डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड उद्योग बहुत ज्यादा प्रभावित है और यहां तक कि प्लांट बंद करने को मजबूर है। कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण अनुमानित उत्पादन घटकर लगभग 50 प्रतिशत हो सकता है। अगले 2 से 3 महीनों तक राहत का कोई संकेत नहीं है इसलिए इस उभरते उत्पाद का पूरा इको-सिस्टम ही बिगड़ने का डर है। पीवीसी रेजिन की कीमतें पिछले 6 महीनों में 75 रूपए से 140 रूपए हो गई है। वास्तव में इसकी कोई सीमा नहीं है जिसे उद्योग द्वारा पारित किया जा सके। मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री ने डब्ल्यूपीसी/ पीवीसी बोर्ड की कीमतों में मात्र 20 प्रतिशत की वृद्धि की है, जबकि प्रभाव इतना अधिक है कि बाजार एक बार में इसे सह नहीं सकता।
पीवीसी रेजिन की कीमतें लगभग हर दिन बढ़ रही हैं, जिससे उद्योग के लिए तैयार माल की कीमतों को दिन-प्रतिदिन पारित करना असंभव है। मैन्युफैक्चरर इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि आज कल प्लांट, खासकर इसकी पूरी क्षमता पर चलना व्यवहारिक नहीं है। तैयार माल की कीमतों में तेजी से वृद्धि और उत्पाद की हिस्सेदारी बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा। इसलिए प्लांट बंद करने या नुकसान कम करने के लिए कम से कम चलाने में ही समझदारी है। यह समाचार लिखने तक, कई पीवीसी बोर्ड निर्माता अस्थायी रूप से बोर्ड का उत्पादन बंद कर चुके हैं, जबकि कुछ अपना काम डोर औरचैखट मैन्युफैक्चरिंग में स्थानांतरित कर दिया है। इस मुद्दे पर इस अंक में पीवीसी एज बैंड टेप सेगमेंट पर एक विस्तृत कवर स्टोरी प्रकाशित की गई है (पृष्ठ संख्या -100 देखें)
गौरतलब है कि डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड उद्योग भारत में नवजात अवस्था में है, लेकिन यह सबसे तेजी से बढ़ रहा है, जो एलस्टोन, सेंचुरी प्लाई ग्रीन प्लाई, अमूल्य, ऑस्टिन, आर्किड प्लाई, ब्लैक कोबरा, फ्लोरेस्टा, एकोस्टे, फ्लेक्सिबॉन्ड, जैन इरिगेशन, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ईकॉन आदि के साथ तकरीबन 125 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और 200 से अधिक ब्रांड प्रति वर्ष लगभग 2000 करोड़ रुपए का व्यवसाय (कोविड के पहले) करता है।