प्लाईवुड इंडस्ट्री के औद्योगिक अपशिष्ट, प्रदूषण और पर्यावरण गुणवत्ता मानक

person access_time4 18 July 2021

प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग में वेस्ट मटेरियल निकलना लाजमी है।जिसे दो भागों में बाँट सकते हैं, जैसे प्राथमिक और द्वितीयक वुड प्रोसेसिंग के वेस्ट मटेरियल। सॉ मिल, प्लाईवुड और पल्प तथा पेपर इंडस्ट्री से निकलने वाले अपशिष्ट प्राइमरी कहलायेंगे, जो प्लाईवुड उद्योग से निकलने वाले कचरे जैसे कोर, स्पर ट्रिम, राउंड अप, क्लिपिंग, ट्रिमिंग, सॉ डस्ट, सैंडर डस्ट के रूप में हो सकताहै। सामान्य तौर पर, प्लाईवुड उद्योग से निकलने वाला कचरा  लगभग है। 40-50 फीसदी होता है। प्लाईवुड उत्पादन में लगभगसभी प्रक्रिया में कुछ ना कुछ कचरा पैदा होते हैं। प्लाईवुड उद्योग से निकलने वाले कचरे कई प्रकार के होते हैंः

 

सॉलिड वेस्ट

प्लाईवुड उद्योग में सॉलिड वेस्ट लगभग सभी मशीन से निकलते है, जिससे इसकी मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो कुल लॉग का 40 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। उत्पादन प्रक्रिया में सॉलिड वेस्ट ज्यादा होने के चलते सभी प्लाईवुड कंपनियों को इसके सही उपयोग करने की जरूरत पड़ती है। प्लाईवुड के उत्पादन में उत्पन्न सॉलिड वेस्ट जैसे लॉग साल्वेज, लॉग इन्ड, सॉ डस्ट, वुड बार्क, किनारा, बचा हुआ पील, बचे हुए लॉग के टुकड़े, विनियर के बचे हुए टुकड़े, वैसे विनियर जो स्टैण्डर्ड नहीं है, कोर के बचे हुए टुकड़े, रिजेक्टेड कोर, ग्लू सॉलिड, ग्लू स्पिल, साइड पैनल के बचे हुए टुकड़े, स्लैब, सैंडर डस्ट, डब्ल्यूडब्ल्यूटीयू (अपशिष्ट जल उपचार इकाई) के कीचड़, बॉयलर के राख, पैकेजिंग पेपर, फिल्म फेस, और पॉलिएस्टर कोटिंग के अवशिष्ट इत्यादि शामिल हैं। प्लाईवुड उत्पादन में सॉलिड वेस्ट ज्यादा निकलते है जिनमें वुडवेस्ट के आलावा लेवर के काम काज से निकलने वाला अपशिष्ट जैसे कागज के टुकड़े, टिसू और प्लास्टिक भी होते है, क्योंकि किसी प्लाईवुड उद्योग में आम तौर पर बड़ी संख्या में लोग कामकरते है। प्लाईवुड उद्योग में पैदा होने वाले सॉलिड वेस्ट को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं।

(ए) प्लाईवुड उत्पादन के लिए लॉग की संख्या और उसकेकंडीशन, (बी) प्रोसेसिंग के तरीके और आगे के उत्पादन के लिए वुड वेस्ट की मात्रा, (सी) मशीन डैन (डी) लेवर की संख्या जिनसेडोमेस्टिक सॉलिड वेस्ट पैदा होते है।

 


लिक्विड वेस्ट

प्लाईवुड उत्पादन से लिक्विड वेस्ट ‘तरल अपशिष्ट आमतौर पर केवल ग्लू स्प्रेडर और अन्य उपकरणों की धुलाई से उत्पन्न होता है। लिक्विड वेस्ट में केवल पानी और एडहेसिव में उपयोग की जाने वाले मटेरियल होते है।जैसे ग्लू स्प्रेडर के लिक्विड वेस्ट मेंउपयोग किये गए एडहेसिव के प्रकार के अनुरूप मटेरियल होते है। उदाहरण के रूप में यूरिया फॉर्मल्डिहाईड एडहेसिव में इंडस्ट्रियल फ्लोर, काओलिन, हार्डनर, फिलर इत्यादि का यूरिया फॉर्मल्डिहाईड रेजिन होता है। अन्य प्रकार के एडहेसिव में, अंतर केवल इस्तेमाल किए गए रेजिन पर है, जैसे मेलामाइन फॉर्मल्डिहाईड रेजिन और फिनोल फॉर्मल्डिहाईड रेजिन। हालांकि, सामान्य तौर पर सभीएडहेसिव में सबसे ज्यादा रेजिन ही होती है, जो कुल मात्रा का 70 से 80 प्रतिशत तक पहुंच जाती है।

