एचओसीएल और दीपक फेनोलिक्स की शिकायत पर भारत सरकार ने फेनाॅल पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की जांच शुरू की है। हालांकि, फेनाॅल पर पहले से ही सात देशों जैसे चीन ताइपे, यूरोपियन यूनियन, कोरिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, ताइवान और यूएसए से एंटी-डंपिंग लगा हुआ है, लेकिन, भारतीय लैमिनेट, प्लाइवुड और पैनल उद्योग, जो भारत में फेनाॅल के प्रमुख उपयोगकर्ता हैं, को डर है कि किसी भी और ड्यूटी के प्रभाव से फेनाॅल की कीमतें तेज होगी। यदि फेनाॅल के आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी लगेगी, तो आने वाले समय में कई उत्पादों के दाम बढ़ेंगे। इलमा (इंडियन लैमिनेट्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन), और फिप्पी (फेडरेशन ऑफ इंडियन प्लाइवुड एंड पैनल इंडस्ट्री) फेनाॅल के आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने का विरोध कर रहे हैं।
यह ज्ञातब्य है कि लैमिनेट्स और प्लाइवुड फेनाॅल के प्रमुख उपयोगकर्ता हैं और वे कुल खपत का लगभग 60 फीसदी उपभोग करते हैं। इल्मा के प्रेसिडेंट श्री विकास अग्रवाल ने प्लाई रिपोर्टर से कहा कि इलमा, इस कदम का विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे घरेलू उत्पादकों का एकाधिकार हो जाएगा और वे पूरे बाजार को नियंत्रित करेंगे, साथ ही फेनाॅल की लागत में और अधिक वृद्धि होगी। उनका कहना है कि घरेलू फेनाॅल उत्पादक भारतीय आवश्यकताओं का केवल 60 फीसदी ही पूरा कर सकते हैं, इसलिए किसी भी अन्य आयात शुल्क के बाद लैमिनेट उत्पादकों के हितों को नुकसान होगा, और लागत बढ़ जाएगी।
इसके बावजूद की मांग की आपूर्ति में अंतर है, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि इसका बड़ा हिस्सा भारतीय बाजार में आयात से ही आ रहा है जो कि मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए आवश्यकता से अधिक है। पिछली तिमाही की तुलना में 2019-20 के पहली तिमाही के दौरान आयात में वृद्धि अधिक थी। उन्होंने दावा किया है कि चीन द्वारा एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने से विश्व स्तर पर फेनाॅल का ओवर सप्लाई है, और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध अप्रत्याशित परिस्थितियां है, जिससे भारत में आयात में वृद्धि हुई है।
प्रमुख आवेदकों में से एक, मेसर्स दीपक फेनोलिक्स, जिसने नवंबर, 2018 में फेनाॅल उत्पादन शुरू किया था, ने 2019-20 के पहली तिमाही के दौरान उत्पाद की बिक्री और क्षमता उपयोग बड़ा गिरावट का दावा किया है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि घरेलू उद्योग की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आई है, जबकि 2019-20 की पहली तिमाही में आयात में वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि उनके मुनाफे में भी गिरावट आई है, क्योंकि आयात बढ़ने से कीमतों पर दबाव होता है।