प्लाईवुड और फिल्म फेस शटरिंग प्लाईवुड
मार्च-अप्रैल 2022 में प्लाइवुड, पार्टिकल बोर्ड और लेमिनेट उद्योगों में कीमतें बढ़ने का मामला काफी ज्यादा गंभीर है, और इसके रूकने का नाम ही नहीं है। निर्माताओं के सामने उत्पन्न स्थिति के चलते वे नियमित रूप से कीमत बढ़ाने को मजबूर हैं। इन दो महीनों में कीमतें कई बार बढ़ चुकी है और निकट भविष्य में कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इसके कई कारण हैं जैसे लकड़ी की कमी, ईंधन और केमिकल की बढ़ती कीमतें, लेवर की कमी और बहुत कुछ। पूरे देश में वुड पैनल इंडस्ट्री से जुड़े एसोसिएशन नियमित रूप से उद्योग के परिदृश्य पर नजर रख रहे हैं और अपने अपने सदस्यों को कीमतें बढ़ाने, उचित लेनदेन की प्रक्रिया अपनाने आदि के लिए समय पर निर्देशित कर रहे हैं। उद्योगों की स्थिरता के लिए समय पर भुगतान के मानदंडों को सख्ती से लागू करने के लिए सूचनाएं जारी कर मार्गदर्शन कर रहे हैं।
हरियाणा के प्लायवुड मैनुफैक्चरर्स दूसरी बार कीमतें बढाई और दो महीने में अब तक कुल वृद्धि 18 फीसदी की जा चुकी है। बैठक के बाद उनके अघिकारियों ने कहा परिस्थितियां कीमतें बढा़ने को मजबूर कर रही है। सुधारात्मक उपाय के रूप में लोडडिंग और रेमिटेंस चार्जेज को खरीदार के खाते में रखा गया है। इसके अलावा कैश एंड कैरी आधार पर सामानबेचने की बात की गई है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट जे के बिहानी का कहना है कीमतें बढ़ने का सबसे बड़ा कारण टिम्बर शॉर्टेज है साथ ही काफी दिक्कतों के बाबजूद दो साल से प्लाईवुड की कीमतें नहीं बढ़ी थी। एआईपीएमए के प्रेसिडेंट देवेंद्र चावला की अध्यक्षता में हरियाणा स्थिति फिल्म फेस प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर्स ने भी दो बार बैठकें की और कीमतें बढ़ाने का प्रस्ताव् पास किया। इस प्रकार शटरिंग प्लाईवुड की कीमत बढ़कर 30 किलो और 34 किलो का क्रमशः 23.50 रूपए और 25..50 रूपए तथा अतिरिक्त जीएसटी किया गया है। इन्होने भी परमेन्ट को सख्ती से अधिकतम 30 दिन में करने का निर्देश दिया।
पंजाब के एसोसिएशन ने भी अप्रैल में 15 दिनों के अंदर तीन बैठके की जिनमें दो बार प्लाईवुड, ब्लॉक बोर्ड, डोर, फ्लश डोर आदि की कीमतें 10 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया साथ है तीसरी बैठक में किसानो, सरकारी अधिकारीयों और उद्योग के बीच बैठक हुई जिनमें टिम्बर की किल्लत को दूर करने के उपाय पर विचार किये गए। उन्होंने भी डीलरों को पुराने ड्यूज जल्द से जल्द क्लियर करने और निर्माताओं को कैश एंड कैरी पर व्यापर करने का निर्देश दिया।
एसोसिएशन के प्रेजिडेंट इंद्रजीत सिंह सोलह का कहना है टिम्बर की किल्लत कम से कम तीन साल रहने वाली है क्योंकि हरियाणा और पंजाब में टिम्बर प्लांटेशन है ही नहीं। यमुनानगर कलस्टर को उत्तर प्रदेश से सप्लाई हो रही है और पंजाब में भी वहीं से सप्लाई शुरू हो गई है । यदि इंडस्ट्री इसपर ध्यान नहीं दिया और कोई इनिशिएटिव नहींलिया गया तो उत्तर प्रदेश में भी टिम्बर की किल्लत पैदा हो जाएगी और उद्योग को अवांछित परिस्थितयो का सामना करना पड़ेगा।
दिल्ली एनसीआर स्थित एसोसिएशन ने भी 10 फीसदी कीमतें बढाई और कैश एंड कैरी के आधार पर व्यापर करने के निर्देश दिये। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास खन्ना ने बताया टिम्बर की कमी के चलते फैक्ट्रियां एक तिहाई क्षमता से चल रही है। हम लोग उस समय किसानो द्वारा पोपलर प्लांटेशन उखाड फेकने का परिणाम झेल रहे है जब टिम्बर 300 रूपए प्रति टन हुआ करता था। इसका एक ही समाधान है कि इंडस्ट्री को सामूहिक प्रयाश कर प्लांटेशन के लिए आगे आना होगा।
