उत्तर भारत में पीलिंग ग्रेड टिम्बर की कमी की संभावना

person access_time3 17 February 2022

प्लाई रिपोर्टर द्वारा ‘उत्तर भारत में लकड़ी की कमी‘ पर आयोजित एक वेबिनार में विशेषज्ञों ने स्पष्ट रूप से 2025 तक उत्तर भारत में पीलिंग ग्रेड टिम्बर की भारी कमी होने के संकेत दिये हैं। उन्होंने कहा यह स्थिति सिर्फ आज नहीं है, बल्कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश स्थित उद्योगों के लिए पहले से ही एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह स्पष्ट है कि उत्तर भारत में लकड़ी की आपूर्ति और मांग में असंतुलन से कीमतें और बढ़ेगी, और अगली कुछ तिमाहियों में प्लाइवुड की कीमतों में कम से कम 10-12 फीसदी बढ़ने की सम्भावना है, क्योंकि केवल तब ही प्लाईवुड उद्योग टिके रह सकते है।

उक्त वेबिनार में विशेषज्ञों ने बताया कि पोपलर और सफेदा के प्लांटेशन के परिदृश्य को देखते हुए, लकड़ी की कमी 2025-26 तक ठीक होने की सम्भावना है। बाद में कीमतों में नरमी आएगी और वर्ष 2028 तक पीलिंग ग्रेड टिम्बर की उपलब्धता आसान हो सकेगी और कम से कम 2032-33 तक कीमतें संतुलित रहेंगी। तब तक वुड पैनल उद्योग की परिपक्वता किसानों को प्लांटेशन टिम्बर के लिए सहयोग देने योग्य होना अनिवार्य है। इस अवलोकन का आधार पिछले 30 वर्षों में लकड़ी की उपलब्धता के चक्र और इसकी कीमतों में उतार चढाव का अध्ययन है। यह भी माना जाता है कि वुड पैनल इंडस्ट्री कीमत की स्थिरता के लिए कुछ नया नहीं करते और बाजार में उपलब्ध कीमत के अनुसारही आगे बढ़ते जाते हैं।

कमी इसलिए है क्योंकि उद्योग और किसानों के बीच समन्वय ठीक नहीं है, जिससे स्थिति और फसल चक्र के अनुसार ऊंची और निची कीमतों के साथ व्यापार में काफी व्यवधान पैदा होता है। अन्य व्यावसायिक फसलों के मुकाबले प्लांटेशन में अच्छी कमाई कराने के साथ उनकी सहायता से स्थिरता प्राप्त की जा सकती है। दूसरे यदि खरीददारी की कीमतें स्थिर रहती है, तो किसानों को विकल्प तलाशने की जरूरत नहीं होगी और वे क्वालिटी टिम्बर के लिए प्लांटेशन का लम्बा रोटेशन करना भी मुश्किल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उद्योग के पास पहले से स्थापित आईटीसी मॉडल को अपनाने के तीन विकल्प हैं। पैनल इंडस्ट्री अगर सस्टेनेबल प्राइस पर 30 फीसदी बायबैक करें तो लकड़ी का उत्पादन निश्चित रूप से बढ़ेगा। हम जब मूल रूप से उत्तर भारत में लकड़ी की कमी की बात करते हैं, तो इसका मतलब पीलिंग ग्रेड टिम्बर की कमी से है। विशेषज्ञों ने कहा कि एमडीएफ और अन्य यद्योग इतनी बुरी तरह प्रभावित नहीं हैं।

उत्तर भारत में 17 इंच से ऊपर गर्थ की लकड़ी की कीमत 1100/1200 रूपये तक है फिर भी पर्याप्त मात्रा में लकड़ी नहीं है। छोटे पीलिंग लॉग जो 7 इंच से ज्यादा के होते हैं उसे बाजार में उपलब्ध कराए जाते हैं, जो प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग के लिए कोर विनियर की लागत को बनाए रखने में सक्षम नहीं होते हैं।
 

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