बाढ़ के कारण बुरी तरह प्रभावित और तबाह हुई केरल प्लाइवुड इंडस्ट्री अब धीरे-धीरे वापस पटरी पर लौटने लगी है। बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित पेरंबवूर की प्लाइवुड इकाइयों और फैक्ट्रियों को उद्यमी दोबारा पुराना स्वरूप देने में जुटे हुए है। उद्यमी अपने सयंत्रों में मषीनों समेत अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना और मरम्मत कार्यों में लग हुए है लेकिन इस प्राकृतिक आपदा की बुरी यादों के कारण कुछ उद्यमियों का साहस अब भी डगमगा रहा है और उनमें भय व अनिश्चितता का माहौल अब भी बना हुआ है। बाढ़ के कारण यहां की 55-60 प्लाइवुड इकाईयां तबाह हो गयी थी और केरल की प्लाइवुड इंडस्ट्री को लगभग 350 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा था। प्लाइवुड उद्यमियों द्वारा अपने कारखानों और कारोबार को दोबारा जीवित करने के लिये बैंकों और निजी वित्तीय फर्मों से लोन लिया जा रहा है।
प्लाई रिपोर्टर के स्थानीय संवाददाता के मुताबिक यहां बाढ़ से प्रभावित लगभग 80 प्रतिशत फैक्ट्रियों का संचालन दोबारा शुरू हो चुका है लेकिन कमजोर मांग के कारण प्रोडक्शन की गति काफी धीमी है। पेरंबवूर में स्थित आशिक टिंबर एंड प्लाईवुड कंपनी के मालिक आशिक ने प्लाई रिपोर्टर संवाददाता से बातचीत में कहा कि बाढ़ के कारण जो हालात पैदा हुए थे उनको देखते हुए तब कल्पना कर पाना मुश्किल था कि क्षतिग्रस्त फैक्ट्रियां फिर कभी आबाद भी हो सकेंगी। उन्होंने कहा कि लगभग 50-60 कंपनिया बाढ़ के कारण तब पूरी तरह तबाह हो गयी थी। सेमुअल प्लाईवुड फैक्ट्री के मालिक के. वी. सेमुअल ने प्लाई रिपोर्टर से बातचीत में कहा कि यहां प्लाइवुड कारोबार को पटरी पर आने में अभी और समय लग सकता है। बाढ प्रभावित कंपनियों की मदद को लेकर सरकार के रूख से नाराज सेमुअल का कहना है कारोबारियों ने अकेले अपने बूते पर अपने उद्यम दोबारा षुरु करने के प्रयास किये।
अंजू मैच एंड प्लाइवुड कंपनी के मालिक के. के. उपेन्द्रन ने काफी निराशा जताते हुए कहा कि बाढ़ प्रभावित कंपनियों को सरकार ने किसी तरह की मदद मुहैया नहीं कराई। सभी कारोबारियों ने खुद किसी तरह लोन लिया और अब वे अपने कारोबार को दोबारा खड़ा करने के प्रयास में जुटे हुए है। उन्होंने लेबरों की कमी का गंभीर मुद्दा उठाते हुए कहा कि यहां अधिकतर लेबर असम से आते है और अभी तक पूरे लेबर अपने घरों से वापस नहीं लौटे है। स्थानीय प्लाइवुड एसोसिएशन के संयुक्त सचिव अमित कुमार का कहना है कि हम सरकार से बाढ़ प्रभावित कंपनियों के लिये ब्याज मुक्त लोन देने की मांग कर रहे है लेकिन सरकार का रूख अभी तक साफ नहीं है।