उत्तर प्रदेश सरकार ने नए प्लाइवुड, विनियर, एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड, सॉ मिलों और विनियर यूनिट के लिए प्राप्त ऑनलाइन आवेदकों के सफल नाम की घोषणा 12 दिसंबर 2018 को ई-लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से कर दिया गया है। सरकार को राज्य में वुड बेस्ड इंडस्ट्री की 8 विभिन्न श्रेणियों में नए संयंत्रों की स्थापना के लिए कुल 13,433 सत्यापित आवेदन प्राप्त हुए थे। सत्यापन और जांच प्रक्रिया में लगभग चार महीने लग गए जिसके बाद ई-लॉटरी के माध्यम से लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए कुल 815 लाइसेंस का चयन किया गया।
प्लाई रिपोर्टर के अनुमान के अनुसार, चयनित उम्मीदवारों के लगभग 30 से 35 प्रतिशत और उनके लाइसेंस का उपयोग प्लाइवुड, बोर्ड, विनियर, डोर और प्लैंक बनाने के लिए किया जाएगा, जिससे उत्तर प्रदेश में प्लाइवुड, ब्लॉकबोर्ड और डोर के उत्पादन में वृद्धि होगी।
नए वुड बेस्ड इंडस्ट्री लकड़ी और टिम्बर की मांग को भी बढ़ाएंगे, जिससे प्लांटेशन करने वाले किसानों को लाभ होगा। नए लाइसेंस के चलते राज्य में पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ संयंत्रों के भी उभरने में मदद मिलेगी और इस तरह अगले दो वर्षों में पड़ोसी राज्य उत्तराखंड को प्रतिस्पर्धा मिल सकती है। जब से नए लाइसेंस अनुदान की खबर आई है, उद्योग के प्लेयर्स की मिश्रित प्रतिक्रिया आ रही है। प्लाइवुड निर्माताओं, उद्योग के विशेषज्ञों सहित उद्यमियों को लगता है कि राज्य में सॉ मिलों के लिए बड़ी संख्या में लाइसेंस जारी करना तर्कसंगत नहीं है।
प्लाइवुड उद्योग में प्रतिस्पर्धा और आपूर्ति बढ़ेगी और भविष्य में मार्जिन और कम हो जाएगा। प्लाई रिपोर्टर ने उत्तर प्रदेश, यमुनानगर और पंजाब के प्लाइवुड एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से बात की।
श्री देवेंदर चावला, अध्यक्ष, एआईपीएमए ने प्लाई रिपोर्टर से कहा कि यूपी में नए लाइसेंस पहले से ही ओवर सप्लाई वाले बाजार पर और दबाव बनाएंगे। जब लकड़ी की मांग बढ़ेगी तो निस्संदेह प्लांटेशन अधिक होगा लेकिन एक वर्ष में, हरियाणा, एनसीआर क्षेत्र स्थित कारखानों के लिए लकड़ी और कच्चे माल से संबंधित मुद्दे उभर कर सामने आएँगे। यमुनानगर स्थित कारखाने लकड़ी की आपूर्ति की कमी का सामना करेंगे और माल ढुलाई प्लाइवुड हब के लिए नुकसानदायक होगी। मुझे उम्मीद है कि 2020 तक यमुनानगर में निर्माता गुणवत्ता पर काम करेंगे और बाजार में अपनी पकड़ बनाएंगे। नए लाइसेंस निश्चित रूप से प्लाइवुड उद्योग और वैसे उद्यमी के ग्रोथ के लिए एक सकारात्मक कदम है जो उत्तर प्रदेश में नए अवसरों का पता लगाना चाहते थे।
श्री अशोक अग्रवाल, अध्यक्ष, यूपी प्लाइवुड वेलफेयर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने कहा कि सॉ मिलों के लिए जारी किए गए, नए लाइसेंस उत्तर प्रदेश राज्य मे लकड़ी की वास्तविक उपलब्धता से बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मिलों को 8 घंटे तक काम करने के अनुमान के अनुसार 636 नए लाइसेंस जारी किए हैं, जबकि सॉ मिल एक दिन में 24 घंटे तक काम करती है। इसके अलावा, मौजूदा कंपनियों ने अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए नए प्रेस के लिए पहले से ही अलग से आवेदन किया है, इस तरह के अलग-अलग लाइसेंस की संख्या लगभग 250 हो सकती है। इसके अलावा, राज्य में उपलब्ध लकड़ी का 50 प्रतिशत सरकार द्वारा एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड के लिए आरक्षित किया गया है। इस मामले में, राज्य में उपलब्ध टिम्बर की तुलना में, सॉ मिलों, एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड इकाइयों द्वारा खपत की जाने वाली कुल लकड़ी की मात्रा बहुत कम होगी और यह स्थिति सरकार, उद्यमियों और उद्योग के लिए अच्छी नहीं है।
टिम्बर की वास्तविक मात्रा, दावा की गई मात्रा से बहुत कम है, अगर सरकार राज्य में उपलब्ध लकड़ी का पुनर्मूल्यांकन करंे, तो वास्तविकता सामने आ जाएगी, इसलिए इतने सारे लाइसेंस असंतुलन पैदा करेंगे। नए लाइसेंस जारी होने से किसानों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा, जबकि राज्य में पहले से मौजूद कारखानों को नुकसान उठाना पड़ेगा और उनका मुनाफा कम होगा या बंट जाएगा।
श्री नरेश तिवारी, चेयरमैन, एआईपीएमए ने प्लाई रिपोर्टर से कहा कि उभरता परिदृश्य प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और यूपी स्थित प्लाइवुड प्लांट्स को फायदा पहुचाएंगा। उन्होंने कहा कि पंजाब और यूपी तेजी से भारत में प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग के नक्शे पर उभरेंगे, जहां प्लांटेशन के लिए भौगोलिक लाभ और ढुलाई भाडा उद्योगों को मदद करेगा। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि समर्पित और मजबूत प्लाइवुड ब्रांड उभरते परिदृश्य से लाभान्वित होंगे और मार्जिन पर दबाव के बावजूद कई प्लांट और नए ब्रांड अपनी स्थिति को मजबूत करेंगे।
श्री अशोक अग्रवाल, अध्यक्ष, अवध प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने प्लाई रिपोर्टर के साथ बातचीत में कहा कि राज्य में लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए नए लाइसेंस जारी करने के बाद प्लाइवुड उद्योग में मिश्रित प्रतिक्रिया है। राज्य में लकड़ी की उपलब्धता के बारे में सवाल सही है, लेकिन इसका प्रतिकूल प्रभाव बाजार पर नहीं दिखेगा। वुड बेस्ड प्लांट का एक नया इंडस्ट्री के चलते बाजार में प्रतिस्पध्र्ाा थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन कई विकासशील राज्यों के साथ भारत जैसे बहुत बड़े बाजार के लिए यह कुछ नहीं है। श्री अशोक अग्रवाल के अनुसार, जो उत्पाद की गुणवत्ता और सही बाजार रणनीति पर ध्यान देगा, बाजार में हमेशा बेहतर होगा और विकास करेगा। अब सभी को उत्पाद की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना होगा और प्लाइवुड की गुणवत्ता में काफी सुधार होगा। नया लाइसेंस मिलने के बाद उद्योगों को पूरी तरह चालू होने में एक साल लगेगा। यह नए लोगों के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि प्रतिस्पर्धा बेहतर लोगों के बीच लड़ी जाएगी, कमजोर लोगों के बीच नहीं।