से की जाएगी।