New Timber in Myanmar, Costly and Uncertain

person access_time3 27 February 2018

भारतीय वुड पैनल मैन्युफैक्चरिंग मुख्य रूप से एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड के लिए चीन के मशीनरी सप्लायर्स पर निर्भर हैं। उद्योगों और खरीदारों के अनुसार जो एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड व् संबंधित क्षेत्र में नए प्लांट लगा रहे हैं, उनके मैन्युफैक्चरिंग लाइनों के आने में देरी हो रही है। जिन्होंने फिनिशिंग लाइनों या पूरी लाइनों और महत्वपूर्ण मशीनों के ऑर्डर दिये हैं वे अब अपनी कर्मषियल प्रोडक्षन की डेटलाइन को बढ़ा रहे हैं क्योंकि मशीनरी की आपूर्ति में देरी है। लोगों का कहना है कि प्रोजेक्ट की बढ़ती समय सीमा ने प्रोजेक्ट कॉस्ट को काफी प्रभावित किया है।

विशेष रूप से गुजरात, केरल और उत्तर भारत में स्थित पार्टिकल बोर्ड व एमडीएफ प्रोजेक्टस में देरी होने की सूचना है। इसका प्रभाव संबंधित पैनल और फर्नीचर सेक्टर पर भी देखा जा रहा है। मशीनों की डिलीवरी में देरी के कारण डब्ल्यूपीसी, एसीपी, पीवीसी एज बैंड और ऐक्रेलिक इंडस्ट्री पर भी असर पड़ने की खबर है। सबसे बड़ी दिक्कत इन मशीनों के इंस्टालेशन में निरंतर यात्रा प्रतिबंधों के कारण चीन के इंजीनियरों की अनुपलब्धता के कारण आ रही है जिससे अब कंपनियों के प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ रही है।

उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि एक अनुमान के अनुसार समय से प्रोजेक्ट नहीं पूरे होने से लागत खर्च में 12-15 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह निश्चित रूप से कोविड की स्थिति का आफ्टर इफेक्ट है। महामारी के खत्म होने के कगार पर होने के बावजूद, मशीनें समय पर नहीं मिल रही हैं और चाइना के इंस्टालेशन इंजीनियर अभी भी अनिश्चितताओं और कोविड के केस बढ़ने के कारण भारत नहीं आ पा रहे हैं। सप्लाई चेन के प्रभावित होने से पे्रस प्लेट और डेकोर पेपर के समय पर उपलब्ध नहीं होने से लेमिनेट उद्योग भी प्रभावित हुआ है।

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