हाई प्रेशर लेमिनेट्स मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्पाद इनपुट कॉस्ट में वृद्धि और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण उत्पादकों के प्रॉफिट मार्जिन घटे हैं। और इसमें सुधार के लिए निर्माताओं को मई-जून में कीमतों में वृद्धि करने को मजबूर होना पड़ सकता हैं। लैमिनेट उत्पादकों का कहना है कि फिनोल की कीमतें पिछले ३ से 4 महीनों से उच्च स्तर पर १०० रूपए से अधिक स्तर पर बनी हैं। पेपर, बेस पेपर, मेलामाइन, फॉर्मल्डिहाइड जैसे अन्य कच्चे माल की दर भी बढ़ी है और नीचे आने की कोई उम्मीद नहीं है।
गुजरात के एक लैमिनेट्स निर्माता ने कहा कि उन्होंने एसोसिएशन से कीमतों में वृद्धि के लिए तत्काल बैठक बुलाने का अनुरोध किया था, लेकिन यदि बैठक नहीं होगा तो हम व्यक्तिगत रूप से कीमत बढ़ाने को मजबूर हो सकते है क्योंकि अब कोई विकल्प नहीं बचा है। स्थिति पर बोलते हुए, माइका निर्माता ने विस्तार से बताया कि क्रेडिट अवधि में वृद्धि, इनपुट लागत में वृद्धि, जीएसटी कर निवेश का प्रभाव और बढ़ती सेल्स और मार्केटिंग कॉस्ट को किसी भी मध्यम सेगमेंट के निर्माता द्वारा इन मूल्य स्तर पर समायोजित नहीं किया जा सकता है। देश के अन्य हिस्सों के उत्पादकों ने भी यही बात कही और मूल्य वृद्धि पर विचार करने के लिए सभी ्रनिर्माता इसका समर्थन कर रहे हैं।
यह विदित है कि भारतीय एचपीएल मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर सप्लाई बढ़ने के कारण परेशानी में है क्योंकि पिछले 7 वर्षों से प्रति वर्ष औसतन २५ लाख शीट तक की क्षमता वृद्धि हुई है। एचपीएल सेगमेंट में बढ़ती विनिर्माण क्षमता के साथ बाजार में विस्तार नहीं हो रहा है जिसके परिणामस्वरूप वैल्यू एडेड आइटम की बिक्री में कमी आई है।
ओवरसप्लाई के चलते उत्पादक बाजार में बने रहने के लिए कम मोटाई के मेटेरियल की पेशकश करने को मजबूर हंै इसलिए 0.८ और 0.90 मिमी लैमिनेट की मांग बढ़ रही है। कच्चे माल की ऊंची लागत लैमिनेट्स उत्पादकों के लिए आगे एक मुश्किल पैदा कर रही है। अगर कीमतों में सुधार नहीं हुआ तो एचपीएल उत्पादकों के लिए यह कठिन समय होगा।