डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से विदेशी बाजार में निर्यातकों को बढ़त मिली है। भारतीय लेमिनेट निर्यातक कंपनियों से प्राप्त रिपोर्ट ने अनुसार इनको अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद है। श्री अशोक शर्मा, सीएफओ, ग्रीनलैम का कहना है कि भारतीय रुपये के प्रभाव से निश्चित रूप से ग्रीनलैम इंडस्ट्रीज को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि हम पिछले 12 वर्षों से लेमिनेट के सबसे बड़े निर्यातक हैं। हालांकि, हम अपने कच्चे माल का आयात करते हैं, लेकिन हम नेट निर्यातक हैं, इसलिए रुपये के कमजोर होने से हम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि 22 सितंबर के अंतिम सप्ताह में रुपया 81.5525 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचलेस्तर पर पहुंच गया था।
भारत विश्व बाजार में डेकोरेटिव लेमिनेट का सबसे बड़ा निर्यातक है, और 40 से अधिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लेमिनेट निर्यात के कारोबार में लगी हुई हैं। भारतीय कंपनियां अपने स्वयं के गोदामों, डिस्ट्रीब्यूटरों के माध्यम से 100 से अधिक देशों में ग्राहकों को सीधे विभिन्न थिकनेस और साइज में लेमिनेट शीट का निर्यात करती हैं। भारतीय लेमिनेट्स का उपयोग अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व के देशों और बाकी दुनिया में फर्नीचर, किचन टॉप, अलमारी आदि के साथ कई प्रतिष्ठित परियोजनाओं में किया जाता है। भारतीय लेमिनेट्स अपनी क्वालिटी, डिजाइन के कारण विश्व बाजार में काफी प्रतिष्ठित है। भारतीय कंपनियां यूरोप, अमेरिका, मध्य पूर्व के देशों आदि में विदेशी प्रदर्शनियों में खूबसूरती से भाग लेतीरही हैं ताकि इसकी क्वालिटी और डिजाइन के ज्यादा से ज्यादा ग्राहक बन सकें।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लेमिनेट का निर्यात कारोबार सालाना 2000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है। ग्रीनलैम इंडस्ट्रीज लेमिनेट निर्यात में अपना शीर्ष स्थान बनाए हुए, इसके बाद मेरिनो, स्टाइलैम, रॉयल क्राउन, सेंचुरी लेमिनेट्स, वर्गो, डेको माइका, ऐरोलैम, अमूल्य माइका आदि हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती लेमिनेट एक्सपोर्ट से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर लाया है।