क्या लाइनर के फोल्डर (0.7 एमएम) की तेजी से 0.8 एमएम का बाजार प्रभावित होगा!

person access_time3 06 April 2021

कारखानों की संख्या बढने के साथ, बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए, भारतीय बाजार में डेकोरेटिव लेमिनेट के विभिन्न सेगमेंट में थिकनेस से समझौता किया जा रहा है। बाजार के बदलते परिदृश्य और दिन प्रतिदिन बढ़ती  प्रतिस्पर्धा के साथ, डीलरों और वितरकों ने कमथिकनेस वाले मेटेरियल पेश करने जैसे आसान विकल्प चुन लिया है। बाजार में चर्चा हैं कि क्या 0.8 एमएम की बिक्री सस्ते 0.7 एमएमकैटलाॅग से प्रभावित होगी? यह लेख आपको सही दिशा चुनने और उसके अनुरूप रणनीतिबनाने में पर्याप्त सहायता कर सकता है।

सात साल पहले, डेकोरेटिव लैमिनेट बाजार में 0.92 एमएम थिकनेस के डेकोरेटिव लेमिनेट का पदार्पण हुआ था। यह 1 एमएम वाली किसी भी मेडियम सेगमेंट लैमिनेट्स की तुलना में सीधे 20 फीसदी सस्ता था। इसका उद्देश्य सस्ती कीमत पर 1.0 एमएम की बाजार हिस्सेदारी हासिल कर एक नया बाजार बनाना था। डिस्ट्रीब्यूटर और डीलर इसे लागत-प्रभावी उत्पाद के रूप में पेश कर अतिरिक्त कमाई शुरू की, और यह 0.9 एमएम कैटेगरी डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए हाई प्रॉफिट वाला उत्पाद बन गया। 0.92 का बाजार शुरुआती 3-4 सालों तक अपनी बाजार हिस्सेदारी के लिए संघर्ष करता रहा, लेकिन धीरे-धीरे इसने 500 रुपये के रंेज में अपनी जगह बनाई। आज इसने 1.0 एमएम के बाजार की लगभग 10 से 12 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली है, लेकिन लेमिनेट उद्योग और व्यापार में वैल्यू ग्रोथ को 20 फीसदी तक नुकसान पहुंचाया है। देश भर में लगभग 85 से 100 फोल्डर के साथ, उत्पादक अभी भी कम थिकनेस वाले उत्पाद बना रहे हैं, लेकिन मैन्युफैक्चरर्स के लिए इसमें प्रॉफिट मार्जिन आशाजनक नहीं रहा है।

मुंबई, पुणे, सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, बैंगलोर आदि जैसे बाजार जहां से यह थिकनेस केटेगरी शुरू हुई, 0.9 एमएम थिकनेस अभी भी खरीदी जा रही है। बहुत से लोगों ने सोचा था कि यह चमत्कार पैदा करेगा लेकिन आज इसके हिस्से में लेमिनेट बिजनेस का शायद 4 फीसदी ही बाजार हिस्सेदारी है। प्लाई रिपोर्टर के हाल के बाजार सर्वे से संकेत मिलता है कि 0.92 एमएम (जिसे इको 1.0 एमएम का विकल्प कहा जाता है) का बाजार स्थिर है और इसे वर्तमान स्तर से आगे बढ़ने के लिए किसी बाजार में तब तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती जब तक कि बाजार 1.0 मिमी को अप्रासंगिक नहीं लगने लगता है। व्यापार और उद्योग के विशेषज्ञ कहते हैं कि कोई भी उत्पाद किसी अच्छी क्वालिटी और स्टैण्डर्ड थिकनेस के उत्पाद का विकल्प नहीं हो सकता है क्योंकि खरीददार परिपक्व है और वे सस्ते उत्पादों और रेफरेंस के बाद अपने खराब अनुभव के उपरांत क्वालिटी की तलाश करते हुए यहाँ तक पहुंचता है। इसलिए, कई लैमिनेट डिस्ट्रीब्यूटर इस बात पर सहमति देते हैं कि यदि ब्रांड सक्रिय है और अपने उत्पाद को सही तरीके से पेश कर रहा है, तो 1.0 एमएम का बाजार हमेशा अच्छा रहेगा।

