कच्चे माल की अनिश्चितता आज कहर बन गया है। इसमें जल्द ही कोई राहत नहीं मिलने की संभावना ने इस वित्त वर्ष रिकवरी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है साथ ही 2021-22 की पहली तिमाही में भी रिकवरी मुश्किल ही लग रही है। प्लाई-लैम उत्पादकों के लिए स्थिति काफी गंभीर और तनावपूर्ण है, जिससे उन्होंने ऑर्डर लेना बंद कर दिया है। बाजार में सप्लाई बनाए रखना, आज के हालात में मैन्युफैक्चरर्स के लिए लिटमस टेस्ट जैसा है।
लेमिनेट मैन्युफैक्चरिंग के लिए कच्चे माल की लागत उस स्तर तक पहुंच गई है, जहां एचपीएल के आधे यूनिट्स को उत्पादन बंद करने का फैसला करना पड़ा। फरवरी में, लेमिनेट फैक्ट्रियां केवल 60 फीसदी की क्षमता पर चल रहे थे। मार्च में, यह एसएमई सेक्टर मुश्किल से 40 फीसदी क्षमता पर काम कर पा रहे हैं। मेलामाइन, प्रिंट बेस, क्राफ्ट पेपर और अन्य मेटेरियल की उपलब्धता लगभग नहीं के बराबर है, जिसके चलते लैमिनेट इंडस्ट्री 20 फरवरी तक पिछले 45 दिनों में दो बार कीमतें बढ़ा चुकी है।
लेमिनेट मैन्युफैक्चरर्स लाइनर ग्रेड, डोर स्किन या लो थिकनेस के लेमिनेट का आर्डर लेना भी अब बंद कर दिया है। कीमत में वृद्धि का तीसरा चरण मार्च के पहले सप्ताह में घोषित होने वाली है, जो 1.0 एमएम में 45 रुपये के आसपास, 0.8 में 35 रुपये और लाइनर्स में 25 रूपए बढ़ने की उम्मीद है। अर्ध-संगठित क्षेत्र के लेमिनेट मैन्युफैक्चरर्स ने 1.0 एमएम में 85 रुपये से 100 रुपये वृद्धि की घोषणा की है। हालात निश्चित रूप से चैथी वृद्धि की ओर भी इशारा कर रहा है।
संगठित ब्रांड में 1.0 एमएम में लगभग 80 रुपए/शीट की वृद्धि हुई है, जो दूसरी बार भी कीमतों में वृद्धि करने की योजना बना रहे है। फेनॉल, फॉर्मल्डिहाइड, पेपर, मेलामाइन, टिश्यू, क्राफ्ट पेपर इत्यादि की कीमतें इतनी अस्थिर है कि अगले पल कीमत क्या होगी कोई नहीं कह सकता।
प्लाइवुड में भी म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के बाद फेस विनियर की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। समुद्री माल ढुलाई भाड़ा की अनिश्चितता के चलते हालात और बदतर होती जा रही है। सभी केमिकल की कीमतें पहुंच से बाहर है और टिम्बर की कीमतें 45 दिनों में 150 रूपए प्रति मैट्रिक टन बढ़ गई है। पीवीसी माइका, एज बैंड, एसीपी, सभी प्रोडक्ट केटेगरी में अस्थिरता है, तथा सप्लाई बाधित है। पीवीसी रेजिन, केमिकल, और टिम्बर सहित सभी प्रकार के कच्चे माल में तेजी है।
ऐसे समय में, न केवल कारखाने सफर कर रहे हैं बल्कि थोक बिक्रेता और आयातकों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ में, आयातकों का व्यवसाय ठप है, वहीं फेस विनियर और केमिकल इम्पोर्टर्स को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड. रहा है। ऐसे हालात में ही उद्यमियों के कौशल और नेतृत्व का परीक्षण होता है।
यह तय है कि केवल अच्छे पे मास्टर ही आने वाले महीनों में तैयार माल हासिल कर पाएंगे। यह ऐसा समय है जब खुदरा विक्रेताओं को पेमेंट और मूल्य निर्धारण के साथ सप्लाई चेन को साथ देना होगा। यह वास्तव में पूरे प्लाइवुड, पैनल और डेकोरेटिव इंडस्ट्री और ट्रेड के लिए समय की मांग है। पल पल बदलती कीमतों की यह परिस्थिति मैंने पिछले दो दशकों में कभी नहीं देखा। अभी का समय अच्छी तरह से योजना बनाने, समय पर भुगतान करने और धैर्य के साथ खरीददारी करने का है।