भारत के पूर्वी और उत्तर पूर्व राज्यों में लम्बू ट्री का प्लांटेशन तेजी से बढ़ रहा है। इसे मीडियम हार्डवुड भी कहा जाता है और पोपलर तथा सफेदा जैसे अच्छे ग्रोथ के लिए इसके पौधे को 6 से 8 साल तक रखा जाता है। इतने समय बाद प्राप्त टिम्बर प्लाइवुड और पैनल उद्योग के लिए बहुत उपयुक्त है। यदि इसे लंबे समय तक रखा जाय, तो यह हार्डवुड में बदलजाता है। फर्नीचर और इंटीरियर डेकोरेटिव वुड पैनल उद्योग के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। यह लकड़ी बहुत मजबूत है और इसमें कोई गांठ भी नहीं होती। अपने रासायनिक गुणों के कारण, यह दीमक और बोरर से पूरी तरह से सुरक्षित है।
पूर्वी भारत में प्लाइवुड फैक्ट्रियों में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह लकड़ी बहुत उपयोगी है, और इसकीमांग मशीन पर अच्छी प्रोसेसिंग होने के कारण दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके पेड़ में टहनियाँ नहीं होती हैं और सीधी लंबाई होने के कारण इसका पीलिंग भी आसानी से किया जा सकता है। इसके अपने लाल रंग के कारण, इसे कलर करने की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए लम्बू ट्री फेस विनियर के लिए भी बहुत उपयुक्त है।
पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में स्थित नर्सरी के मालिकों का कहना है कि यह लम्बू ट्री इन दिनों बहुत पसंद किया जा रहा है, इसलिए यह यहाँ स्थित लगभग सभी नर्सरियों में लगाया जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार, पश्चिम बंगाल के अलावा आंध्र प्रदेश, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा जैसे कुछ राज्यों के कुछ जिलों में प्लांटेशन तेजी से हो रहा है। नर्सरी मालिकों के अनुसार, पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले से प्रतिदिन लगभग 40,0000 पेड़ अलग-अलग राज्यों में भेजे जा रहे हैं और पिछले चार से पांच वर्षों में इसकी मांग बढ़ी है।
पश्चिम बंगाल स्थित प्लाइवुड फैक्ट्री मालिक लुम्बू ट्री के ग्रेन और स्ट्रेंथ से संतुष्ट है, और कहते हैं कि यह प्लाइवुड बनाने के लिए सबसे उपयुक्त और टिकाऊ कच्चे माल के रूप में उभरेगा। इसकी कीमतें अब कम्फर्ट जोन में आ रही हैं, इसलिए सफेदा और पोपलर कोर विनियर पर उनकी निर्भरता भी कम हो रही है।