Ikea’s First Store in Hyderabad, Local Retailers Becomes Cautious Facing the Impact

person access_time3 17 September 2018

अप्रैल के महीने में कारखानों से एमडीएफ पैनल का उठान बेहतर रहा। एमडीएफ बनाने वाली कंपनियों ने लगभग 8-9 महीनों के बाद इस तेजी को देखा हैं, जो पिछले वित्त वर्ष के अंतिम तिमाही के दौरान शुरू हुई, अब वें थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। अप्रैल और मई के दौरान, स्टॉकिस्ट और प्लांट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब उत्पादन क्षमता उपयोग में वृद्धि का संकेत मिला है। एमडीएफ लाइनों की क्षमता का उपयोग 30-40 फीसदी से बढ़ कर स्थापित क्षमता के 55- 60 फीसदी को पार कर गया है।

बाजार में मोमेंटम अच्छा होने से वितरकों ने भी सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया है। कंपनियों ने 7 से 8 महीने के बाद राहत महसूस की है। इससे पहले एमडीएफ संयंत्रों में नई अतिरिक्त क्षमता जोड़े जाने बाद स्थिति बइ़ा ही उबाऊ था क्योंकि एमडीएफ के बाजार में कमजोर मांग के चलते मंदी के बदल छाए हुए थे। उत्तराखंड में एक्शन टेसा, आंध्र प्रदेश में ग्रीन पैनलमैंक्स और पंजाब में सेंचुरी प्लाई जैसे तीन नई प्रोडक्शन लाइनों ने कुल मिलकर 2500 सीबीएम प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाया जो अभी भी भारत के बढ़ते एमडीएफ खपत के हिसाब से ज्यादा है।

ग्रीन पैनल द्वारा ‘आयात के साथ प्राइस मैच वाली हमलावर नीति‘ ने कंपनियों को अपनी क्षमता उपयोग को और बेहतर करने और लिफ्टिंग में भी मदद की है। ग्रीन पैनल मैक्स का एमडीएफ प्लांट, दक्षिण भारत में अब गुणवत्ता संचालित उत्पाद के लिए जाना जाता है और पिछले छह महीनों से इन्हें आयातित उत्पाद से अच्छा उत्पाद के लिए जाना जा रहा है। सेंचुरी प्लाई का होशियारपुर स्थित एमडीएफ प्लांट अपने हर भरोसेमंद और संभावित डीलर तक भी अपनी पहुंचकर बनाकर बाजार में अपनी स्थिति में सुधार किया है। इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक सेंचुरी एमडीएफ पैनल ने अपनी ब्रांड इमेज के साथ गुणवत्ता के मोर्चे पर तथा सतत सप्लाई और तुलनात्मक रूप से बेहतर कीमतें देने के साथ लोगों का विश्वास हासिल किया है।

एक स्पेशलिस्ट कंपनी के नाते वर्षों से किसी खास ब्रांड इमेज के साथ नाम कमाने के बाद एक्शन टेसा का एमडीएफ प्लांट इन सभी में अच्छा काम कर रहा है। एक्शन टेसा के प्लांट में एमडीएफ बनाने की क्षमता लगभग 1500 सीबीएम प्रति दिन है जो अप्रैल महीने में अपने 85 से 90 प्रतिशत क्षमता का उपयोग कर रही थी। प्लाइवुड की बढ़ती कीमतों ने विशेष रूप से कम मोटाई वाले पैनलों में एमडीएफ की मांग की संभावनाओं को बढ़ावा दिया है।

आन्ध्र प्रदेश के रूशिल डेकोर यानी वीर एमडीएफ और पायनियर पैनल से भी प्राप्त रिपोर्ट पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर हैं। प्लाई रिपोर्टर को अनुमान है कि एमडीएफ बाजार में अगले 3 से 4 महीनों तक मांग और क्षमता के उपयोग में क्रमिक वृद्धि देखी जाएगी, जब तक की यूकलिप्टस की कीमतें चढ़नी शुरू नहीं हो जाती है। एक बार जब कच्चे माल की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो एमडीएफ में फिर से मूल्य वृद्धि देखी जाएगी जो अगस्त-सितंबर
तक होने की उम्मीद है। कुल मिलकर सस्ते प्लाइवुड की बढ़ती मांग और कीमतों के बदौलत एमडीएफ सेगमेंट ने दो साल के लंबे अंतराल के बाद सकारात्मक रूख अपनाना शुरू कर दिया है।

भारत में, एमडीएफ उत्पादन क्षमता पिछले एक साल के दौरान दोगुनी हो गई है। वर्तमान समय में एमडीएफ बाजार की विकास दर पहले के वर्षों की तरह तेज नहीं रही है, फिर भी नई क्षमता विस्तार सुर्खियों में बनी रही। बाजार की मांग और मेटेरियल की लिफ्टिंग के आधार पर प्लाई रिपोर्टर के सर्वे में यह नोटिस किया गया कि पिछले वर्ष की तुलना में 2018-19 के दौरान एमडीएफ की वृद्धि दर में गिरावट हुई है। इसके मुख्य कारण बड़े आधार, ओवर सप्लाई की भावना और सभी वस्तुओं पर जीएसटी लागू होने के बाद प्रभाव इत्यादि थें। प्लाई रिपोर्टर का मानना है कि अब एमडीएफ के बाजार में अगले 3 से 4 महीनों तक मांग और क्षमता के उपयोग में क्रमिक वृद्धि देखी जाएगी, जब तक, सफेदा की कीमतें चढ़नी शुरू नहीं हो जाती है। जब कच्चे माल की कीमतें बढ़ेगी, तो एमडीएफ में एक बार फिर से कीमतों में वृद्धि देखने को मिलेगी, जो सितंबर के बाद होने की उम्मीद है। मांग बढ़ने के चलते लगभग दो साल के लंबे अंतराल के बाद सस्ते प्लाइवुड की कीमतें बढ़ने के चलते एमडीएफ सेगमेंट ने सकारात्मकता का अनुभव करना शुरू कर दिया है।

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