डिजीटीआर को सौंपे गए अपनी रिपोर्ट में फिप्पी और इलमा ने कहा कि पांच साल के लिए चीन से मेलमाइन के आयात पर एंटी डंपिंग ड्यूटी जारी रखने के लिए जो तथ्य प्रस्तुत किया गया है, वह सच नहीं है। दोनों संघों ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि यदि कोई विचार बनाना है, तो कृपया 5 वर्ष के कार्यकाल के दौरान मेलामाइन की अनुमानित लागत की समीक्षा करें कि चाइनीज या अन्य मेलामाइन आयातों पर कितना निर्धारित शुल्क लागू है और विश्लेषण करें कि कैसे एनआईपी से अधिक लागत हमारे उद्योग द्वारा खर्च की गई है और आवेदक घरेलू उद्योग में कितना अन्यायपूर्ण कार्य हुआ है।
हालांकि यह सच है कि 2019-20 के दौरान आयात की लागत ने अतिशयोक्तिपूर्ण लाभ नहीं लिया, 5 वर्षों के औसत से यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होगा कि आवेदक को कम से कम इसके एनआईपी पर प्रति मेट्रिक टन 15,000 रूपए ज्यादा प्राप्त किया। यह हमारे उद्योग के विकास को आगे बढने से और आगे के निवेश से रोका है। भारत में अंतिम उत्पादों के उपभोक्ता अंततः बिना किसी अधिकार के ज्यादा पेमेंट करते हैं।
गौरतलब है कि चीन से निर्यात होने वाले मेलामाइन के आयात पर लगाए गए एंटी डंपिंग ड्यूटी की जांच‘‘, गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड ने क्ळज्त् (डाइरेक्टोरेट जेनरल और ट्रेड रिमेडीज) को एक सनसेट रिवियु पेश की और इसे जारी रखने की सिफारिश की। घरेलू उद्योग को एक लेवल प्लेइंग फिल्ड प्रदान करने के लिए चीन से 5 साल से आगे के लिए मेलामाइन के आयात पर निश्चित एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाए रखने की मांग की है।
आवेदक ने कहा कि वे पहले लगभग 15,000 मीट्रिक टन की उत्पादन क्षमता के साथ काम कर रहे थे। मेलामाइन की बढ़ती मांग और देश में मांग व् आपूर्ति के अंतर को देखते हुए उन्होंने विशाल निवेश के साथ मेलामाइन के उत्पादन के लिए 40,000 मीट्रिक टन का तीसरा संयंत्र स्थापित किया है। विस्तारित क्षमता के साथ, घरेलू उद्योग को मांग का लगभग 55-65 फीसदी मिल सकता था, लेकिन इसका हिस्सा 30 फीसदी से नीचे तक सीमित रह गया है। गौरतलब है कि चीन से मेलमाइन पर एंटी-डंपिंग शुल्क पहली बार वर्ष 2004 में लगाए गए थे।