प्रोजेक्ट की मांग के बल पर संचालित होने के बावजूद डब्ल्यूपीसी/ पीवीसी की मांग स्थिर है। डीलर/वितरक का फोकस वापस प्लाइवुड पर चला गया हैं, और पीवीसी बोर्ड सेकंडरी मार्केट से संचालित होने वाल उत्पाद बन गया है। इसी बीच पीवीसी डोर फ्रेम और पीवीसी लैमिनेट की मांग बढ़ रही है लेकिन फोम बोर्ड बाजार को निर्माता की दूरदृष्टि के अभाव में संघर्ष करना पड रहा है।
वर्ष 2016-2017 डब्लूपीसी/पीवीसी फोम बोर्ड मैन्यूफैक्चरिंग के लिए अच्छा साबित हुआ था। उस दौरान इसके सभी स्टेक होल्डर जैसे मशीन सप्लायर्स, मैन्यूफक्चरर्स, ट्रेडर्स, केमिकल सप्लायर्स के साथ साथ उपयोगकर्ताओं में भी काफी उत्साह था। यह एक चमत्कारित उत्पाद माना जाने लगा, जिसमें टरमाइट/बोरर से प्रभावित भारत में, इसे लड़ने की क्षमता वाला प्रोडक्ट माना जाने लगा और अंततः फर्नीचर बनाने के लिए यह प्लाइवुड के विकल्प के रूप में बाजार में उतारा गया। पीवीसी के आने से प्लाइवुड निर्माता भी सतर्क हो गए और उनमंे से कई इसकी मैन्यूफैक्चरिंग में प्रवेश किए। यहां तक की बड़े प्लाइवुड ब्रांड जैसे ग्रीनप्लाई, सेंचुरीप्लाई ने भी अपने पोर्टफोलियो में इसे शामिल कर लिया। रिलायंस, सिंटेक्स जैसे ब्रांड ने भी इस केटेगरी में अपने पैर पसारे। इसके अलावा पुराने और स्थापित प्लेयर्स जैसे जैन इरिगेशन, इकॉन ने भी भारतीय बाजार में संभावनाएं तलाशने लगे जो पहले निर्यात पर ध्यान केंद्रित किये हुए थे।
धीरे धीरे 2018 आया और भारत का डब्ल्यूपीसी/पीवीसी फोम बोर्ड ठंढा पड़ने लगा। 100 से अधिक मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां होने के बावजूद पीवीसी बोर्ड का बाजार स्थिर प्रतीत हो रहा है। इसका कारण निम्न गुणवत्ता वाले मेटेरियल की बाढ के साथ ही, इसके डीलरों/वितरकों के मार्जिन में गिरावट होना, जिससे इस प्रोडक्ट अपनी रुचि खोना शुरू कर दिया। क्वालिटी संबंधी शिकायतों की बढ़ती संख्या के चलते डीलरों का रूझान घट रहा है, और वे अब उत्पाद की धीमी बिक्री की वजह से कंपनियों से लंबी अवधि का क्रेडिट मांग रहे हैं। उपयोगकर्ताओं को भी गुणवत्ता की गारंटी को लेकर आपूर्तिकर्ताओं से कोई वादा और विश्वास नहीं दिलाई जाती क्योंकि इस उत्पाद में बीआईएस स्टैंडर्ड प्रमाण पत्र जैसी कोई टूल नहीं है। उत्पादकों के लिए मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में ब्रेकडाउन, ‘स्थिर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद‘ के लिए तकनीकी मैनपाॅवर की कमी एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है,
नतीजतन ये संघर्ष उनके आत्मविश्वास को कम कर दिया है इसलिए वे मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग में निवेश करने में कम रुचि लेते हैं। चूंकि ज्यादातर उत्पादक छोटे प्लेयर्स हैं, इसलिए वे प्रमोशन में निवेश करने की हिम्मत नहीं करते हैं, इसके विपरीत कम कीमत पर कम गुणवत्ता वाले मेटेरियल की सप्लाई करने जैसे शॉर्ट-कट रास्ते खोजतें हैं।
प्रोजेक्ट की मांग के बल पर संचालित होने के बावजूद डब्ल्यूपीसी/पीवीसी की मांग स्थिर है। डीलर/वितरक का फोकस वापस प्लाइवुड पर चला गया हैं, और पीवीसी बोर्ड सेकंडरी मार्केट से संचालित होने वाल उत्पाद बन गया है। इसी बीच पीवीसी डोर फ्रेम और पीवीसी लैमिनेट की मांग बढ़ रही है लेकिन फोम बोर्ड बाजार को निर्माता की दूरदृष्टि के अभाव में संघर्ष करना पड रहा है। हम प्लाई रिपोर्टर में अक्सर ‘पीवीसी बोर्ड बाजार के साथ गलत क्या हुआ?‘ पर चर्चा करते हैं। हम निश्चित रूप से उम्मीद करते हैं कि इनके दिन वापस आएँगे क्योंकि भारत के व्यापारी कभी भी किसी उत्पाद को खोते नहीं हैं।
इस दिसंबर अंक में प्रस्तुत, ‘2018 के 7 टर्निंग पॉइंट‘ वुड पैनल उद्योग और व्यापार में पूरे साल होने वाली घटनाओं का लेखा जोखा, आपकी यादाश्त ताजा करेगा। डेकोरेटिव विनियर के अग्रदूत श्री सुमन शाह के साथ एक बातचीत, विनियर निर्माताओं, व्यापारियों और शोरूम मालिकों के लिए सार्थक है। मुंबई में आयोजित प्रदर्शनियों के कवरेज के अलावा इस अंक में उद्योग और बाजार के बहुत सारे समाचार हैं। वुड पैनल सरफेस डेकॉर व्यापार से संबंधित लगभग 150 ब्रांड नवंबर में मुंबई में अपने प्रोडक्ट का चमकदार प्रदर्शन किये, जहां प्लाई रिपोर्टर टीम प्रदर्शित उत्पाद के हर एक पहलु पर ध्यान दिया और आपके लिए विस्तृत रिपोर्ट पेश की है। आशा है कि आप हमेशा की तरह इनकी झलकी और जानकारियों का आनंद लेंगे। खूब पढ़े और गुड बाय 2018!
राजीव पाराशर
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