ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सहयोग से प्लाई रिपोर्टर द्वारा ‘नए फेस विनियर की बाजार स्वीकृति और प्लाईवुड इंडस्ट्री के भविष्य’ पर एक दिवसीय सेमिनार जालंधर में आयोजित किया गया, जिसमें 100 से अधिक प्लाइवुड निर्माताओं ने भाग लिया।
‘ओकूमे की बाजार स्वीकृति और इसकी आवश्यकता‘ पर लगातार तीन ‘टॉक ऑफ द टाउन‘ सीरीज सेमिनार के सफल आयोजन के बाद, प्लाई रिपोर्टर ने 9 जून 2018 को ग्रीनप्लाई के सहयोग से पंजाब के जालंधर में चैथा सेमिनार आयोजित किया। श्री प्रगत द्विवेदी ने सभा को सम्बोधित करते हुए उद्योग के प्रतिष्ठित लोगों का स्वागत किया और सेमिनार के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम को प्लाई रिपोर्टर के प्रबंध संपादक,श्री राजीव पराशर ने संचालित किया।
उपस्थित जनसभा को संबोधित करते हुए श्री प्रगत द्विवेदी ने कहा कि लोग गर्जन फेस का विकल्प चाहते हैं लेकिन वे डरते हैं क्योंकि डीलर अभी भी गर्जन फेस पर ध्यान केंद्रित कर रहे है। उन्होंने इस पहल पर चर्चा करते हुए पूरे देश में चल रहे सेमिनार की श्रृंखला के उद्देश्य के बारे में बताया। इस विषय पर रिसर्च के दौरान उद्योग के लोगों की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि ओकूमे को छोड़कर गर्जन और अन्य प्रजातियों के फेस की उपलब्धता नहीं है जो निर्माताओं के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि ग्रीनप्लाई हमेशा तैयार है और उद्योग द्वारा इस विधि (ओकूमे के सही उपयोग की विधि को और शोध जो उन्होंने किया है) को सीखाने का विकल्प खुला है। उन्होंने गर्जन के विकल्प के रूप में प्लाई बोड के लिए लागत प्रभावी और बेहतर समाधान हासिल किया है। अगर वे ओकूमे पर अपने कुल प्लाई-बोर्ड ऑपरेषन को स्थानांतरित कर सकते हैं और बहुत बड़ी बचत कर सकते हैं, तो इसके साथ हर कोई लाभ उठा सकता है। उन्होंने कहा कि प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग में गर्जन फेस का इनपुट कॉस्ट आज लगभग 22 फीसदी है, लेकिन ओकूमे फेस की लागत अधिक से अधिक 6 से 8 प्रतिशत है। एक अलग टिकाऊ फेस अपनाने के कारण इस बड़ी बचत को उद्योग के अन्य क्षेत्र में निवेश किया जा सकता है। उद्योग के सभी प्लेयर्स को एक साथ आगे आने से उद्योग को कई तरीकों से इसका लाभ होगा।
इस उद्देश्य के साथ हमने यमुनागर, बरेली, कोचीन और अब जालंधर में इस सेमिनार का आयोजन किया है, क्योंकि यदि उद्योग एकजुट हो जाता है तो और अधिक लाभ हो सकता है।
एआईपीएमए के अध्यक्ष श्री नरेश तिवारी ने उद्योग के प्लेयर्स के बीच ज्ञान और जागरूकता फैलाने की पहल के लिए प्लाई रिपोर्टर और ग्रीनप्लाई को दिल से बधाई दी। जागरूकता से उद्योग के प्लेयर्स ओकूमे की लागत प्रभावशीलता और टिकाऊ उपलब्धता के चलते लाभ उठा सकते हैं। