कम कीमत वाले नेपाल से आयातित प्लाइवुड ने बेहद सस्ते दामों की पेशकश कर भारत के बाजार में हलचल मचा दी है। उत्तरी क्षेत्र के प्लाइवुड बाजार में, यह प्लाइवुड उत्तर भारत के इसी ग्रेड के प्लाइवुड की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत कम पर उपलब्ध है। यह ‘मेड इन नेपाल‘ प्लाईवुड उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और पूरे उत्तर भारत के बाजार में बेचा जा रहा है। यहां तक कि विभिन्न प्लाइवुड सेल्स काउंटरों पर छोटे शहरों में भी प्रवेश कर चुका है।
अब भारत में ट्रेड और इंडस्ट्री द्वारा इसके कई क्वालिटी रिलेटेड सवाल उठ रहे हैं। नेपाल में प्लाई बनाने में उपयोग की जाने वाली लकड़ी को इसका कारण बताया जा रहा है। नेपाल में ‘उतिस‘ नामक कम घनत्व वाली लकड़ी का उपयोग प्लाई बनाने में किया जाता है, जो भारतीय मीडियम सेगमेंट कंपनियों द्वारा उत्पादित क्वालिटी की तुलना में नीचे होती है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि नेपाल में अधिकांश प्लाईवुड यूनिट ‘उतिस‘ से प्लाइवुड का उत्पादन करती हैं जो घनत्व में कम है। मुश्किल से एक दर्जन यूनिट ऐसे हैं जो वास्तव में मुख्य रूप से भारत से आयातित प्लांटेशन टिम्बर से अच्छी क्वालिटी बनाती हैं। यह भी स्पष्ट है कि कई ‘मेड इन नेपाल‘ प्लाई की मोटाई 18 मिमी से कम है और प्रत्येक 18 मिमी प्लाई का वजन 24-28 किलोग्राम प्रति पीस के बीच हो होता है। जबकि भारत में बने प्लाईवुड का वजन लगभग 36-38 किलोग्राम प्रति 8ग4 मिमी की शीट है।
नेपाल स्थित प्लाइवुड की कम लागत के पीछे मुख्य कारण इसमें उपयोग की जाने वाली लकड़ी का घनत्व बहुत कम होना है। ऐसी खबरें हैं कि लागत को कम करने के लिए वहां सेमुल सहित और मिक्स्ड वुड का भी उपयोग किया जा रहा है, जो प्रोडक्ट की क्वालिटी को प्रभावित कर रहा है। वे फैक्ट्री जो दूसरों से बेहतर गुणवत्ता का उत्पादन करते हैं, वे मूल रूप से भारत से सफेदा की खरीद करते हैं और इसे स्थानीय लकड़ी के साथ मिलाते हैं।
भारतीय प्लाइवुड उद्योग के टेक्नोक्रेट्स का कहना है कि नेपाल में उपलब्ध टिम्बर का घनत्व और अन्य फिजिकल प्रॉपर्टी वह स्टैण्डर्ड नहीं देती जो हमें चाहिए, इसलिए हमने भारत में बने प्लाई के उपयोग को प्राथमिकता देते है, क्योंकि वहां के प्लाई इकोनॉमिकल ग्रेड फर्नीचर बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है। यूजर उपयोग करने के दौरान हमेशा इसके झुकने, मुड़ने और टूटने की शिकायत करते हैं।
हाल ही में, प्लाई रिपोर्टर को विभिन्न बाजारों और डीलरों से वीडियो और तस्वीरें मिलीं, और उन्होंने दावा किया कि नेपाली प्लाई की क्वालिटी ने बाजार में प्लाइवुड की छवि को नुकसान पहुंचाया है, और उन्होंने प्लाइवुड उत्पादों से फायदे के लिए इन उत्पादों के उपयोग और बिक्री को हतोत्साहित किया है। दिल्ली, इंदौर, जयपुर, लखनऊ आदि के रिटेल काउंटरों से मिली रिपोर्ट स्पष्ट रूप से इस प्लाईवुड को भारतीय मूल के उत्पादों की तुलना में बहुत हल्का और कम टिकाऊ बता रही हैं। प्लाई रिपोर्टर इस दिशा में अपना काम करता रहेगा और आपको अपडेट रखेगा।