भारतीय डेकोरेटिव विनियर इंडस्ट्री 3 एम्एम् के बेस प्लाइवुड की कमी से जूझ रही है क्योंकि इसकी कीमतें पिछले दो महीनों मे 1000 के आकड़ें पर पहुंच गया है। विनियर उत्पादकों ने कहा कि बाजार में इसकी बड़ी कमी है, जिसके चलते डेकोरेटिव विनियर की मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हो रही है और वे मांग को पूरा नहीं कर पा रह हैं। उत्पादक कहते है कि ३ एमएम के गर्जन बेस प्लाई की कीमत 700 से 900 के स्तर पर पहुंच गया है जबकि हार्डवुड बेस्ड बेस प्लाई पिछले दो महीनों में 800 का आकड़ा छू लिया है, फिर भी मेटेरियल की उपलब्धता कम है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय डेकोरेटिव प्लाईवुड उत्पादक खासकर बेस प्लाईव की जरूरतों के लिए आयत पर निर्भर है, जो वे मुख्यतः इंडोनेशिया और चीन से प्राप्त करते हैं। समुद्री माल भाड़ा बढ़ने और कंटेनर की कम उपलब्धता से आयातित बेस प्लाई की खासकर 2.5 से् 3.5 एमएम थिकनेस की सप्लाई प्रभावित हुई है। इंडोनेशियन प्लाइवुड मिल्स से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार टिंबर की अधिक कीमतें और लेबर के कमी से उत्पादन गिरने के अलावा, उन्हें यूएसए और जापान से प्लाइवुड के लिए अच्छे आॅडर मिलें हैं, जिससे उन पर भीसप्लाई का भारी दबाव है।
रिपोर्ट के अनुसार प्लाइवुड की बढ़ती कीमतें भारतीय प्लाइवुड कंपनियों nके लिए कम थिकनेस वाले प्लाइवुड के उत्पादन के लिए अवसर प्रदान कर रही है। उत्पादक कहते हैं कि इस कीमत और कम सप्लाई के चलते भारतीय उत्पादक को इंतजार करना पड़ेगा। एक प्लाइवुड उत्पादक कहते हैं कि भारत में 3 एमएम के अल्टरनेट प्लाइवुड उत्पादन किया जाता था, जिसका उपयोग बड़ी मात्रा में डेकोरेटिव प्लाइवुड के रूप में किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इंडस्ट्री आयात पर शिफ्ट हो गई, लेकिन अब फिर से अवसर पैदा हुआ है कि वे मेक इन इंडिया को अपनायंे। बेस प्लाई की बढ़ती कीमतें एमडीएफ को बढ़ावा भी दे सकती है और कई कंपनियाँ एमडीएफ पर आधारित डेकोरेटिव प्लाइवुड प्रोजेक्ट और ओइएम को दे रहे हैं।