वर्ष २०१८ के दौरान देश में एमडीएफ में एक विशाल क्षमता वृद्धि हुई है जो अभी तक बाजार में खपत होना बाकी है। बढ़ती वॉल्यूम के बीच, उत्तराखंड में एक और एमडीएफ मैन्यूफैक्चरिंग इकाई कमीशन की जा रही है क्योंकि दिल्ली स्थित ई3 ग्रुप को काशीपुर इलाके में 350 घन मीटर प्रति दिन क्षमता का एक प्लांट स्थापित करने के लिए लाइसेंस मिला है। कंपनी कोंटि-रोल मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस लाइन के लिए चीन स्थित चाइना फोम को मशीनरी के आर्डर कन्फर्म किया है, जो 2 मिमी से 35 मिमी मोटाई के एमडीएफ बोर्डं का उत्पादन करेगी। कंपनी का कहना है कि यह इकाई अगले वर्ष तक कमर्शियल उत्पादन शुरू करेगी।
ई3 ग्रुप पहले से ही एज बैंड टेप, एल्यूमिनियम कंपोजिट पैनल, पीवीसी माइका और पीवीसी बोर्डं की मैन्यूफैक्चरिंग कर रही है। समूह के विकास में लोग शुरू से ही कड़ी मेहनत और संयुक्त कार्य शैली के साथ बढ़े हैं, उन्होंने ई3 को एक ऐसे ब्रांड के रूप में स्थापित किया है जो विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है। भीड़ भाड़ वाले एमडीएफ सेगमेंट पर बोलते हुए, श्री संजय गर्ग कहते हैं कि पैनल उत्पादों की बिक्री और मार्केटिंग के लिए हमारी टीम ताकतवर है इसलिए हमारी उत्पादन क्षमता बेचने में ई3 ग्रुप के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि भविष्य में एमडीएफ की कीमत सस्ते प्लाइवुड की कीमतों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी और इस प्रकार लंबे समय बाद प्लाइवुड का शेयर ले लेंगे। ई3 ग्रुप अपने पूरे उत्पादन को अपने नेटवर्क के भीतर ही बेचने में सक्षम है।
यह उल्लेखनीय है कि उत्तरखंड भारत में एमडीएफ बोर्ड का एक प्रमुख उत्पादक है, जहां बालाजी एक्शन बिल्डवेल, ग्रीनपैनल इंडस्ट्रीज और शिरडी इंडस्ट्रीज जैसे 3 मैन्यूफैक्चरिंग संस्थान, राज्य में अपने ऑपरेशन को सफलतापूर्वक चला रहे हैं. जो भारत की मांग का लगभग 60 फीसदी योगदान देते हैं। राज्य में 2200 घन मीटर प्रति दिन स्थापित एमडीएफ उत्पादन क्षमता है, बालाजी एक्शन बिल्डवेल अकेले का 1450 क्यूबिक मीटर प्रति दिन क्षमता है जिसमें तीन मैन्यूफैक्चरिंग लाइनें हैं जिनमें एक आधुनिक और हाई कैपेसिटी यूरोपीय लाइन भी शामिल है। प्लाई रिपोर्टर का अध्ययन और नियमित सर्वे बताता है कि एमडीएफ पिछले 4 वर्षों के दौरान सबसे तेजी से बढ़ता वुड पैनल उत्पाद है, और सालाना औसतन 20 फीसदी दर से इसकी मांग लगातार बढ़ रही है क्योंकि रेडीमेड फर्नीचर मैन्यूफैक्चरिंग में वृद्धि और बाजार में जागरूकता बढ़ने के कारण इसका अप्लीकेशन बढ़ा है।