डेकोरेटिव लेमिनेट इंडस्ट्री अभी उत्पादन लागत खर्च बढ़ने और मांग गिरने के चलते भ्रम में फंसा हुआ है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार लेमिनेट मैन्यूफैक्चरर्स धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं और कीमतों में अनिश्चितता के कारण मजबूर है। अर्ध संगठित और उभरते हुए लेमिनेट सेगमेंट से प्राप्त रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों के साथ-साथ बिक्री पर भी दबाव है और डिमांड में कमी ने कीमतों में वृद्धि को रोक रखी है। हालात पर काबू पाने के लिए लेमिनेट उत्पादकों ने फरवरी-मार्च में उत्पादन 30 प्रतिशत तक घटा दिया। अप्रैल में भी अनिश्चितता बरकरार है, और उत्पादन जल्द ही बढ़ने की उम्मीद नहीं है।
वर्तमान स्थिति अन्य कच्चे माल की ऊंची कीमतों के अलावा क्राफ्ट पेपर में भी तेजी का संकेत दे रही है। रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग केमिकल, क्राफ्ट पेपर और अन्य कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के दबाव का सामना कर रहा है। सप्लायर और रॉ मेटेरियल यूजर तथा प्लाई रिपोर्टर की बातचीत के अनुसार, क्राफ्ट पेपर जैसे प्रमुख कच्चे माल की आपूर्ति और मांग में भारी अंतर है।
नतीजतन, गुजरात स्थित इकाइयों ने अपने उत्पादन की एक शिफ्ट रोक दी है। उत्तर भारत स्थित उत्पादक भी इसका अनुसरण कर रहे हैं और वे 0.8 मिमी और 1 मिमी लेमिनेट में और कीमतों में वृद्धि की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
क्राफ्ट पेपर की ऊंची कीमतें कथित तौर पर लेमिनेट मैन्यूफैक्चरिंग और ट्रेड के अलावा पूरी व्यवस्था को परेशान कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, निर्माता बाजार में मेटेरियल के रेट तय करने में असमर्थ थे, क्योंकि उन्हें आधे फरवरी के बाद हर दिन नये बढे हुए रेट मिले। लेमिनेट मैन्यूफैक्चरर्स का कहना है कि वे अपने उत्पादों की कीमते हर दिन नहीं बढ़ा सकते हैं लेकिन कच्चे माल की कीमतें हर दिन बढ़ रही हैं, इसलिए इंडस्ट्री के लिए अपने प्लांट सुचारू रूप से चलाना बहुत मुश्किल हो गया है।
उत्तर भारत में, यह माना जाता है कि मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट अपनी पूरी क्षमता के साथ उत्पादन करने में सक्षम नहीं हैं और उन्होंने उत्पादन में 40 फीसदी की कटौती की है। उद्योग यह भी संकेत दे रही हैं कि यही स्थिति अप्रैल में भी रहेगी, इसलिए क्षमता उपयोग में और कटौती की संभावनाहैं। समाचार लिखे जाने तक कम मांग के साथ विभिन्न कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि, पूरे परिदृश्य को काफी भयभीत करने वाला है।