कोविड की पहली लहर की तुलना में, दूसरी लहर के चलते वुड और डेकोरेटिव पैनल सेक्टर में पहली तिमाही में डिमांड कम प्रभावित होने की खबर है। अप्रैल से जून 2020 तक संपूर्ण लॉकडाउन के कारण वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही बुरी तरह प्रभावित हुई थी, जिससे रेवेन्यू कलेक्शन मामूली रहने की खबर थी, लेकिन दूसरी लहर में, वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही अप्रैल से जून 2021 तक, पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले रेवेन्यू कलेक्शन पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है।
उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रेवेन्यू कलेक्शन 50 से 60 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है। ज्ञातव्य है कि अप्रैल में सेल्स रेवेन्यू लगभग 85 फीसदी दर्ज की गई थी क्योंकि अधिकांश बाजार खुले थे, जबकि मई में प्लाइवुड और लेमिनेट की मांग पर बहुत अधिक प्रभावित होने की खबरहै, इस अवधि में वे शायद ही अपने घरेलू बाजार के 30 फीसदी तक पहुंचे। लेकिन जून के पहले सप्ताह से कोविड के मामले घटने के कारण बाजार खुलने लगा तो वुड पैनल की मांग में रिकवरी दर्ज की गई, हालांकि दक्षिण भारत के बाजार में जून में भी लॉकडाउन था। पर उद्योग के सूत्रों के अनुसार उम्मीद है कि जून की मांग 60 फीसदी तक पहुंच जाएगी।
वुड पैनल इंडस्ट्री के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि जुलाई के बाद जब लेवर और पेमेंट के परिदृश्य कोविड 2 के पहले के स्तर तक सुधर जाएगा तो बाजार में डिमांड बेहतर होगा। विभिन्न कच्चे माल जैसे लकड़ी, केमिकल आदि की\ बढ़ती कीमतें, वुड और डेकोरेटिव पैनल उत्पादों की कीमतें निश्चित रूप से बढ़ेंगी, लेकिन कच्चे माल की बढ़ती कीमतें और तैयार उत्पाद की मांग कम होने के कारण उद्योग के लोग चिंतित हैं। हालांकि अन्य बिल्डिंग मेटेरियल उत्पादों जैसे स्टील, पेंट आदि की बढ़ती कीमतें उन्हें कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर कर रही है। उद्योग जगत का मानना है कि जुलाई में मांग में सुधार के बाद इनकी कीमतें आसानी से स्वीकार हो जाएंगी।