जुलाई-सितंबर के पिछली तिमाही के दौरान लैमिनेट उद्योग के लिए बहुत अनुकूल नहीं रहा। गुजरात और उत्तर भारत में लैमिनेट के अधिकांश निर्माताओं के यहां लाइनर ग्रेड लैमिनेट के उत्पादन बढ़ाने की सुचना है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में हर महीने लगभग एक करोड़ लाइनर लैमिनेट शीट की खपत होती है। मंदी के दौरान इस अनुमानित संख्या में थोड़ी वृद्धि हुई है क्योंकि हर कोई लाइनर ग्रेड को लेकर आगे बढ़ रहा है जिसके चलते लाइनर सेगमेंट में कीमतों में 3 से 4 फीसदी की कमी आई है।
बाजार की रिपोर्ट के अनुसार, लाइनर लैमिनेट्स की औसत कीमतें लगभग 240 रुपये प्लस जीएसटी के आसपास पाई गई, जो पिछले साल लगभग 260 रुपये थी। इसका कारण केमिकल की कीमतें कम रहना थीं, जो कि निर्माताओं, लाइनर के सप्लाई के साथ इस राहत को ग्राहकों को पास कर दिया। लाइनर में वृद्धि का एक कारण नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और कुछ अन्य पड़ोसी देशों से आने वाली मांगें भी है और देश के भीतर ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ने से भी लाइनर लैमिनेट के बढ़ने में मदद मिल रही है।
प्लाई रिपोर्टर के नियमित अध्ययन में छह महीने पहले ही उल्लेख किया गया था कि 300 एचपीएल बनाने वाली इकाइयों में से 100 से अधिक इकाइयाँ मूल रूप से लाइनर लैमिनेट्स के आधार पर अपने संयंत्र चला रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डेकोरेटिव लैमिनेट केटेगरी में प्रतिस्पर्धा में वृद्धि के कारण यह प्रवृत्ति कब तक जारी रहेगी यह देखने वाली बात है। यह निश्चित है कि आने वाले महीनों में लैमिनेट की कीमतों में और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। देखते हैं कि बड़े प्लेयर्स, छोटे प्लेयर्स को कब उखड फेकेंगे और वैसे कौन छोटे प्लेयर्स हैं जो 2020 के दौरान उस स्थिति का इंतजार कर रहे होंगे।