काफी तेज विस्तार के चलते लेमिनेट इंडस्ट्री अब 0.92 एमएम के तर्ज पर 0.8 एमएम के निचले संस्करण की पेशकश शुरू कर दी है। आज लाइनर फोल्डर्स भी 50 से अधिक डिजाइन चिप्स तक पहुंच गए हैं और 50 चिप्स वाले शेड कार्ड के साथ लाइनर की पेशकश करने वाली लगभग 35 से 40 कंपनियां बाजार में हैं, जिनकी ऑफरिंग 300 रुपये प्रति शीट से शुरू होकर कम ज्यादा 340 रुपये तक होती है। इसी तरह, 0.72 का पूर्ण विकसित फोल्डर जिसमें टेक्सचर पेश किये जाते है, 0.8 एमएम के फोल्डर की नकल कर रही है और 40 रुपये कम कीमत पर प्रतिस्पर्धा कर रही है, इस प्रकार 0.8 मिमी जो जाहिर तौर पर लोअर थिकनेस की तुलना में बेहतर उत्पाद है, उसके बाजार की कुछ हिस्सेदारी खा रही है।

2018 में आए 0.72 एमएम लेमिनेट के फोल्डर 50-60 डिजाइना े ं क े साथ बाजार की रिपा ेर्ट  क े अन ुसार अच्छा प्रदर्श न कर रहा ह ै। यह उत्पाद क ेट ेगरी कथित ता ैर पर टियर-3 शहरा े ं आ ैर ग ्रामीण बाजार म े ं बह ुत त ेजी स े बढ ़ रही ह ै। 0.7 एमएम थिकन ेस क े ग ्रा ेथ स े स ंक ेत मिलता ह ै कि इसकी मा ंग म ुख्य रूप स े उन ग ्राहका े ं म े ं ह ै, जा े या ता े पहली बार ल ेमिन ेट क े खरीदार ह ै या 0.8 मिमी ल ेमिन ेट क े था ेक खरीददार या फर्नी चर कॉन्ट्रैक्टर हैं।

गौरतलब है कि लाइनर कैटेगरी में ऑफ व्हाइट से शुरू होकर फैब्रिक डिजाइन में 0.72 एमएम के लेमिनेट बनाये गए, लेकिन ये केटेगरी अब फैंसी डिजाइन, टेक्सचर के साथ 70-80 कलर टेक्सचर वाले 0.8 मिमी लेमिनेट के जैसा विभिन्न कलर, डिजाइन टेक्सचर में बदल रहे हैं। प्लाई रिपोर्टर संवाददाताओं द्वारा देश भर कई शहरों में वितरकों के बीच किए गए अध्ययन  में पाया गया कि मैन्युफैक्चरर्स विभिन्न कलर टेक्सचर में इसकीपेशकश कर रहे हैं और डीलर इसकी अच्छी मांग और मार्जिन के कारण इसमें भरपूर दिलचस्पी ले रहे हैं।

कड़ी प्रतिस्पर्धा, शॉर्ट टर्म विजन और असंगठित कार्य संस्कृति के कारण बाजार में टिकने के लिए मुख्य रूप से छोटे लेमिनेट उत्पादक 0.72 एमएम लाने को मजबूर है। टीम प्लाई रिपोर्टर द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, लाइनर लेमिनेट्स की 0.72 एमएम की मोटाई 0.62 एमएम से 0.65 एमएम के स्तर तक पहुंच गई है और कई ब्रांड इस पर कम ज्यादा 10 फीसदी का उल्लेख करते हैं।

प्र्लाइ  रिपा ेर्ट र अध्ययन म े ं पाया गया कि 0.7 एमएम ल ेमिन ेट सबसे तेजी से बढ़ते डेकोरेटिव लेमिनेट है और इस केटेगरी में लगभग 100 फोल्डर विभिन्न बाजारों में देखे जाते सकते हैं।

0.8 मिमी को मिल रही चुनौती!

