पिछले साल थोड़ी गिरावट के बाद वित्त वर्ष 2018 में सॉ टिम्बर के आयात में बड़ी वृद्धि देखी गई है। डीजीसीआईएंडएस की रिपोर्ट से प्राप्त आंकड़ों से संकेत मिलता है कि सॉ टिम्बर का आयात 800 करोड़ रुपये बढ़कर (44 फीसदी की वृद्धि) 2017-18 में 2615.14 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले साल 1805.54 करोड़ रुपये था। यह विदित है कि 2014-15 के बाद से भारत के बाजार में सॉ टिम्बर के आयात में बढ़त की प्रवृत्ति देखी गई है, और आयात मूल्य लगभग दोगुना हो गया है। आंकड़े भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग और फर्नीचर क्षेत्र में आयातित सॉ टिम्बर की मांग की बढ़ती संभावना को दर्शाता है। प्लाई रिपोर्टर के सर्वे में पाया गया है कि दक्षिण भारत में आयातित सॉ टिम्बर की अच्छी खपत है, और व्यापारियों ने इसकी अच्छी सॉइंग की गुणवत्ता के कारण आयातित सॉ टिम्बर का वकालत करते है। हार्डवुड सॉन टिम्बर मलेशिया, वियतनाम, म्यांमार, अमेरिका और अफ्रीकी देशों से आयात किये जाते है, जबकि सॉफ्टवुड सॉ टिम्बर कनाडा, यूरोप, और अमेरिकी देशों से भेजा जाता है। सॉ टिम्बर का आयात तेजी से बढ़ रहा है लेकिन पिछले साल की तुलना में लॉग आयात में वृद्धि दर्ज की गई है और आंकड़ों के अनुसार लॉग आयात 6.6 प्रतिशत (रुपये में मूल्य) बढ़ा है।
इस साल वर्ष 2016-17 की तुलना में में लॉग का आयात 500 करोड़ रुपये तक बढ़ गया और क्रमशः 7800.99 करोड़ रुपये से 8314.76 करोड़ रुपये हो गया। पिछले साल की वृद्धि को छोड़कर, पिछले 5 वर्षों से लॉग आयात साल दर साल घटा है क्योंकि यह 2013-14, 2014-15 और 2015-16 में क्रमशः 12151.13 करोड़ रुपये, 11489.23 करोड़ रुपये और 9730.34 करोड़ रुपये था। वुड लॉग के आयात में वृद्धि भारत में लकड़ी के उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण है। गांधीधाम स्थित इकाइयां आयातित वुड प्रोसेसिंग का सबसे बड़ा समूह है, जो भारत में कुल लॉग आयात का 60 फीसदी लेता है।