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ओकूमे गर्जन का एक विकल्प है। जब हम पहली बार वर्ष 2002 में उद्योग में आए, उस समय लोग बात करते थे कि यह प्लाइवुड उद्योग का भविष्य है। उस समय यह लागू नहीं हुआ क्योंकि गर्जन की उपलब्धता काफी थी। अब जब इंडोनेशिया, मलेशिया और कई अन्य गर्जन समृद्ध देशों में इसकी कोई उपलब्धता नहीं है तो इसके महत्व का पता चला। आज ग्रीनप्लाई की तकनीकी टीम ने ओकूमे फेस को गर्जन जैसे बनाने के लिए एक समाधान का इजाद किया है। आपको अवगत होना चाहिए कि आईसीडी (अंतर्देशीय कंटेनर डिपो) लुधियाना और दिल्ली में ओकूमे आयात प्रति माह 60 से अधिक कंटेनर तक पहुंच गया है। इसका मुख्य कारण गर्जन और अन्य फेस की उपलब्धता की कमी है और जो भी उपलब्ध है, उसकी गुणवत्ता कम है। उन्होंने आगे कहा कि टीम प्लाई रिपोर्टर और ग्रीनप्लाई ने निर्माताओं को इस बिंदु पर लागों को व्यवस्थित करने के लिए सराहनीय प्रयास किए हैं, यदि उन्होंने इस प्रयास में अग्रणी डीलरों और थोक विक्रेताओं को शामिल किया होता, तो सफलता की दर शुरुआत से 100 प्रतिशत होती। हमने उद्योग के लोगों के बीच बात करते हुए पाया कि वे अभी भी ओकूमे का उपयोग करने में संकोच कर रहे हैं। ग्रीनप्लाई का यह मिशन है कि उद्योग के लोग इसे सीखे, जैसा कि उद्योग में वे शुरुआत से ही इस संबंध में सराहनीय प्रयास भी कर रहे हैं।
उन्होंने निर्माताओं को चेतावनी दी कि 18 एमएम प्लाई बोर्ड को एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनका उत्पादन बड़ा है और प्लाई बोर्ड की दर नीचे नहीं जा रही है, लेकिन अन्य उत्पाद की दरें तेजी से नीचे जा रही हैं, अंततः एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड का प्रभाव प्लाइवुड उत्पादन पर पडेगा। और उस समय किसी भी अन्य विकल्प के नहीं होने से निर्माताओं को ओकूमे का उपयोग करना होगा।
उपस्थित प्लाइवुड उत्पादकों को संबोधित करते हुए, पीपीएमए के चेयरमैन श्री अशोक जुनेजा इस इकोनोमिकल फेस विनियर के विकल्प के रूप में उपयोग करने के लिए और ऐसे जागरूकता कार्यक्रम जो भविष्य में उद्योग और व्यापार की मदद करेगी, के लिए प्लाई रिपोर्टर और ग्रीन प्लाई के प्रयासों की सराहना की।
उपस्थित जान समूह को संबोधित करते हुए श्री सानिध्य मित्तल ने यह सुनिश्चित किया कि ग्रीन प्लाई अपने प्लाई, बोर्ड और दरवाजों की पूरी श्रृंखला पर ओकूमे का उपयोग कर रही है और यह बाजार में अच्छी तरह से स्वीकार्य है। ओकूमे फेस का उपयोग करने की कोई गुणवत्ता संबंधित समस्या नहीं है और यह सस्ती कीमत के साथ बाजार में स्थायी रूप से उपलब्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापारियों, आर्किटेक्ट्स और उपयोगकर्ता, ओकूमे प्लाइवुड का उपयोग करने में संकोच नहीं कर रहे हैं, इसलिए हर किसी को ठीक से उपयोग करना शुरू करना चाहिए क्योंकि इससे आपके पैसे की बचत होगी और अपना अस्तित्व बचाने में मदद मिलेगी।
