घरेलू पीवीसी माइका और एजबैंड टेप उत्पादकों को रूपए के मुकाबले मजबूत डॉलर से कुछ राहत महसूस हो रही है। विशेष रूप से पीवीसी और एज बैंड केटेगरी में आयातित उत्पादों द्वारा इस केटेगरी का बड़ा प्रभुत्व है, इसलिए इम्पोर्ट सप्लाई के कीमत में वृद्धि हुई है।
उत्तर भारत स्थित एक पीवीसी एज बैंड टेप उत्पादक ने प्लाई रिपोर्टर को बताया कि खुदरा बाजार में चीन से सस्ते आयात के चलते उन्हें 0.4 से 0.8 मिमी थिकनेस केटेगरी में कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, लेकिन हाल ही में डॉलर के मुकाबले रुपया के कमजोर होने से उन्हें कीमत में अंतर कम होने के कारण अपने बाजार हिस्सेदारी हासिल करने का मौका मिलेगा। पिछले 3-4 सालों से भारत में पीवीसी एज बैंड टेप का खुदरा बाजार सबसे तेजी से बढ़ा है, जिसने भारतीय उद्यमियों को मैन्यूफैक्चरिंग में प्रवेश करने का एक आईडिया दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप भारत में 12 से अधिक यूनिट स्थापित हुई हैं, और मौजूदा इकाइयां और अधिक लाइन जोड़ कर अपनी क्षमता को दोगुना कर रही हैं।
पीवीसी माइका उत्पादकों को भी डॉलर की मजबूती के चलते अपने बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि का बेहतर मौका मिलने की उम्मीद है। वर्तमान में प्रमुख बाजार हिस्सेदारी आयातित पीवीसी माइका सेगमेंट के पास है जिसका भारतीय बाजार की मांग का करीब आधा हिस्सा है। भारतीय फर्मों से उत्पादित 25 पीवीसी ब्रांडों के साथ, भारतीय पीवीसी लैमिनेट बाजार हर महीने 4.5 लाख शीट तक पहुंच गया है।
मुंबई, पुणे, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और बैंगलोर के प्रमुख आयातकों का कहना है कि ‘पिछले वर्ष की तुलना में पीवीसी लैमिनेट्स का आयात बेहतर गुणवत्ता पूर्ण मेटेरियल में वृद्धि के कारण बढ़ गया है।‘ दिन व दिन पीवीसी लैमिनेट्स के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, यही कारण है कि विभिन्न लैमिनेट कंपनियां हर महीने पीवीसी लैमिनेट फोल्डर्स लॉन्च कर रही हैं। लेकिन, आयातक डॉलर की मजबूती के कारण चिंतित हैं, और उनका कहना है कि वर्तमान हालात में इस लागत को बाजार में पारित करना होगा।