आजकल ट्रेड में ट्रांसपोर्टरों द्वारा धांधली के मामले काफी सामने आने लगे हैं। और इसकी खबरें मीडिया में भी आ रही हैं। अभी पिछले दिनों पहले जानी मानी एडहेसिव बनाने वाली कंपनी पिडिलाइट ने मुंबई स्थित आर्थिक अपराध शाखा में उस ट्रांसपोर्टर के खिलाफ करोड़ों के धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है जिनसे वे डेढ़ साल से सेवाएं लेते आ रहे थे। पिछले दिनों बरेली में भी एक कंपनी में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। और हाल ही में चंडीगढ़ में भी एक नामी कंपनी द्वारा इस तरह की शिकायत दर्ज करायी गई थी।
प्लाई रिपोर्टर के पड़ताल में भी यह बात सामने आई की चाहे यमुनानगर हो, बरेली हो या चंढ़ीगढ़, ट्रांसपोर्टर केमिकल और अन्य कच्चे माल के बजन, क्वालिटी और क्वांटिटी में अक्सर धोखाधड़ी करते पाए जाते हैं, जैसा की वहां के व्यापारी और मैन्युफैक्चरर्स बतातें हैं। पिडिलाइट ने ट्रांसपोर्ट फर्म के मालिक के खिलाफ 11.57 करोड़ रूपए के धोखाधड़ी की शिकायत की है। बताया जा रहा है इसमें कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी भी शामिल था।
ट्रांसपोर्टर के भुगतान में गड़बड़ी की आशंका के बाद कंपनी ने इंटरनल जांच शुरू कराई और पिछले कुछ वर्षों में जमा किए गए सैकड़ों बिलों में इसी तरह की अनियमितताएं पाईं गई। इसके बाद एक फोरेंसिक ऑडिटर कंपनी द्वारा पूरी तरह से जांच कराने पर बड़ी संख्या में फर्जी बिल पेश करने और ट्रांसपोर्टर द्वारा उसका पेमेंट लेने का मामला सामने आया। इस कार्य में कंपनी के सम्बंधित विभाग के एक पूर्व कर्मचारी को भी दोसी पाया गया है। मिडिया रिपोर्ट के अनुसार दर्ज शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू के अधिकारी ने बताया कि ऑडिट कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 1 जनवरी, 2020 से 24 जनवरी, 2022 के बीच, मोनिका रोडवेज ने 1,544 फर्जी बिल पेश किए और कंपनी ने 1538 फर्जी बिलों के मुकाबले कुल 11.57 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इससे सम्बंधित धाराओं में शिकायत दर्ज की गई है और, आधिकारिक स्तर पर इसकी जाँच की जा रही है।
हालांकि जांच में ऐसे मामले हमेशा पकडे जाते है और कंपनी ऐसे कर्मचारियों या ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ कार्रवाई करती है। उत्तर भारत में एक प्रमुख प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर ने कहा कि हेराफेरी के मामले ज्यादा होते नहीें है और कंपनी के कर्मचारियों की भागीदारी के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है। लेकिन कभी-कभी ट्रांसपोर्टर पूरे ट्रक लोड को गायब कर देते हैं, लेकिन जांच के बाद सच्चाई का पता चलता है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना की स्थिति में भी कंपनी को नुकसान होता है और इसकी भरपाई के लिए उन्हें ट्रकों का बीमा रखना होता है। अब तक कुछ अपवादों को छोड़कर ट्रांसपोर्टरों और व्यापारियों/आपूर्तिकर्ताओं के बीच विश्वास कायम है यमुनानगर में 99 फीसदी ट्रांसपोर्टर अच्छे हैं।