हरियाणा वन विभाग ने राज्य के वुड बेस्ड इंडस्ट्री को एक नोटिस जारी कर बताया कि राज्य सरकार द्वारा पिछले दो सालों के दौरान जारी किये गए लाइसेंसों में कुल 765 आवेदकों (जिनकी सूची वन विभाग के वेबसाइट पर जारी की गई है) द्वारा बकाया 80 फीसदी राशि जमा नहीं करने की वजह से उनका आवेदन तुरंत प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है तथा उनके द्वारा अब तक की जमा धनराशि जब्त कर ली गयी है। सरकार की इस कार्यवाई को प्लाइवुड उद्योग ने निंदा की है, और बताया कि राज्य सरकार ने उद्यमियों और एसोसिएशन के सदस्यों से हुई कई मुलाकातों में इसे वापस करने का आश्वासन दिया था। एआईपीएमए और एचपीएमए ने धनराशि वापस करने की मांग की है, ताकि इस संकट काल में उद्यमियों की थोड़ी मदद हो जाए।
ज्ञातव्य है कि हरियाणा सरकार के वन विभाग द्वारा विभिन्न वुड बेस्ड इंडस्ट्री को लाइसेंस जारी करने के लिए 2017 में एक बार और 2018 में दो बार ऑनलइन आवेदन आमंत्रित किये गए थे। इन तीनो चरणों में कुल 3557 आवेदकों ने लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। आवेदन छटनी के बाद, 2953 आवेदकों को बकाया 80 फीसदी राशि एवं लाइसेंस फीस जमा करने के लिए ऑफर लेटर प्रदान किये गए थे। ऑफर लेटर प्राप्त करने के तीन चरणों में कुल 2188 आवेदकों ने बकाया धनराशि व् लाइसेंस फीस जमकर लाइसेंस प्राप्त किये थे, लेकिन शेष 765 आवेदकों ने किन्ही कारणांे से राशि जमा नहीं कर पाए, जिनकी उम्मीदवारी इस सुचना के बाद निरस्त कर दी गई।
आॅल इंडिया प्लाइवुड मैन्युफक्चरर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री देवेंद्र चावला ने प्लाई रिपोर्टर से बातचीत में कहा जब राज्य के मुख्यमंत्री यमुनानगर आए थे तो उन्होनें कहा था कि जो व्यक्ति प्लाइवुड इंडस्ट्री नहीं लगाना चाहते हैं, राज्य सरकार उनकी जमा राशि वापस कर देगी। इस मामले पर एसोसिएशन ने वन मंत्री से मुलाकात भी की थी, तो उन्होंने भी कहा था कि जल्द ही जमा राशि वापस कर दी जाएगी। अब पैसे वापस करना तो दूर उन्होंने आवेदन ही रद्द कर दिए और जमा राशि भी जब्त कर दी है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला गलत है, यह तो उद्योग के मनोबल तोड़ने का काम है। इसका उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, इसलिए उन्हें यह धनराशि वापस करनी चाहिए।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए हरियाणा प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के सीनियर वाईस प्रेसिडेंट श्री सतीश चोपाल ने कहा कि सरकार के इस आदेश से तकरीबन 150 करोड़ रूपए उद्योग के जब्त कर दिए गए है। हमारी मांग है कि यह राशि वापस होनी चाहिए क्यांेकि उनके पास जो 20 फीसदी जमा राशि है, वे तो रेजिस्ट्रेशन का था और यदि लाइसेंस लेने के लिए फंड की कमी के कारण यदि कोई उद्योगपति 80 फीसदी राशि नहीं जमा कर पाए, तो उनके मन में यही था कि राशि सरकार के पास सुरक्षित है और इस पर उनका हक बनता है। इस समय व्यापारियों को धन को बड़ी आवश्यकता है यदि उन्हें यह राशि मिलती है तो उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। सरकार को ऐसे मुश्किल हालात में उन्हें राहत देनी चाहिए।