जून के महीने में पोपलर और एक्यूलिप्ट्स की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। जून से शुरू हुए इस रूझान के चलते निर्माताओं ने पोपलर और एक्यूलिप्ट्स लॉग की स्टॉकिंग शुरू कर दी। मांग बढ़ने से सप्लाई में तेजी आई और पोपलर के रेट में 150 से 170 रु और एक्यूलिप्टस में 75 से 90 रु प्रति क्विंटल बढ़ गई। समाचार लिखे जाने तक लॉग की कीमतें नॉनस्टॉप बढ़ रही है जिसके चलते कोर विनियर की कीमत 20 प्रतिशत तक बढ़ी है।
टिम्बर की कीमतों ने पूरे प्लाइवुड उद्योग को प्रभावित किया हैे। हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड में निर्माता 7-8 प्रतिशत के बीच की कीमत में वृद्धि पर विचार कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यमुनानगर और पंजाब स्थित मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स अधिक प्रभावित हैं क्योंकि कई नए निर्माता स्टॉक खरीदने के लिए ज्यादा कीमत भुगतान कर भी टिम्बर की खरीद कर रहे हैं। पुराने प्लाइवुड निर्माताओं का मानना है कि नए प्लेयर्स अनावश्यक रूप से घबराए हुए हैं जिनके चलते लॉग की कीमतों में अवांछित वृद्धि हो रही है। अनुमान है कि कोर विनियर की लागत सिर्फ एक महीने में 22-24 प्रतिशत बढ़ी है।
एआईपीएमए के अध्यक्ष श्री देवेंद्र चावला का कहना है कि लकड़ी की ऊंची कीमतें हमारी मैन्यूफैक्चरिंग इनपुट कॉस्ट को बढ़ाती हैं, नतीजतन प्लाई-बोर्ड की कीमतों में वृद्धि की जानी चाहिए। दूसरी तरफ, इससे किसानों को अपनी फसलों की अच्छी कीमत मिल सकती है, जो भविष्य में उन्हें और अधिक प्लांटेशन करने के लिए प्रेरित करेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले महीनों में लकड़ी की कीमतें और मजबूत होने की उम्मीद है क्योंकि श्रमिकों की वापसी से पंजाब और हरियाणा में उत्पादन के घंटे बढने के कारण लकड़ी की खपत बढ़ सकती है। ऐसी रिपोर्ट भी हैं कि 75 और नए प्रेस के इंस्टालेशन के चलते, लकड़ी की कीमतें आगे भी बढ़ती रहेंगी। श्रमिक अप्रैल के महीने में अपने गांव चले गए थे, और लेबर की कमी के कारण उत्तर भारत में उत्पादन 50 प्रतिशत गिर गया था।
नये प्लांट, क्षमता वृद्धि और लगभग हर कारखाने में नई मशीनों के इंस्टालेशन के चलते प्लाइवुड की आपूर्ति में उछाल आने वाली है, लेकिन टिम्बर प्राइस में वृद्धि के चलते यह उछाल बढे दामों के बावजूद होगी। 2018 जनवरी के अंक में प्लाई रिपोर्टर द्वारा की गई भविष्यवाणी सच हो रही है, जिसमें इस साल के मध्य तक लकड़ी की उंची कीमतों के बारे में लिखा गया था।