जब स्थापित क्षमता बाजार की वास्तविक मांग से परे जाती है, तो कोई भी उद्यम अपने अस्तित्व की लड़ाई में जीवित रहने के लिए कई उपाय ढूंढता है और व्यक्ति को बाजार में बने रहने के लिए नए नए आइडिया के लिए प्रेरित करता है। 0.72 मिमी का उद्भव ओवर सप्लाई और अनौपचारिक कार्य संस्कृति के वर्तमान परिदृश्य का परिणाम है। हताशा में की जा रही बिक्री के चलते कई एचपीएल मैन्युफैक्चरर्स बाजार में अपनी पहुंच बनाने के लिए किफायती दामों पर 0.72 एमएम लेमिनेट में टेक्सचर और फैंसी डिजाइन की पेशकश शुरू की। समय के साथ कुछ लोगों ने इसे अपनाया तो कुछ ने इसे बाजार के लिए अच्छा उत्पाद नहीं बताया।

बाद में इस रेंज को स्टॉकिस्ट द्वारा एक प्रोडक्ट केटेगरी के रूप में उठाया जाने लगा। इसने दूसरे और तीसरे दर्जे और छोटे शहरों में अच्छा वॉल्यूम हासिल किया। प्लाई रिपोर्टर के ग्राउंड सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, फोल्डर फॉर्म में 0.72 एमएम डेकोरेटिव लेमिनेट की बढ़ती पेशकश ने ग्रामीण बाजारों और शहरों में 0.8 एमएम की बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए संघर्ष शुरू कर दी है।

यह भी स्पष्ट है कि 0.72 फोल्डर नए एप्लिकेशन तक पहुंच रहे हैं, जहाँ पेंट केटेगरी में नए ग्राहकों के आने के बजाय सस्ते 0.6 या लाइनर लेमिनेट का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार 0.72 एमएम ने 0.8 एमएम के सेल्स भी खाना शुरू कर दिया है।

उत्तर भारत में जम्मु काश्मीर से लेकर पश्चिम बंगाल तक प्लाई रिपोर्टर द्वारा किया गए एक सर्वे से यह स्पष्ट है कि यदि किसी लेमिनेट स्टाॅकिस्ट के पास 0.72 मिमी फोल्डर में आकर्षक रेंज के साथ डिजाइन और आकर्षक टेक्सचर दिए जा रहे हैं, तो वह इसे छोटे फर्नीचर और ग्रामीण बाजार में बढ़ावा दे रहा है क्योंकि यह 0.8 लेमिनेट की कीमत की तुलना में बेहतर मार्जिन प्रदान करता हैं और तेजी से बढ़ रहा है।

सर्वे में एक बात साबित हो गया कि उत्तर भारत में कई नए कारखानों के साथ बाजार में 0.8 मिमी लेमिनेट की अच्छी ग्रोथ है। इसकी सफलता के साथ, कई नए और वॉल्यूम प्लेयर्स 0.72 एमएम केटेगरी को चुन रहे हैं, जो बढ़ती मांग को तत्काल पूरा करने का एक आसान तरीका है।

एक डीलर ने यह बताया कि वह इस उत्पाद को 0.8 एमएम रेंज के बराबर बेचतें हैं और उनकी प्रति शीट मार्जिन भी उतना ही है। सर्वे से संकेत मिलता है कि अधिक से अधिक डीलर/स्टाॅकिस्ट इस तरह के इकोनॉमिकल ग्रेड लेमिनेट की तलाश कर रहे हैं क्योंकि इसे बेचना आसान है और इससे उनके मार्जिन भी बरकरार रहते हैं।


0.72 एमएम लेमिनेट किनको पसंद हैं?

इसकी लागत प्रभावित है जो लेमिनेट मैन्युफैक्चरर्स सहित चेन में सभी के लिए काम कर रहा है। जब तक कोई मैन्युफैक्चरर इस थिकनेस को सही व व्यावहारिक मानता है और कमाई कर रहा है, वह इसका उत्पादन करता रहेगा। जिस दिन कच्चे माल की कीमतें अपना रंग दिखाएंगी, मैन्युफैक्चरर्स बैकऑउट कर जाएगा क्योंकि तब उनके पास जोखिम उठाने के लिए ज्यादा अवसर नहीं होगा। हालाँकि, डिस्ट्रीब्यूटर और डीलर निश्चित रूप से इस प्रोडक्ट कटेगरी को मनी बैलेंसर मानते है। आम तौर पर यह उनके जरूरी खर्च में सहयोग कर रहता है। डीलर को भी 0.72 एमएम से अच्छा फायदा मिलता है इसलिए वे इसमें रुचि ले रहे हैं और बिक्री बढ़ा रहे हंै।

