एसीपी उद्योग एल्युमीनियम कॉइल के आयात पर एंटी डंपिंग ड्यूटी की सिफारिश के खिलाफ है, क्योंकि उद्योग के प्लेयर्स के अनुसार उद्योग पूरी तरह से कच्चे माल के आयात पर निर्भर है। अगर डंपिंग रोधी शुल्क लागू होता है, तो तैयार माल बहुत अधिक महंगा हो जाएगा। उद्योग पहले से ही बढ़ती माल ढुलाई खर्च और कच्चे माल की बढ़ती कीमत के दबाव में है, जिसके कारण इनपुट कॉस्ट में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है और मार्जिन में भारी कमी आई है।
डीजीटीआर ने 80 माइक्रोन तक के एल्युमीनियम कॉयल के आयात पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। प्राधिकारी द्वारा हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर जांच शुरू की गई थी। कलर कोटिंग पर बहिष्करण के संबंध में, प्राधिकारी के रिपोर्ट के अनुसार घरेलू उद्योग ने इस बात का सबूत दिया है कि यहाँ उत्पाद का उत्पादन होता है और जॉब वर्क के लिए कामगारों को नियुक्त करता है जसमें ग्राहकों के पसंद के अनुसार उत्पादों पर कलर कोटिंग करना शामिल है।
केवल रंग/पेंट के काम करने से उत्पाद को बाहर करने की आवश्यकता नहीं होती है। घरेलू उद्योग को टाइटल ऑफ गुड्स में कोई हिस्सेदारी नहीं है। किसी भी स्थिति में, कलर कोटिंग की लागत बहुत अधिक नहीं है इसलिए, यह कहना गलत होगा कि घरेलू उद्योग कलर कोटेड एल्युमीनियम कॉइल का निर्माण नहीं करता है।
प्राधिकारी द्वारा अपनाए गए कम शुल्क नियम को ध्यान में रखते हुए, डम्पिंग और क्षति के मार्जिन के बराबर डम्पिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करते हैं ताकि घरेलू उद्योग को होने वाली क्षति को दूर किया जा सके। इसलिए प्राधिकारी मूलतः चीन में निर्मित या उससे निर्यातित संबद्ध वस्तु के सभी आयातों पर अध् िासूचना जारी होने की तारीख से निश्चित डम्पिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की।
ामले पर टिप्पणी करते हुए रेनोआर्क के निदेशक श्री पवन गर्ग ने कहा कि सरकार ने एल्युमीनियम कॉइल के आयात पर 35 रुपये प्रति किलोग्राम का अतिरिक्त शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है, चाहे वह किसी देश से या चीन हो। हम एसोसिएशन के स्तर पर इसके खिलाफ लड़ रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि हम पर ये ड्यूटी न थोपी जाए। हमारी टीम इसके लिए वित्त मंत्रालय के संपर्क में है।
क्रॉसबॉन्ड के निदेशक श्री राम अग्रवाल ने इस कदम को डीजीटीआर का पक्षपातपूर्ण निर्णय बताया और कहा डंपिंग रोधी शुल्क लगाने के लिए उनकी मंजूरी सही नहीं है। उन्होंने कहा कि डीजीटीआर ने इस बयान के साथ रिपोर्ट तैयार की है कि याचिाकाकर्ता कलर कोटिंग का काम करके देंगे और एक लाइन ‘‘कलर कोटिंग‘‘ का उल्लेख किया है - जिसमें एंटी-डंपिंग शामिल नहीं है। उन्होंने लगभग 12 फीसदी डम्पिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की है जिससे उद्योग पर खर्च का बोझ बढ़ेगा और उत्पाद ग्राहकों के लिए और महंगा हो जाएगा।
श्री पवन गर्ग ने कहा कि भारतीय एसीपी उद्योग को प्रति माह लगभग 5000 टन एल्युमिनियम कॉइल की जरूरत होती है और यह पूरी तरह से आयात पर निर्भर है क्योंकि देश में कोई भी निर्माता नहीं है जो कलर कोटेड एल्युमीनियम कॉइल देता है। एसीपी शीट बनाने में 40 फीसदी इनपुट कॉस्ट केवल कॉइल से आती है। पिछले एक साल में एल्युमीनियम की कीमत में 100 रुपये प्रति किलो बढ़ी है जो उद्योग के लिए मुश्किल स्थिति पैदा कर रही है।
उन्होंने तर्क दिया कि डम्पिंग रोधी शुल्क लगाने से कीमतें और बढ़ जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा और बाजार किसी भी तरह इसे स्वीकार नहीं करेगा। केवल पिछले दो महीनों में लगभग १७ फीसदी कीमत बढ़ी है और अब चीन के कारण १० फीसदी और बढ़ने की उम्मीद हैं, इसलिए उद्योग पहले से ही काफी तनाव में है।