2019 की शुरुआत से ही, पोपलर टिम्बर की कीमतों में वृद्धि जारी रही, जो वर्ष की दूसरी छमाही में 1000 अंक तक पहुंच गया। कीमतों में वृद्धि ने उत्तर भारत में प्लाइवुड उद्योग में सबसे बड़ा उलटफेर कर दिया क्योंकि इसके चलते फुल पोपलर प्लाइवुड के निर्माताओं ने कीमत वृद्धि के साथ एल्टरनेट प्लाइवुड बनाना शुरू कर दिया। वास्तव में, 2018 के आखिरी 3 महीनों से ही पोपलर लॉग्स की कीमत में तेज वृद्धि दर्ज की गई थी।
ओवरसाइज लॉग्स का गिरता प्रतिशत और 20 इंच से कम या उससे नीचे के गर्थ वाले टिम्बर में वृद्धि के चलते सोखता की मात्रा बढ़ने से मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट प्रभावित रही। पोलपर टिम्बर की बढ़ती माँग और उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में कम उपलब्धता से पूरे उत्तर भारतीय प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को परेशानियों का सामना करना पड़ा। 2019 में ही पोपलर के बदले सफेदा अपनाने की प्रक्रिया देखी गई, इसलिए एल्टरनेट प्लाइवुड और फुल हार्डवुड प्लाइवुड का उत्पादन यमुनानगर और पंजाब में बढ़ी।
यमुनानगर स्थित प्लाइवुड उद्योग में पंजाब और यूपी जैसे राज्यों से लकड़ी की आवक में गिरावट देखी गई, लेकिन राजस्थान, रामपुर, रुड़की, बालाचूर, होशियारपुर, रोपड़ आदि से कोर विनियर और लॉग की आपूर्ति में सुधार हुआ। आरडू टिम्बर और विनियर की आपूर्ति से यमुनानगर में सस्ती गुणवत्ता वाले प्लाइवुड बनाने में सुध् ाार देखा गया। पोपलर लॉग्स की बढ़ी हुई कीमतें प्लाइवुड बनाने वाली इकाइयों के लिए परेशानी का सबब रही, क्योंकि तैयार माल की कीमतें नहीं बढ़ रही हैं। एक साल में पोपलर की कीमतों में लगभग 100 प्रतिशत का उछाल आया, साथ ही यूकेलिप्टस की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई।
पोपलर लॉग की ऊंची कीमतों ने प्रतिकूल प्रभाव डाला, और इसके चले उत्तर भारत में 60 से अधिक प्लाइवुड निर्माण प्रतिष्ठानों को अपने प्लांट बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वे केवल सस्ते ग्रेड का ऑल पॉपलर प्लाइवुड’ बनाते थे। इसके अलावा, कई उत्पादन इकाइयां एल्टरनेट प्लाइवुड बाजार में ओवर सप्लाई के साथ अपनी क्षमता उपयोग को कम करने के लिए मजबूर हुई।