इकोनॉमिकल ग्रेड पसंद करने वाले ग्राहक पहले की तरह ही 0.8 एमएम के बारे में पूछ रहे हैं, लेकिन डीलर व् खुदरा विक्रेता 0.8 एमएम की तुलना में सस्ती कीमत बताकर 0.72 एमएम की बिक्री पर जोर दे रहे हैं। वास्तव में 0.72 एमएम रेंज कलर/ डिजाइन/टेक्सचर के मामले में उतना बड़ा नहीं है जितना कि 0.8 एमएम तो कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स का कहना है कि ग्राहकों को थिकनेस के बारे में कुछ नहीं पता होता। यह केवल कीमत और उसे खर्च करने की क्षमता का मामला है।

0.8 एमएम से लगभग 15 फीसदी सस्ती कीमत के साथ, ये लेमिनेट्स रिटेलर को अतिरिक्त मार्जिन दिलाता हैं, इस प्रकार यह  इस चेन में शामिल सभी स्टेक होल्डर को प्रतिस्पर्धा में अस्थायी राहत प्रदान करता हैं। लेकिन विशेषज्ञों की चेतावनी है कि 0.72 एमएम लेमिनेट की बढ़ती पेशकश एचपीएल उद्योग को नुकसान पहुंचाएगी और भविष्य में कई मिड सेगमेंट ब्रांडों की स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी। तत्काल तो यह 0.8 एमएम लेमिनेट रेंज को नुकसान पहुंचाएगा लेकिन लम्बे समय में, उत्पादकों की स्थिरता, उत्पादकता और अंततः उत्पाद को भी प्रभावित करेगा।

एक अनुमान के अनुसार यह मध्य भारत में 0.8 एमएम के बाजार का लगभग 15 फीसदी कवर कर चुका है। 0.72 एमएम सेगमेंट में यह नया चलन अच्छा है लेकिन अगर बबल और पीलिंग आॅफ जैसी शिकायतें आती हैं तो इसकी स्थिरता पर एक प्रश्न चिह्न लग जाएगा। यह उत्पाद रेंज क्वालिटी की पेशकश के साथ बना रहेगा लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा और कम मार्जिन का सामना करना पड़ेगा जैसा कि 1 एमएम और 0.92 एमएम सेगमेंट में हो रहा है। हालांकि, ग्रामीण बाजार इस सेगमेंट में अच्छा कर रहा है और कंपनियां इसकी बढ़ती मांग से उत्साहित हैं। यह 0.8 एमएम सेगमेंट में क्वालिटी उत्पाद को प्रभावित नहीं करेगा। कई कारक जैसे डीलरों की रुचि और सही काउंटर पर उत्पादों का सही प्लेसमेंट निश्चित रूप से इसकी खपत को बढ़ाएगा क्योंकि लोग कॉस्ट इफेक्टिव उत्पाद ही चाहते हैं।

निष्कर्षः

स्टैण्डर्ड थिकनेस भारत के प्रतिस्पर्धी लेमिनेट बाजार में व्यवहार्य, बढ़ते रहने के लिए सबसे अच्छा और सबसे सुरक्षित तरीका होगा। मौजूदा बाजार की प्रवृत्ति 0.7 एमएम रेंज को विस्तार देगा जिससे अल्पकालिक राहत भी मिलेगी लेकिन यह केवल कुछ ही इंडस्ट्रीज जिनकी मैनुफैक्चरिंग कैपेसिटी हर महीने 12 लाख एचपीएल शीट हैं को ही फायदा पहुंचेगा। इस कटगरी में उतरने से कुछ त्वरित फायदा हो सकता है लेकिन निश्चित रूप से लंबे समय में इसका लेमिनेट उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। वास्तव में सस्ता माल बनाने वाले निर्माता मुश्किल मेंपड़ जाएंगे क्योंकि हर दूसरे दिन उतार-चढ़ाव से जोखिम बहुत अधिक है। यह ऐसी कड़वी दवाई है जिसे बहुत कम लोग खाना चाहेंगे और जीवित रहने में सक्षम होंगे।

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