प्लाइवुड और डोर इकाइयों के लिए कोर विनियर की लागत में भारी वृद्धि के कारण उत्तर भारत के प्लाइवुड उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पिछले 4 महीनों के भीतर कोर विनियर की कीमतों में 25 फीसदी से ज्यादाकी वृद्धि देखी गई है।
लकड़ी की उपलब्धता बेहद कम बताई जा रही है और वुड बेस्ड इंडस्ट्रीज को काफी ऊँचे रेट पर कम गर्थ के पोपलर व् सफेदा के लॉग खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। लकड़ी की किसी भी प्रजाति में पिछले साल भर कमी देखी गई और उपलब्धता की कमी के परिदृश्य नियमित तौर पर रहे। यमुनानगर स्थित प्लाइवुड निर्माता को लगता है कि कोर विनियर की लागत अब उन्हें उत्पादन बंद करने को मजबूर कर रही है।
इस साल पोपलर की कीमतें 1100 के स्तर को पार कर गई हैं, जबकि अच्छी क्वालिटी का सफेदा 750 के स्तर के आसपास है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, केरल में रबड़ वुड की कीमतें भी समान स्तर पर हैं। जबकि विशाखापत्तनम और कोलकाता स्थित प्लाइवुड उद्योगों के लिए वास्तविक कीमत उत्तर भारत स्थित इकाइयों की तुलना में कम बताए गए हैं। आंध्र प्रदेश के दक्षिणी क्षेत्रों, गुजरात और यहां तक कि कर्नाटक में, कोर विनियर की कीमत वर्तमान में उत्तर भारत की कीमत की तुलना में 18 फीसदी सस्ती है। बदलता परिदृश्य अन्य क्षेत्रीय इकाइयों की मदद कर रही है लेकिन उत्तरभारत स्थित प्लाईवुड प्लांट को काफी पीछे धकेल रही है।
पंजाब, हरियाणा में लकड़ी आधारित नए उद्योगों के आने और उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड में हो रहे विस्तार से प्लाईवुड उद्योग निश्चित रूप से अगले 2-3 वर्षों के लिए काफी असंतुलन कीओर बढ़ रहा हैं। प्लाई रिपोर्टर का मानना है कि लकड़ी के संकट से प्लाईवुड उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि प्लाइवुड बाजार अभी तक प्लाइवुड की किसी भी कटेगेरी में कीमतें बढ़ने का सहयोग नहीं कर रहा है। उत्तर भारत स्थित उद्योग को बनाए रखने के लिए, 12 से 14 फीसदी की कीमत में वृद्धि जरूरी है, चाहे वह अभी हो या बाद में।