कोविड महामारी के कारण रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है, लेकिन बजट हाउसिंग, टियर 3 शहरों और ग्रामीण बाजारों में छोटे भवन निर्माण की गतिविधियां बढ़ने से शटरिंग प्लाइवुड के बाजार के विस्तार में तेजी दिख रही हैं जो इस साल जुलाई के बाद ही तेजी से बढ़ी। सरकार की योजना के अंतर्गत इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देने और छोटे शहरों तथा ग्रामीण इलाकों से आने वाले रेसिडेंशियल और रिटेल डिमांड तथा परियोजनाओ के काम बढ़ने से इकोनॉमिकल ग्रेड शटरिंग प्लाइवुड की भारी मांग पैदा हुई है। फिनोलिक ग्रेड में कम घनत्व वाले 30 किलोग्राम शटरिंग प्लाइवुड और आज के समय में कमर्शियल एमआर ग्रेड शटरिंग प्लाइवुड भी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। बाजार जाहिर तौर पर 30 प्रतिशत शटरिंग प्लाई की जरूरतों की खरीद एमआर ग्रेड से कर रही हैं जो कोविड काल में प्लाइवुड सेक्टर केा सरवाइव् करने के लिए फिल्म फेस शटरिंग मदद कर रहा है। यमुनानगर, पंजाब, यूपी से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, शटरिंग प्लाइवुड उत्पादकों के पास इकोनॉमिकल ग्रेड शटरिंग प्लाइवुड के पर्याप्त ऑर्डर है।
उद्योग के सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनके पास 80 प्रतिशत ऑर्डर 30 किलोग्राम और उससे नीचे के इकोनॉमिकल ग्रेड शटरिंग प्लाइवुड की हैं, जिनके बीच उनके पास एमआर ग्रेड शटरिंग प्लाइवुड की अधिक मांग है। यमुनानगर के एक निर्माता ने पुष्टि की है कि वह अप्रत्याशित हाई डिमांड के कारण कमर्शियल ग्रेड फिल्म फेस प्लाइवुड के आर्डर पूरा करने में असमर्थ है। प्लाइवुड मशीनरी निर्माताओं ने प्लाई रिपोर्टर संवाददाताओं से कहा कि, तत्काल आधार पर शटरिंग प्लाइवुड प्रेस के कई इन्क्वारी हैं, जिनमें से अधिकांश प्रेस कम घनत्व वाले शटरिंग प्लाइवुड का उत्पादन करने के लिए 1000 टन के हैं।
प्लाई रिपोर्टर टीम का बाजार सर्वे से प्राप्त डेटा एक बदलाव की ओर इशारा करता है, जो 30 किलोग्राम से 28 किलोग्राम और 24 किलोग्राम से 21-22 किलोग्राम प्लाइवुड तक होता दिख रहा है। इस ग्रेड का दोहराव शटरिंग डीलरों के अनुसार 3 से 8 गुना तक है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, एनसीआर रीजन, हरियाणा मूल रूप से इस भार\ केटेगरी में ऑर्डर बुकिंग में तेजी देखी जा रही है। संगठित बिल्डर केटेगरी जो आमतौर पर 34 किलोग्राम प्लाइवुड खरीदती है, कोविड के बाद परेशान है, इसलिए प्लाइवुड निर्माताओं के यहां कम घनत्व की मांग ज्यादा है।
उद्योग के सूत्रों का कहना है कि भवन निर्माण की गतिविधियाँ बड़े और मेट्रो शहरों जैसे मुंबई, पुणे, सूरत, बैंगलोर, हैदराबाद और दिल्ली-एनसीआर में कम हैं, ये ऐसे शहर हैं जहां में ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए 34 किलो और हाई डेंसिटी शटरिंग प्लाइवुड की मांग करते हैं। हालांकि इस क्षेत्र में कुछ प्रतिष्ठित बिल्डरों (जो रेरा के तहत आते हैं) ने अपनी साइटों पर निर्माण शुरू किया पर उनकी संख्या कम है। जिनका प्रोजेक्ट पर फंड के संकट के कारण काम बंद थे, हाल ही में भारत सरकार ने उन बिल्डरों के लिए कुछ धनराशि आवंटित की है, तो परियोजनाओं पर निर्माण गतिविधियां सितंबर महीने में शुरू हुई हैं, जहाँ अच्छी गुणवत्ता वाले शटरिंग प्लाइवुड की अच्छी मांग है। पिछले दो महीनों में शटरिंग प्लाइवुड के लिए एक दर्जन से अधिक नए प्रेस इनस्टॉल किये गए हैं, और भविष्य में रियल एस्टेट सेक्टर की गतिविधियों में अच्छी सुधार के साथ और अधिक नए प्रेस आ सकते हैं।