केंद्रीय जल प्राधिकरण द्वारा 24 सितम्बर को जारी अधिसूचना के साथ देश भर में जयादातर प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को इसका फायदा मिलेगा। केंद्रीय जल प्राधिकरण (CGWA) ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को एक अधिसूचना जारी कर एक इकाई के लिए प्रति दिन 10 घन मीटर (10000 लीटर) तक भू-जल निकासी के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करने से छूट दी है। अधिसूचना में कहा गया है कि औद्योगिक और अन्य उपयोगों के लिए भूजल निकासी के लिए एनजीटी, समितियों आदि की सभी टिप्पणियों के बाद एमएसएमई के लिए विशेष छूट का मसौदा तैयार किया गया है।
इस पर वुड पैनल इंडस्ट्री एंड ट्रेड के एक वरिष्ठ टेक्नोक्रेट श्री आनंद अमरीक सिंह ने बताया कि चार सेक्शन के एक ड्रायर के साथ दो प्रेस वाली एक यूनिट के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा से यह कहीं अधिक ही है। एक अनुमान के मुताबिक अगर जल की कठोरता को दरकिनार कर दिया जाए तो ऐसी एक यूनिट में लगभग 8000 लीटर पानी का उपभोग हो सकता है। अगर यूनिट आयल हीटिंग वाली है तो पानी की खपत कम होगी उस स्थिति में अगर हम पानी के लीकेज पर ध्यान रखें तो तीन प्रेस वाली एक यूनिट भी इतने पानी में बहुत आराम से काम कर सकती है।
वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) के वैज्ञानिक श्री डीपी खली ने इसके पर्यावरणीय प्रभाव पर बात करते हुए कहा कि सरकार की पहल सराहनीय है लेकिन यह उपयोगकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि भूजल स्तर बहुत नीचे न जाए और बाद में समस्या पैदा करें। किसी विशेष क्षेत्र में औद्योगिक उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाने वाला भूजल समस्या पैदा करn सकता है, अगर यह ठीक से प्रबंधित न हो। इसलिए, किसी विशेष औद्योगिक क्लस्टर में वाटर लेवल को रिचार्ज करने के लिए, तथा उन्हें इसके स्थायी उपयोग और भविष्य में पानी की उपलब्धता के लिए हर इकाई में वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करना होगा।