इसी समय उधर गुजरात में कच्छ स्थित प्लाईवुड इंडस्ट्री के हालात पर चर्चा हुई तथा फैक्ट्रयों के बढ़ते इनपुट कॉस्ट के चलते सभी प्लाईवुड, पर 8 फीसदी, ब्लॉक बोर्ड 3 रूपए वर्ग फुट, और फ्लश डोर पर 5 रूपए वर्ग फुट कीमत बढाई गई और अप्रैल में स्थिति की समीक्षा करने की बात कही गई। केटीए के प्रेजिडेंट नवनीत गज्जर ने कहा टिम्बर का इम्पोर्ट कॉस्ट में काफी बृद्धि के बावजूद टिम्बर प्रोडक्ट की कीमत 10 से 15 फीसदी ही बढ़ी है।
केरल स्थित प्लाईवुड एंड ब्लॉक बोर्ड मैन्यूफैक्चरर्स ने अप्रैल के पहले सप्ताह से ही प्लाईवुड पर 8 फीसदी, डोर में 4 रूपए फुट, ब्लॉक बोर्ड पर 3 रूपए तत्काल प्रभाव से कीमतें बढ़ने का निर्णय लिया। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एमएम मुजीब रहमान का कहना है के लेटेक्स के दाम बढ़ने से रबर वुड की कटाई नहीं हो रही है इसलिए दक्षिण में भी टिम्बर का शार्टेज है। भविष्य में इसकी कमी दूर करने के लिए एसोशिएसन और सरकारें मेलिया दुबिया के प्लांटेशन पर ध्यान दे रही है।
कुन्नूर स्थित एसोसिएशन का मानना है की रबर वुड की कीमतें बढ़कर रस रू 4500 प्रति टन से बढ़कर रू 5700 प्रति टन हो गई है। महोगनी वुड की कीमतें तीन महीने में 40 फीसदी बढ़ गई है। साथ ही केमिकल की कीमत में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। मार्जिन जो 20 फीसदी होता था वह घटकर 5 फीसदी रह गया है इसलिए फैक्ट्रियों को उद्योग में टिके रहने के लिए कीमतें बढ़ानी पड़ रही है।
पार्टिकल बोर्ड
आल इंडिया पार्टिकल बोर्ड मैन्युफैक्चरर्स ने मार्च के मध्य में अहमदाबाद में बैठक कर पार्टिकल बोर्ड के कच्चे माल और केमिकल के दाम बढ़ने पर चर्चा की और उद्योग के बढ़ते इनपुट कॉस्ट के चलते वुड और बगास बोर्ड दोनों पर 15 फीसदी कीमत बढ़ने का निर्णय लिया। इसका कारण बगास, वुड, केमिकल की कीमतें बढ़ना बताया गया। सदस्यों केा टेक्सचर्ड और ग्लॉशी फिनिश के लिए ज्यादा कीमत लेने को कहा गया। बैठक में 40 से ज्यादा पार्टिकल बोर्ड निर्माता शामिल हुए थे।
हाई प्रेसर लेमिनेट
इल्मा ने 2022 में फरबरी से मार्च के बीच दो बार कीमत बढ़ने की सुचना दी। मार्च के अंतिम सप्ताह में मेरिनो, ग्रीनलैम, सेंचुरी इत्यादि ने सभी थिकनेस पर कीमत बढ़ाने की घोषणा की। मार्च में किये गए सिफारिश के अनुसार, 1 मिमी, 0.9 मिमी, 0.8 मिमी और 0.7 मिमी की कीमतों में क्रमशः 50, रु. 40, रु. 30 रु. और 20 रुपये की वृद्धि हुई। इसलिए एक महीने के भीतर 1 मिमी और 0.8 मिमी लैमिनेट की कीमतें क्रमशः 90 रुपये और 70 रुपये बढ़ गई।
पीवीसी लेमिनेट
कच्चे माल की कीमतें, ईंधन और अन्य खर्चों में हालिया बढ़ोतरी के कारण पीवीसी लेमिनेट की सभी सीरीज में बेसिक प्राइस लिस्ट के अनुसार कीमत में 50 रुपये प्रति शीट की वृद्धि की गई। 05 अप्रैल 2022 को आयोजित ऑल इंडिया पीवीसी लेमिनेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के सदस्यों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। पीवीसी लेमिनेट से संबंधित ब्रांडों में शामिल हैंः स्काई डेकॉर, मेराकी, ऑलकोर, क्रिस्टल, स्टेनले, रॉयल ग्लो, नु-स्मार्ट, स्पैरो, यूरोब्राइट, क्रॉसबॉन्ड, क्लाइडो, फ्लेक्सीबॉन्ड, एलस्टोन मल्टीडेकॉर, काईरोस, ब्लैक कोबरा, सिल्कॉन, सिंघलैम और एडवांस। उनके द्वारा दिनांक 07 अप्रैल 2022 को जारी पत्र में चौनल पार्टनर्स और रिटेलर्स से उद्योग की स्थिरता और सेवा की निरंतरता के लिए समर्थन करने का अनुरोध किया गया।