नवंबर में एसीपी उद्योग के लिए कुछ सकारात्मक बदलाव होने लगा, क्योंकि एल्युमीनियम कॉइल्स की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर में सिर्फ 15 दिनों में एल्युमीनियम कॉइल्स की कीमतें 15 फीसदी तक गिर गई हैं। उद्योग के सूत्रों का कहनाहै कि कॉइल की कीमतों में नरमी से उद्योग को आने वाले महीनों में अपना मार्जिन बनाए रखने में मदद मिलेगी, जब मेटेरियल उनके कारखाने तक पहुंच जाएगी। उद्योग के सूत्रों ने पुष्टि की है कि वे अन्य कच्चे माल के साथ-साथ कॉइल में काफी तेजी के कारण सितंबर-अक्टूबर महीने में असमंजस की स्थिति में थे और कीमतवृद्धि को पूरी तरह से बाजार में पारित करने में असमर्थ थे, अब कॉइल्स की कीमतों में नरमी के बाद वे राहत की सांस ले रहे हैं। सितंबर महीने में प्लाई रिपोर्टर के अध्ययन के अनुसार, एसीपी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर उच्च कीमतों और एल्युमीनियम कॉइल की कम आपूर्ति के कारण असमंजस की स्थिति में था, जब उद्योग ने कहा कि जहां, अगर यह बंद हो जाता है, तो नुकसान होगा और अगर यह चलता है, तो भी नुकसान होगा।
ज्ञातव्य है कि एल्युमिनियम कॉइल, एल्युमिनियम कम्पोजिट पैनल बनाने का मुख्य कच्चा माल है जो कि फसाड और साइनेज सेक्टर में उपयोग किया जाता है। भारत में विभिन्न बाजारों में बढ़ती मांग के कारण एल्युमीनियम कंपोजिट पैनल मैन्युफैक्चरिंग भी विशेष रूप से पिछले 5 वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है। टॉप कोटिंग में इस्तेमाल किया जाने वाला एल्युमीनियम कॉइल एक प्रमुख मेटेरियल हैजिसकी कीमतों में अगस्त-सितंबर में लगभग 40 फीसदी की तेजी थी। कीमतों में काफी जयादा तेजी के साथ, एसीपी बनाने वाली कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुईं, इस प्रकार एसीपी की मैन्युफैक्चरिंग और बाजार में सप्लाई भी प्रभावित हुई थी।
ज्ञातव्य है कि 40 मैन्युफैक्चरिंग इस्टैब्लिशमेंट के साथ, भारतीय एसीपी उद्योग सालाना लगभग 2000 करोड़ रुपये का कारोबार करता है। यदि वे अच्छी गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का उत्पादन करते हैं, और अपने बाजार के विकास के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं तो भारत में इसके ग्रोथ की काफी सम्भावना हैं और केवल क्षमता वृद्धि ही ग्रोथ के लिए पर्याप्त नहीं है।