ग्रीनप्लाई की तकनीकी टीम से श्री प्रवीण चैधरी ने कहा कि ओकूमे सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि इसकी विशेषता यह है कि यह बढ़िया तरीके से कलर एक्सेप्ट करता है। यह गुलाबी लाल रंग में आता है और सफेद रंग में कुछ हिस्सा होता है, जिसे गर्जन के रंग या मनचाहा रंग प्राप्त करने के लिए आसानी से ट्रीट किया जा सकता है। ओकूमे का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह कानूनी रूप से उपलब्ध कराया जाता है और भविष्य में अनुपलब्धता की कोई समस्या नहीं है। दूसरी तरफ लाओस, इंडोनेशिया और मलेशिया से आपूर्ति में हमेशा संदेह रहता है। इसके अलावा दूसरा लाभ इसमें तेल नहीं है जबकि गर्जन में तापमान बढ़ने के साथ (आमतौर पर गर्मियों के मौसम में) तेल छोड़ता है और उत्पाद में धुंधली पैच की समस्या को बढ़ाता है। तेल मुक्त होने के कारण ओकूमे का अच्छी तरह से भंडाराण किया जा सकता है। पानी के प्रतिरोधी होने की गुणवत्ता के चलते 100 फीसदी ओकूमे फेस से अच्छी गुणवत्ता वाले प्लाई बोर्ड बनाया जाता है। ओकूमे बोरर और टरमाइट फ्री भी है। इसमें रंग भिन्नता से संबंधित कुछ समस्याएं हैं जिन्हें ग्रीनप्लाई की रिसर्च टीम द्वारा हल किया गया है और उसके बाद ग्रीनप्लाई ने इस परीक्षण पर अपना पूरा ऑपरेशन स्थानांतरित कर दिया है जो बाजार में अच्छी तरह से स्वीकार्य है अच्छी बिक्री हासिल की है। इसका इनपुट कॉस्ट कम है जिसमें ओकूमे फेस प्लाई बोर्ड की अच्छी उपलब्धता है।
ग्रीनप्लाई के एक अन्य तकनीकी जानकार श्री गिरीष शर्मा ने डिप्पिंग और डाईंग विधियों के बारे में जानकारी दी और डिप्पिंग के बाद पैच को खत्म करने और रंग की एकरूपता को प्राप्त करने के लिए अपने सोलुशन की पेशकश की। ओकूमे में तीन ग्रेड सी, डी और डी 2 है। डी 2 में बड़े गाठ और कलर वैरिएशन होता है जिसके चलते इसका अलग से उपयोग किया जाता है। लेकिन सी और डी प्लाई बोर्ड के लिए है जिसमें 20 प्रतिशत फेस सफेद रंग का होता है जो डिप्पिंग के बाद इसके रंग में ज्यादा बदलाव नहीं दिखाता है। लेकिन, इस समस्या को सुलझाने के लिए हमने व्यापक आरएंडडी के बाद एक डाईंग साॅलूशन इजाद किया है। ग्रीनप्लाई की तकनीकी टीम द्वारा दिए गए डाईंग साॅलूशन के लिए फॉर्मूलेशन के साथ ब्राउन पिग्मेंटेशन का उपयोग किया जाता है। श्री गिरीश ने कहा कि हमने ग्लू की विस्कॉसिटी बढ़ाई ताकि ओकूमे फेस की सतह को भरा जा सके और इसे गर्जन के समान कलर जैसा बनाया जा सके। उन्होंने वीडियो के माध्यम से डाईंग और डिप्पिंग प्रोसेस की व्यावहारिक प्रस्तुति भी दी और शहर में कई विनिर्माण इकाइयों में व्यावहारिक संचालन करने का वादा किया ताकि उद्योग के अन्य इकाइयों को भी अनुभव प्राप्त हो।
प्लाई रिपोर्टर के संस्थापक संपादक, श्री प्रगत द्विवेदी, ने विषय पर पैनल चर्चा को मॉडरेट किया, जिसमें श्री नरेश तिवारी, ग्रीनप्लाई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री सानिघ्य मित्तल, विधाता इंडस्ट्रीज के श्री विशाल जुनेजा, गोल्डन प्लाइवुड के श्री लकी, ग्रीनप्लाई से श्री प्रवीण चैधरी (गेबॉन ऑपरेशन) ने भाग लिया। उद्योग के लोगों ने गुणवत्ता, स्थायित्व, ग्रेडिंग और ओकूमे फेस विनियर की उपलब्धता के बारे में पूछताछ की, जिसे श्री मित्तल और श्री चैधरी ने अच्छी तरह उत्तर दिया। पीपीएमए के अध्यक्ष श्री इंद्रजीत सिंह सोहल ने सभी निर्माताओं को सेमिनार में भाग लेने के लिए और उद्योग के भविष्य के लिए सेमिनार आयोजित करने के लिए ग्रीनप्लाई और प्लाई रिपोर्टर को धन्यवाद दिया।