आरक्षित वन सीमा से 8 किलोमीटर के दायरे में उद्योग स्थापित नहीं हो सकते
आरक्षित वनों की सीमा से आठ किलोमीटर (हवाई दूरी) के भीतर कोई भी लकड़ी आधारित उद्योग, स्थापित या संचालित नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वह सरकार द्वारा अधिसूचित ‘नगरपालिका क्षेत्र‘‘ या ‘‘औद्योगिक संपदा‘‘ की सीमाओं के भीतर न हो। हालाँकि, वन विभाग या जम्मू और कश्मीर वन विकास निगम लिमिटेड (श्रज्ञथ्क्ब्स्द्ध द्वारा स्थापित और संचालित मौजूदा सॉ मिलें अपवाद बनी रहेंगी।
इसी तरह, पास के आरक्षित वनों की सीमा से 3 किलोमीटर (हवाई दूरी) के भीतर कोई भी फर्नीचर इकाई स्थापित या संचालित नहीं की जा सकती है, जब तक कि ‘‘नगरपालिका क्षेत्र‘‘ या ‘‘औद्योगिक संपदा‘‘ की सीमाओं के भीतर स्थित न हो। ये नियम और प्रावधान आयुक्त/सचिव वन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी विभाग संजीव वर्मा द्वारा अधिसूचित ‘‘जम्मू और कश्मीर लकड़ी आधारित उद्योग (स्थापना और विनियमन) नियम, 2022‘‘ का हिस्सा हैं।
नियमों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति या बोर्ड से स्थापित या संचालित करने के लिए सहमति के बिना कोई नया लकड़ी आधारित उद्योग स्थापित या संचालित नहीं किया जा सकता है। नियम यह भी निर्दिष्ट करते हैं कि किसी भी फर्नीचर इकाई को पास के आरक्षित वनों की सीमा से 3 किलोमीटर (हवाई दूरी) के भीतर स्थापित या संचालित नहीं किया जा सकता है, जब तक कि सरकार द्वारा अधिसूचित ‘‘नगरपालिका क्षेत्र‘‘ और/या ‘‘औद्योगिक एस्टेट‘‘ की सीमाओं के भीतर स्थित न हो।
हालाँकि, सरकार, इस उद्देश्य के लिए गठित एक व्यापक-आधारित समिति की सिफारिशों पर, किसी भी इलाके में स्थापित किए जा सकने वाले लकड़ी-आधारित उद्योगों की अधिकतम संख्या को प्रतिबंधित कर सकती है। जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा लकड़ी आधारित उद्योगों (स्थापना और विनियमन) के अनुरूप भारतीय वन अधिनियम 1927 (1927 का अधिनियम 16) की धारा 76 के खंड (डी) और धारा 76-ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश, 2016 के अनुसार नियम बनाए गए हैं।