पैनल और डेकोरेटिव इंडस्ट्री जुलाई में उम्मीद से बेहतर वापसी करने की रिपोर्ट है। प्लाइवुड और लेमिनेट इंडस्ट्री में उत्पादन 60 फीसदी से ऊपर देखा गया, जबकि बुक किए गए ऑर्डर इससे दोगुना था। उद्योग लेवर की कमी से जूझ रहा था, इसलिए जुलाई महीने में मांग का आधा ही सप्लाई किया जा सका। हालांकि इस साल मार्च में कोविड से पहले की बिक्री की तुलना में बाजार में लगभग 40 से 45 फीसदी ही बिक्री दर्ज की गई। होलसेलर सेगमेंट का कहना है कि लंबित परियोजनाओं और चल रही साइट से मांग अपेक्षा से अधिक रही, जिसके कारण कारखानों में ऑर्डर अधिक थी।
थोक और ट्रेड सेगमेंट ने भी रिटेलर साइड से अपेक्षा से अधिक पेमेंट रिकवरी दर्ज की। बकाया राशि कम हो गई है और पेमेंट आश्चर्यजनक रूप से सहज और तेज हो रही है। नई प्रवृत्ति और अपने आप में सहमत तथ्य यह है कि बिना पेमेंट के मेटेरियल का डिस्ट्रीब्यूट नहीं किया गया, जिसके चलते जुलाई महीने में तेज रिकवरी में मदद मिली। उपभोक्ता भी डिलीवरी के तुरंत बाद पेमेंट कर रहे हैं, जिससे बाजार में तेजी से सुधार होने में मदद मिली है, इसलिए स्टॉक पॉइंट्स भी कारखानों में आर्डर भेज रहे हैं।
फर्नीचर निर्माता भी तुरंत भुगतान कर ही खरीद रहे हैं और नकद छूट के लिए कह रहे हैं जिससे दिल्ली, बैंगलोर और हैदराबाद के बाजार को तेजी से उबरने में मदद मिली है। दक्षिण भारत में ओईएम और फर्नीचर मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट को कथित रूप से अपर मिडिल क्लास ग्राहकों के लंबित आर्डर और वर्क फ्रॉम होम के चलते डिमांड बढ़ी है। रिटेल मार्केट सर्वे के अनुसार बिल्डरों द्वारा पहले ही दिए गए अपार्टमेंट में भी नए घर के मालिकों द्वारा किचेन और अलमारी के आर्डर भेजे जा रहे हैं, जिसके चलते बिक्री बढ़ी हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों से आ रहे डिमांड उद्योग और व्यापार के लिए बहुत फायदेमंद रहा क्योंकि स्थानीय कारपेंटर और फर्नीचर निर्माता पूरी तरह काम बंद नहीं किये थे, उनमें से कई काम पर बने हुए हैं क्योंकि छोटे शहरों में कोविड का प्रभाव जून- जुलाई महीनों में बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहा था। प्लाई रिपोर्टर के अध्ययन के अनुसार मशीन बेस्ड फर्नीचर मैन्युफैक्चरर्स का काम जून और जुलाई के दौरान गति पकड़ी है, जो मेटेरियल की मांग बढ़ाने में मदद की है।
प्लाइवुड और लेमिनेट बाजार में इन्वेंट्री लेवल में पहले की तुलना में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। सर्वे से पता चलता है कि लेमिनेट विक्रेता जो औसतन एक ब्रांड के 10,000 शीट रखते थे, वे अब 6000 से 7000 शीट तक ही रख रहे है। इसी तरह कोई प्लाइवुड थोक व्यापारी आमतौर पर 20 ट्रक से अधिक स्टॉक रखता था, वे अब केवल 8 से 10 ट्रकों के साथ काम कर रहे हंै। इसका मतलब है कि अगले दो महीने भी उद्योगों में लिफ्टिंग उम्मीद से बेहतर रहेगी। एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड केटेगरी में परिदृश्य अलग है, क्योंकि यह काफी हद तक कमोडिटी सेगमेंट है जिसमें बड़े स्टॉक की जरूरत होती है, यही कारण है कि एमडीएफ निर्माताओं ने जुलाई महीने के दौरान बेहतर प्रदर्शन किया।
जुलाई में, पेमेंट रिकवरी भारी बारिश के चलते साइटों पर काम रुकने की वजह से कम रही। लेकिन व्यापार संचालन में सहूलियत, लॉकडाउन में ढील दिए जाने और बेहतर परिवहन व्यवस्था के साथ, अगस्त और सितंबर में व्यवसायिक और औधोगिक गतिविधियों में निश्चित रूप से प्रत्याशित तेजी से सुधार होने की सम्भावना है। अगर प्लाइवुड के लीडिंग ब्रांड और प्लेयर्स पर विश्वास करें, तो अक्टूबर में दिपावली तक, उद्योग और व्यापार के कारोबार कोविड के पहले के कारोबार के दो तिहाई स्तर तक पहुंचने में सक्षम होंगे, जो पहले आधे तक पहुंचने की उम्मीद थी।