उत्तर प्रदेश में प्लाइवुड और लकड़ी संबंधित उद्योगों की स्थापना के लिये जारी किये गये नये लाइसेंसों की प्रक्रिया पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा सवाल उठाये जाने के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी का गठन एनजीटी के एक आदेष पर किया गया है। यह कमेटी 15 जुलाई को एनजीटी के समक्ष अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी द्वारा 6 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई की जायेगी।
इस मामले पर प्लाई रिपोर्टर से बातचीत करते हुए एम. पी. सिंह, चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर, यूपी वन विभाग ने कहा कि नई कमेटी द्वारा विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो अभी प्रक्रिया में है। इस हाई पावर नई कमेटी का गठन कल्पना अवस्थी, प्रिंसपल सेक्रेटरी फॉरेस्ट और श्री पवन कुमार सिंह, प्रिसिंपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट के नेतृत्व में किया गया है। पवन कुमार सिंह यूपी वन विभाग के हैड ऑफ फॉरेस्ट सेल भी है। इस कमेटी को 15 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश करनी है। यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा उठाये गये सवालों के जबाव के रूप में पेश की जायेगी। कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट पर काम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि यूपी में लकड़ी आधारित उद्योगों के लिये जारी किये गये नये लाइसेंस की प्रक्रिया को लेकर दायर की गयी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने यूपी वन विभाग को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में उत्तर प्रदेष में उपलब्ध लकड़ी की मात्रा को लेकर एनजीटी ने वन विभाग से जबाव मांगा है। एनजीटी में दायर की गयी याचिका में यूपी वन विभाग पर राज्य में उपलब्ध लकड़ी की मात्रा को गलत तरीके से दर्शाने का आरोप लगाया गया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि यूपी वन विभाग ने 12 दिसंबर 2018 को ई-लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से उन सफल आवेदकों के नामों की घोशणा की थी, जिन्होंने राज्य में नई प्लाइवुड, वीनियर, एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड, सॉ मिल्स और वीनियर इकाई की स्थापना के लिए अपने ऑनलाइन आवेदन जमा किये थे। सत्यापन और जांच प्रक्रिया में लगभग चार महीने लग गए, जिसके बाद ई-लॉटरी आयोजित की गई, जहां लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए कुल 815 लाइसेंसों को 8 अलग-अलग श्रेणियों जैसे सॉ मिल्स (636), वीनियर (90), वीनियर एंड प्लाइवुड (विनियऱप्रेस)-76, पार्टिकल बोर्ड - 05 और एमडीएफ-एचडीएफ व पार्टिकल बोर्ड में 08 यूनिट के लिये लाइसेंस जारी किये गये।