एक इंडस्ट्री के रूप में प्लाईवुड सेक्टर को हर तरफ से जबरदस्त दबाव का सामना करना पड़ रहा है। कुछ महीनों से टिम्बर की कीमतें चिंता का विषय बनी हुई है, अब रूस यूक्रेन युद्ध के चलते पैदा हुई अस्थिरता से भी सभी केमिकल और फ्यूल की कीमतों में काफी तेजी आई है। कच्चे माल के लिए बढ़ते खर्च का दबाव वुड बेस्ड और डेकोरेटिव सरफेस इंडस्ट्री में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ने वाला है, जो व्यापार को फिर से अस्थिरता की स्थिति की ओर धकेलने को मजबूर करेगा। बावजूद इसके, मार्केट में नए रेट लागू नहीं हो पा रहे हैं जो आगे चलकर होना जरूरी है।
आइरन, इस्पात, सीमेंट, ग्लास, रूफिंग शीट्स, एसीपी, पीवीसी आदि से जुड़े उद्योग में कीमतों में तेजी देखी जा रही है, लेकिन वुड पैनल सेक्टर में ऐसा अभी तक देखने को नहीं मिल रहा है। वुड बेस्ड इंडस्ट्री, बड़े पैमाने पर बटी हुई और असंगठित होने के कारण, खुद को गला काट प्रतियोगिता का सामना करते हैं, इस प्रकार प्लाई-लैम सेक्टर में मुनाफे पर इस तिमाही काफी दबाव रहने के साथ-साथ अस्थिरता पैदा होना तय है। इसके अलावा, यूरोपमें पैदा हो रहे ऊर्जा संकट के चलते कच्चे माल का खर्च और बढ़ने वाला है।
पिछले 1-2 महीनों में, प्लाईवुड का इनपुट कॉस्ट इस तरह से प्रभावित हो रहा है कि कोर की लागत के आधार पर सेल्स प्राइस में लगभग 12 से 16 फीसदी बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन बाजार में अभी तक कच्चे माल के खर्च का प्रभाव पूरे तौर पर पारित नहीं हो सका है। आने वाले सप्ताह में, प्लाईवुड, हाई प्रेशर लेमिनेट, पीवीसी लेमिनेट, एसीपी आदि सभी केटेगरी में कीमतों में और वृद्धि की घोषणा होगी, इसे कोई रोक नहीं सकता।
मौजूदा परिदृश्य निश्चित रूप से किसी भी व्यवसाय के लिए ठीक नहीं है क्योंकि यह उपभोक्ताओं की स्पष्टता को प्रभावित करता है और व्यापारियों पर संदेह पैदा करता है। इस अस्थिरता की स्थिति में ट्रेडर्स का बुद्धिमत्तता पूर्ण निर्णय काफी महत्वपूर्ण होगा। कीमते बढाना जरूरी है अन्यथा विशेष रूप से प्लाईवुड और लेमिनेट इंडस्ट्री सेक्टर में छोटे और मध्यम आकार की इकाइयों का सीधा नुकसान होगा।
बाजार में डिमांड के मोर्चे पर मौजूदा परिदृश्य बेहतर है। ऑफिस भी खुलने लगे हैं, जिससे लकड़ी के उत्पादों की मांग बढ़ रही है। कोविड अब कोई चिंता का विषय नहीं है, इसलिए देश में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर यानी होटल, इवेंट, रेस्टॉरेंट आदि के कारोबार में भी तेजी आ रही है। घरेलू मोर्चे पर मांग निश्चित रूप से बेहतर हो रही है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में दिखाई देगी। वित्त वर्ष 2022-23 में बहुत तेजी से ग्रोथ देखने को मिलेगा, हालांकि प्रॉफिट कमाने का मौका तब भी चॉइस की बात होगी। निर्यात प्रभावित होगा जो भारतीय निर्यातक कंपनियों के आकड़ों को प्रभावित कर सकता है। कुल मिलाकर, वुड बेस्ड इंडस्ट्री और ट्रेड अभी मुश्किल दौर में है।
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प्रगत द्विवेदी
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