प्लाईवुड इंडस्ट्री से निकलने वाले लिक्विड वेस्ट में आम तौरपर पीएच, बीओडी (जैविक ऑक्सीजन मांग), सीओडी (रासायनिकऑक्सीजन मांग), टीएसएस, फिनोल और अमोनिया ज्यादा होता है। इसलिए लिक्विड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट वहां पैदा होने वाले वेस्ट के अनुसार निर्धारित की जाएगी। उसके अनुसार ही ट्रीटमेंट के तरीकों और जरूरी उपकरण भी तय की जा सकती है। प्लाईवुड उद्योग में, लिक्विड वेस्ट उत्पादन के कारक हैं (ए) एडहेसिव बनाने में उपयोग किये जाने वाले मटेरियल के प्रकार, (बी) उपकरण और उत्पादन मशीनों की धुलाई में उपयोग किए जाने वाले पानी की मात्रा, (सी) उपयोग की गई ग्लू की बदलने की आवृत्ति (घ) उपयोग की गई उत्पादन प्रणाली/प्रक्रिया (सूखा/गीला) के डेन  (ई) कर्मचारियों की संख्या जो डोमेस्टिक वेस्ट और जल की मात्रा को प्रभावित करते है। 

 

प्रदूषण और पर्यावरण गुणवत्ता मानक

प्रदूषण पर्यावरण में जीवित चीजों, पदार्थ, ऊर्जा और अन्य घटकोंके आने और मानवीय गतिविधियों या प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा पर्यावरण के क्रम में परिवर्तन है, जिससे पर्यावरण की गुणवत्ताएक निश्चित स्तर तक घट जाती है जिससे पर्यावरण क्षमता केअनुसार कार्य नही करने या कम होना ही प्रदूषण है। मूल रूपसे एक उद्योग के काम काज में इनपुट को आउटपुट में प्रोसेस करना है। इंडस्ट्रियल पॉलुटेंट के स्रोतों का अवलोकन और इसके प्रकार पर विचार कर इनपुट, और आउटपुट प्रोसेस में लागू कियाजा सकता है।

उद्योग के प्रदूषण में कारखाने से निकलने वाले कचरे खतरनाक और जहरीले पदार्थों से भरा होता है। प्रदूषक प्राकृतिक पारिस्थितिकीतंत्र का घटक हवा, पानी और मिट्टी के माध्यम से बाहर निकलतेहैं। कारखानों से निकलने वाले कचरे को प्रदूषण के स्रोत के रूपमें पहचाना जा सकता है, और इसके प्रकार, मात्रा और एक्सपोजररेंज की पहचान करना आवश्यक है। पानी का अत्यधिक उपयोग,वैसे डिस्पोजल सिस्टम जो गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करती हैं, और कम कुशल कर्मचारी कुछ ऐसे कारक हैं जिनसे प्रदूषणफैलने पर विचार किया जाना चाहिए। प्लाईवुड उद्योग में इस तरहकी विभिन्न गतिविधियों से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए, गुणवत्ता मानकों को निर्धारित कर प्रदूषण नियंत्रित करना आवश्यक है।

 

प्लाइवुड उद्योगों से निकलने वाले लिक्विड वेस्ट के विश्लेषण के परिणाम सामान्य रूप से उस गुणवत्ता को दर्शाते हैं जो प्लाइवुड उद्योग के लिए होनी चाहिए, जांच में पता चला यह नदी के पानी की गुणवत्ता से भी कम थी। इसलिए, प्लाईवुड उद्योग ने डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी (अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र) में इसे उपचारितकर नदी में छोड़ा गया ताकि नदी में जाने वाले लिक्विड वेस्ट नदीजल के निर्धारित थ्रेसहोल्ड लिमिट को पूरा कर सके।

खतरनाक और जहरीले वेस्ट के रिसायक्लिंग और किसी भी चीज में पुनः उपयोग से बचना ही बेहतर है। कारखाने से निकलने और पर्यावरण में जाने वाले कचरे को प्रदूषण के स्रोत के रूप में पहचाना जा सकता है, और इसके प्रकार की पहचान करना आवश्यक है। इसका लोगों के स्वस्थय पर सबसे बड़ा जोखिम सतह और भूजलका दूषित होना है, जो मुख्यतः वेस्ट के रिसाव और लिक्विड वेस्टके गहरे कुएं में डिस्पोज करने से होते है। इस तरह के पर्यावरणीयक्षरण को रोकने के लिए, औद्योगिक गतिविधि और उद्योग से उत्पन्न कचरे के डिस्पोजल के लिए पर्याप्त नियंत्रण, तंत्र काअभिन्न अंग होना चाहिए।
 

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