जब 2014 में म्यांमार से लॉग के एक्सपोर्ट पर प्रतिबन्ध लगा तो 2017 में गर्जन फेस की लागत बहुत अधिक के कारण, ओकूमे फेस का आना अपरिेहार्य था। कुछ कंपनियों ने इसे एक अवसर के रूप में लिया और पैसे बचाने के लिए ओकूमे के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे कुछ प्लाई कंपनियां गर्जन जैसे महंगे फेस से दूर हो गई। उन्होंने जरूरत के अनुसार, उस ओकूमे फेस विनियर की ओर रुख किया, जो गर्जन की लगभग आधी कीमत पर उपलब्ध था। आज ओकूमे फेस विनियर की लगभग 25 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। इसकी उपलब्धता तथा अर्थव्यवस्था में स्थिरता के साथ यह और बढ़ने की आस में था। आज, कई प्रमुख प्लाइवुड ब्रांड के लिए ओकूमे फेस को लेकर कोई संदेह नहीं है और उनमें से ज्यादातर ने अपना उत्पादन ओकूमे फेस पर स्थानांतरित कर दिया है। फेस मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा गेबाॅन में किया गया निवेश भारतीय प्लाइवुड उद्योग के लिए और अधिक प्रेरक बना था।
लेकिन 2020-21 में परिदृश्य बदल रहा है। कई कारणों से, ओकूमे फेस की कीमतें तेजी से गर्जन फेस के पास आती जा रही हैं, साथ ही आने वाले महीनों में कीमत में गिरावट का कोई संकेत नहीं है। आजकल फेस विनियर की कीमतों में वृद्धि लगभग 20 प्रतिशत है, जिसके चलते प्लाइवुड के इनपुट कॉस्ट में 2 रुपये प्रति वर्ग फीट की बढ़ोतरी हुई है। परिदृश्य यह इंगित करता है कि लकड़ी और माल धुलाई की ऊंची कीमतों के कारण फरवरी और मार्च महीने में फेस विनियर की कीमतों में और वृद्धि होगी। प्लाइवुड उद्योग को पता है कि फेस विनियर की जरूरतों के लिए उन्हें आयात पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उत्पादकों को एक समान रेट पर फेस विनियर प्राप्त करने में हमेशा चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए बाजार में टिके रहने के लिए एक और विकल्प की तलाश की जा रही है।
हाल ही में प्लाइवुड निर्माताओं के एक वर्ग ने अब फेस विनियर की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, बिना फेस के प्लाइवुड बनाने की बात शुरू कर दी है, क्योंकि वे एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण दिक्कत महसूस कर रहे हैं। यह भविष्य का विषय है कि फेसलेस प्लाइवुड, एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड के बराबर कीमतों पर प्रतिस्पर्धा करेगा या नहीं, लेकिन इस पर चर्चा जरूर की जा रही है। इसके लिए बीआईएस मानकीकरण में बदलाव की भी चर्चा की जा रही है। यह स्पष्ट है कि ओकूमे को खुद को भारत के बाजार में स्थायी रूप से बने रहने के लिए एक उचित समाधान के रूप में आना होगा, नहीं तो कीमतों को लेकर इस तरह के संवेदनशील बाजार में कई विकल्प मौजूद होंगे।
वर्ष 2021 के इस पहले अंक में 5 पूर्वानुमान दिए गए हैं, जो वुड एंड डेकोरेटिव पैनल उद्योग पर प्लाई रिपोर्टर द्वारा विश्लेषण-आधारित लेख है। प्लाइवुड, एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड्स, लैमिनेट, टिम्बर, डोर्स और महंगे राॅ मेटेरियल का अलग-अलग पैनल प्रोडक्ट सेगमेंट पर प्रभाव को भी प्रकाशित किया गया है, साथ ही प्रोडक्ट लॉन्च विशेष रूप से रिपोर्ट किए गए हैं। एआइपीएमए के अध्यक्ष श्री नरेश तिवारी के साथ बातचीत, यमुनानगर में नई प्रगति प्लाईवुड इंडस्ट्रीज द्वारा स्थापित विशाल प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की कवरेज और डेकोएज पीवीसी एज बैंड टेप के प्रमोटर से बातचीत उद्योग और व्यापार के लिए पढ़ने लायक हैं। इसके अलावा, वुड पैनल व्यापार से संबंधित, और प्लाई रिपोर्टर द्वारा आयोजित ई-कॉन्क्लेव पर रिपोर्ट भी दिलचस्प है। आप सभी को नव वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं।