Sea Freight Troubles Continue, Import and Export Both Affected

person access_time4 19 October 2021

भारत में प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग के लिए विनियर कम्पोजिंग मशीनें नई नहीं हैं। विभिन्न प्रतिष्ठानों ने ताइवान, चीन आदि से आयातित कोर कम्पोज़र मशीन लगा रखी हैं। शुरू में कंपोजरों में कीमतें, आपरेटरों के कौशल, रखरखाव आदि से संबंधित कई तरह की खामियां थी, जो वांछित परिणाम नहीं देते थे, लेकिन इन मशीनों को भारत में इसके संचालन के अनुसार ठीक किया गया और बाद में अपनाया गया।

भारतीय प्लाइवुड उद्योग में मुख्य रूप से ब्रांडेड और सेमी-ब्रांडेड प्लेयर्स के पास कोर कंपोजर हैं, जिन्हें ‘‘कंपोज्ड कोर“ प्रकार की अच्छी गुणवत्ता वाले प्लाइवुड उत्पाद बनाने से बाजार में अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। वर्ष 2017-2018 के दौरान, भारतीय प्लाइवुड उद्योग इन मशीनों के बारे में काफी चर्चा हुई थी, जब कुछ मशीन आपूर्तिकर्ताओं ने भारत में इन मशीनों की पेशकश जोर शोर से करने लगे। उस समय यह उम्मीद की जा रही थी कि 2018 तक लगभग 250 इकाइयों में कम से कम एक कोर कंपोज़र इनस्टाॅल होगा। हालांकि यह तेज़ी से 130 यूनिट्स तक हुआ, इसके बाद धीमा पड गया।

अभी बहुत से लोग इन कंपोज़र्स को चलाते हैं, कई लोग इम्पोर्टेड कंपोजर खरीदने की प्रक्रिया में हैं और कुछ ऐसे हैं जो खरीदे और इनस्टाॅल भी किए लेकिन उन्हें नहीं चला रहे हैं। कंपोज़र्स की सफलता और असफलता के पीछे कई कारण हैं, जिनकी वजह से कई इकाइयाँ सफलतापूर्वक चल रही हैं, लेकिन कुछ के यहाँ बंद हो गई। प्लाई रिपोर्टर आपको भारतीय संदर्भ में संबंधित बाजार की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर एक संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत कर रहा है ...

कई भारतीय मशीन आपूर्तिकर्ता जैसे कल्याण इंडस्ट्रीज, चोपाल टिम्बर कंपनी (सीटीसी), स्टार मशीनरी, आदि प्रमुख हैं जो देश में कोर कंपोजर की पेशकश कर रहे हैं। वे सभी इसकी प्रासंगिकता के बारे में आशावादी हैं, इसके अलावे उनकी राय यह है कि ’वर्तमान बाजार की स्थिति तेज गति के साथ आगे बढ़ने के लिए सपोर्ट नहीं कर रही है क्योंकि लोग पूछ तो रहे हैं और बाते भी बहुत कर रहे हैं, लेकिन वे उद्योग के परिदृश्य के चलते कोर कंपोजर के इंस्टालेशन के बारे उतने ही आशंकित हैं। इसके कई और कारण स्पष्ट हैं, जैसे उनमें से कुछ उद्योगों ने हाल ही में नई मशीनें लगाकर उत्पादन को बढ़ाया हैं जिसमें उनका पैसा काफी निवेश हो गया है, और नए उद्यमी अभी तक इसके फायदे से अनजान हैं, यहां तक कि कोर कंपोजऱ के फायदे उठाने के लिए तैयार भी नहीं हैं, इसलिए वे मैन्यूअल प्रोसेसिंग जारी रखने के बजाय कम्पोजर लाइन में निवेश नहीं करना चाहते हैं।

कोर कम्पोजर को वैसी ही स्थिति का सामना करना पड रहा है जो वाइड बेल्ट सैंडर को शुरुआती दिनों में देखने को मिली थी। शुरुआत में, लोगों ने वाइड बेल्ट सैंडर लगाया था, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे थे क्योंकि वे इसके लिए तैयार नहीं थे या उनका कौशल उस स्तर तक नहीं था। लेकिन बढ़ती जागरूकता और गुणवत्ता की मांग के साथ, इस मशीन की उपयोगिता प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों के लिए आवश्यक मशीनों में से एक बन गई। कोर कंपोजर बेचने वाली कंपनियों को उम्मीद है कि बढ़ती जागरूकता के साथ, और कंपनी की इच्छा तथा बदलते बाजार की गतिशीलता, प्लाइवुड निर्माताओं को तीन से चार वर्षों में कोर
कंपोजर को अपनाने के लिए मजबूर करेगी।

कल्याण इंडस्ट्रीज के श्री जगमोहन सिंह के अनुसार, उन्होंने 2006 में भारत में पहली बार कोर कंपोज़र पेश किया था। यह वह समय था जब लोग जागरूक नहीं थे, लेकिन आज लोगों ने विभिन्न मॉडलों की पेशकश की उपयोगिता, कीमत और लाभ के बारे में पूछना शुरू कर दिए हैं। श्री जगमोहन सिंह कहते हैं कि हमारे पास कोर कंपोजरों की अच्छी रेंज है, जो लोग मशीन के महत्व को समझते हैं वे इसे इनस्टॉल कर रहे हैं, अभी भी उनमें से कई ’वेट एंड वाॅच’ की स्थिति में हैं और विनियर कोर कंपोजर इनस्टॉल करने के लिए अपना मन नहीं बना पाए हैं। कई गलत धारणा के शिकार हैं, तो कई पहले जोखिम उठाने से डरतें हैं।

सीटीसी ने 2017 में भारत में कोर विनियर कंपोजर पेश किया। सीटीसी के श्री गौरव चोपाल कहते हैं, जब उत्पाद को बाजार में पेश किया गया था, तब कम मांग थी और लोग इसे स्वीकार नहीं कर रहे थे क्योंकि विनियर की कम्पोजिंग एक मिथक थी। एक महंगे उत्पाद होने और उद्योगों से मिश्रित समीक्षा मिलने के बाद, यह अभी भी स्थिर है लेकिन इस मामले में उद्योगों जानने व समझने को इच्छूक हैं। समय के साथ, लोगों को इसकी गुणवत्ता और वर्कफ़्लो के बारे में पता चल रहा है और जब यमुनानगर व पंजाब में कोर कंपोज़र स्थापित किए गए, तो मांग अच्छी हो गई। श्री चोपाल के अनुसार, एक्जीविशन में डिस्प्ले के बाद, विनियर कोर कंपोजर की स्वीकृति बढ़ी और धीरे-धीरे वे अब आर्डर में परिवर्तित हो रहे हैं।

स्टार मशीनरी के श्री विशाल गाबा ने कहा कि कोर विनियर कंपोजर उन कंपनियों में सफल होते हैं जो टॉप लेयर के उपयोग में तकनीकी रूप से जानकार हैं। यदि टॉप लेयर यूकेलिप्टस है तो बेहतर प्रभाव के लिए कम्पोज्ड कोर को स्टैण्डर्ड ग्लू की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफेदा का कोर फैलता है और कोर का ओवर बिना स्पेसिफिक ग्लू के चलते दिखाई देता है। दूसरी बात यह है कि यदि टॉप लेयर पोपलर है, तो यह किसी भी रेजीन के साथ ठीक रहता है और बेहतर प्रभाव देता है। कोर कंपोजर लागत की बचत के साथ साथ मेटेरियल की बेहतर गुणवत्ता और तेजी से प्रोडक्शन करने की सुविधा प्रदान करता है।

एक साल पहले इसकी अच्छी मांग थी, जब बाजार की स्थिति अनुकूल थी। चूंकि वर्तमान बाजार की स्थिति और पेमेंट की दिक्क्तों ने मांग को कम कर दिया है और निर्माताओं के मूड को प्रभावित किया है, इसलिए वे मशीनों में नए निवेश करने में संकोच हो रहे है। वर्तमान में मांग मूल रूप से संगठित क्षेत्र की कंपनियों से आ रही है। ब्रांडेड और सेमी-ब्रांडेड प्लेयर्स ने शुरुआत से ही उद्योग में इनोवेशन और सुधार का नेतृत्व किया है और कोर कंपोजर के मामले में, यह उसी तरह है जैसे कल्याण इंडस्ट्रीज के श्री जगमोहन ने कहा है।

इसी तरह की प्रतिक्रिया और बाजार ने उसी भावना को तब भी व्यक्त किया जब प्लाई रिपोर्टर इस स्टोरी पर काम कर रहा था। यह स्पष्ट था कि फूल कोर मेटेरियल के उत्पादन में गहरी रुचि के बावजूद, अधिक कीमत होने के कारण मशीन सेगमेंट में उनकी रुचि कम हुई। एक बड़े ब्रांड के निदेशक ने कोर कंपोजर की मांग पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आर्गनाइज ब्रांड ने अपनी कुल उत्पादन प्रक्रिया को कोर कंपोज़र पैटर्न पर रखा है। उन्होंने बताया कि आउटसोर्सिंग के दौरान, वे बहुत सतर्क रहते हैं इसलिए वे केवल कोर आधारित प्लाइवुड ही बनाते हैं। वह कहते हैं कि जो कंपनियां सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले प्लाइवुड बना रही हैं, वे बिना किसी संदेह के कोर कंपोजर लगा रही हैं। श्री विशाल गाबा ने कहा कि हमने एक साल में लगभग दस कोर कंपोज़र बेचें हैं और उत्तर प्रदेश में आने वाली कई इकाइयों से हमारी बातचीत चल रही हैं। इसके विपरीत, यमुनानगर के निर्माताओं को यूपी में नए संयंत्रों के आने के कारण कच्चे माल की उपलब्धता को लेकर संदेह है, इसलिए यमुनानगर और जगाधरी जैसे क्षेत्र में सेंटीमेंट में गिरावट है। श्री गाबा ने कहा कि पोपलर और सफेदा की लकड़ी की आसान उपलब्धता के चलते उत्तर प्रदेश की कंपनियों के लिए किसी अन्य राज्य की तुलना में अधिक इंक्वायरी की जा रही हैं।

श्री गौरव चोपाल ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार इंडस्ट्री में दिक्क्तों के चलते वर्तमान में पेमेंट और सेल्स संबंधित कई परेशानियों के कारण मांग में लगभग 30 से 40 फीसदी की कमी आई है। हमें बहुत उम्मीद है कि बाजार में मांग और आपूर्ति में सुधार के साथ, कोर कंपोजर की मांग भी अगले स्तर पर पहुंच जाएगी क्योंकि ऐसा ही पीलिंग और वाइड बेल्ट सैंडर्स या स्वचालित डीडी सॉ के मामले में भी हुआ था। विदेशी बाजार में कोर कंपोजर्स के लिए बड़ी संभावनाएं हैं जहां लोगों के पास उच्च गुणवत्ता वाले मेटेरियल की मांग के साथ मैनपावर की कमी है। गैबॉन, इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया, आदि देशों में कई प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां
आ रही हैं, जहां कंपोजर की काफी आवश्यकता है। वे कहते हैं कि अगर कंपनियां या सप्लायर विदेशी बाजार को नहीं देखते हैं तो स्थिति आगे और ख़राब हो सकती है। इसलिए, उद्योग को मेरा सुझाव है कि सीमाओं से परे देखें, जैसा की चीन करता है।

कोर विनियर कंपोजर

कोर विनियर कंपोजर एक ऐसी मशीन है जो गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुड बनाने के दौरान कोर के गैप और ओवरलैप से बचने के लिए कोर विनियर की सिलाई करता है। ये ऐसी दिक्क़ते हैं जिन्हें मैन्युअल प्रोसेसिंग में ठीक नहीं किया जा सकता है। कोर कंपोजिंग कोर को पांच लेयर बाले थ्रेड के साथ कंपोज करके किया जाता है, जिसके अंदर कोर जुड़ता है और इसे अलग-अलग स्पेसिफिकेशन्स में प्लाइवुड बनाने के लिए अलग-अलग जरूरी स्टैंडर्ड साइज में स्ट्रीमलाइन किया जाता है। यहां तक कि विशेषज्ञ मैनुअल हैंडलिंग में ओवर एंड गैप की 10 से 20 प्रतिशत समस्या रह जाती है। कोर कंपोजर 8ग4 या वांछित जरूरतों के सिंगल कोर शीट को इसमें डाले गए सभी सूखे कोर को सिलाई करके बनाता है। कोर कम्पोजर प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग के दौरान तीन प्रमुख फायदे और सुविधाएँ प्रदान करता है ।

वेस्टेज कम करता हैः यह मशीन कोर और रेजीन के वेस्टेज को कम करता है। मैनुअल प्रक्रिया में दोनों तरफ कोर को पांच इंच या उससे अधिक रखी जाती है, जबकि कोर विनियर कंपोजर प्लाइवुड के वास्तविक आकार से सिर्फ दो इंच अधिक रखी जाती है।

गुणवत्ताः यह ओवर और कोर के बीच गैप के बिना उत्कृष्ट आउटपुट देते हैं।

मैनपावर की बचतः प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग के लिए पंद्रह डेलाइट के एक प्रेस को 25 मैनपावर की आवश्यकता होती है, जबकि कोर कंपोजर को केवल एक व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा सकता है, जिसके कारण मैनपावर की बचत 10 से 50 फीसदी तक होती है।

ऐसा लगता है कि वर्तमान की वास्तविक जरूरत उस गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की है जो विदेशी बाजार स्वीकार करता है। भारतीय बाजार आर्थिक विकास के साथ फल-फूल रहा है और व्यापार करने में आसानी से नए रास्ते खुल रहे है। लकड़ी के उत्पादों के लिए चीन पर संयुक्त राज्य अमेरिका का एंटी-डंपिंग ड्यूटी भारतीय उत्पादों को भी एक रास्ता दे सकता है क्योंकि चीन के बाद भारत प्लाइवुड का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। निर्माताओं को गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उद्योग के सतत विकास के लिए विदेशी बाजार की तलाश करनी चाहिए, इस तरह कोर कंपोजर, स्कार्फ जॉइंटर्स, जीरो गैप बोर्ड कंपोजर जैसी नई मशीनें समय की जरूरत हो सकती हैं।

कोर कम्पोज़र का भविष्य और संभावनाए

श्री गौरव का मानना है कि कोर कंपोजर का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि चीन में प्लाइवुड बनाने वाली अधिकांश कंपनियां कोर कंपोजर का उपयोग कर रही हैं। यदि वे निर्माता, जो डेकोरेटिव मेटेरियल में जाने के इच्छुक हैं और जो अंतरराष्ट्रीय प्रवृत्ति के साथ साथ भारतीय उपभोक्ताओं के बदल रहे टेस्ट को भी ध्यान में रखते है, तो उन्हें कोर कंपोजर अपनाना होगा। उदाहरण के लिए अब मेलामाइन पेपर को सीधे प्लाइवुड पर चिपकाया जा रहा है और पार्टिकल बोर्ड में भी ऐसा ही हो रहा है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए कोर कम्पोज़र का उपयोग करना अनिवार्य है, क्योंकि यह कोर गैप और ओवरलैप के बिना अच्छी गुणवत्ता देता है।

श्री विशाल गाबा भी मानते हैं कि इसका भविष्य उज्ज्वल है और चार साल के भीतर यह हर इकाई के लिए आवश्यक हो जाएगा, क्योंकि कई उत्पादक, कोर कंपोजर का उपयोग कर रहे हैं और उनके उत्पादों की स्वीकार्यता व गुणवत्ता मैनुअल बने उत्पादों की तुलना में बेहतर होती जा रही है। यह उत्पादन लागत और मैन पावर के उपयोग को भी कम करता है। श्री जगमोहन कहते हैं कि बाजार के रूख ने उन्हें बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने के लिए मजबूर किया है। वर्तमान स्थिति उन लोगों के लिये एक समान है जो गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ उद्योग सेवाएं देने के इच्छुक हैं और इसके लिये वे तेजी से कोर कंपोजर लगा कर रहे हैं और बेहतर लाभ कमा रहे हैं। जो लोग अभी भी इस बात को नहीं समझते हैं कि उन्हें भी भविष्य में इस सेगमेंट में आना होगा, उन्हें कोर कंपोजर का लाभ देर से मिलेगा।

श्री जगमोहन सिंह कहते हैं कि यह गुणवत्ता वाले उत्पादकों के लिए बाजार में एक उपयुक्त स्थान बना देगा, जैसे वाइड बेल्ट सैंडर के लिये समय लगा था और बाद में जब इसका महत्व समझा गया, तो यह उनकी एक आवश्यकता बन गई। कोर कंपोज़र के साथ भी वैसी ही कहानी है जैसे कुछ लोगों ने इसे लगाया है लेकिन इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं। दूसरा, ग्राहकों की पसंद भी गुणवत्ता वाले उत्पादों की ओर बढ़ रही है, इसलिए, ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्लाइवुड कंपनियों को कोर कंपोजर का उपयोग करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

You may also like to read

shareShare article