उत्तरी क्षेत्र में किसानों द्वारा पराली जलाने का बुरा असर दिखना शुरू हो गया है, साथ ही प्रदूषण का स्तर बढ़ने से प्रदूषण फैला रहे फैक्ट्रियों पर सरकार की कड़ी नजर है और उन्हें उत्पाद रोकने के भी निर्देश दिये जा रहे हैं। मौसम का प्रभाव, पराली के जलाने और प्रदूषण को स्वास्थ्य और सांस की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यूपी पाॅल्यूशन बोर्ड ने कड़ा एक्शन लिया है जिसके चलते कई फैक्ट्रियों को लखनऊ में 15 नवम्बर तक बन्द कर दिया गया है। इसका प्रभाव अन्य शहरों जैसे-गाजियाबाद, मुरादाबाद, नोएडा इत्यादि में भी देखी जा रही है। यूपी पीसीबी के कड़े कदम उठाने से लखनऊ में कम से कम 13 प्लाइवुड फैक्ट्रियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है। साथ ही पाॅंच इकाईयाॅं गाजियाबाद में और मुरादाबाद में भी उनकी नजरों में है। अस्थाई रूप से सभी बंद इकाइयाॅं तालकटोरा और फैजाबाद में स्थित है। लखनऊ में फैक्ट्रियों के बंद करने का आदेश 23 अक्टूबर को यूपी पीसीबी की मीटिंग में ली गई और तत्काल प्रभाव से लागू की गई। बोर्ड ने यूपी हाउसिंग डेवलपमेंट कार्पोरेशन को भी फटकार लगाई और निर्माण कार्य रोकने के निर्देश जारी किये तथा 29 अक्टूबर को उन्हें भी नोटिस भेज दिया गया है, जिन्होंने प्रदूषण नियंत्रण के नियमों का पालन नहीं किया है। विभिन्न शहरों में कई निर्माणाधीन प्रोजेक्ट मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गाजियाबाद के क्षेत्र में स्थित फैक्ट्रियों से 2.30 करोड़ का जूर्माना वसूल किया गया है। यदि प्रदूषण जल्द नियंत्रण में नहीं आता है तो अन्य उत्पादन इकाइयों पर भी कड़े निर्देश जारी किए जा सकते हैं।