जब फिनिश्ड प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ाने की जरूरत होती है तो फैक्ट्री के मालिक ‘बाजार में नई कीमतें स्वीकार नहीं किये जाने‘ की बात करते हंै। दूसरी तरफ कच्चे माल की कीमतें बढ़ रही है, तब भी मैन्युफैक्चरर्स कुछ कहने और इसे पास ऑन करने में असमर्थता महसूस करते हैं। इसके गहरे और दूरगामी असर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे बिना कोई लाभ के और हालात के विपरित होने के बावजूद कुछ भी करने में असमर्थ हों।
क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी ने इसके प्रभाव से बचने के लिए कोई मैकेनिजम विकसित नहीं किया और सिर्फ अपने सिमित नेटवर्क पर निर्भर है या मैन्युफैक्चरर्स की एकता ही कुछ कर सकती है? यह सर्वविदित है कि मांग और आपूर्ति से कीमतों और फायदे का निर्धारण होता है, लेकिन क्या कुछ और किया जा सकता है?
कच्चे माल जैसे फेनॉल, मेलामाइन, मेथेनॉल, और क्राफ्ट पेपर की बढ़ती कीमतों के अलावा लॉजिस्टिक की दिक्क्तें, सप्लाई में देरी, अंतर्राष्ट्रीय माल भाड़ा में तीन गुना वृद्धि; लेमिनेट, प्री लैम बोर्ड और एमडीएफ केटेगरी के इनपुट कॉस्ट बढ़ने के प्रमुख कारण है। इनमें से किसी केटेगरी में पिछले चार महीने से इनपुट कॉस्ट में कोई राहत नहीं है, फिर भी इसका प्रभाव एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड में स्पष्ट रूप से, लैमिनेट में मामूली, जबकि प्लाइवुड में ना के बराबर दिख रहा है। इसका कारण यह है कि एमडीएफ केटेगरी में लगभग सभी साथ होकर इसे लागू करने में सफल रहे, लेमिनेट भी कुछ हद तक सफल रहा, लेकिन प्लाइवुड में कच्चे माल की वजह से कीमतें बढ़ने और इसे पास ऑन करने की सुचना एक साथ मिलकर दी ही नहीं गई, ना ही साझा प्रयाश से इसे लागू कराया गया, इसलिए इसका असर नहीं दिखा। सभी फैक्ट्रियां एक साथ मिलकर घोषणा इसलिए भी नहीं कर सकी, क्योंकि यह सेगमेंट काफी बिखरा हुआ है। कितना अच्छा होता, जब इनकी समझ और एकता बरकरार होती!, यदि ऐसा होता तो प्लाइवुड इंडस्ट्री जो घटा अभी उठा रही है, उसे वे दरकिनार करने में सफल रहे होते!
बाजार में वाटर रेजिस्टेंस एमडीएफ की पैठ में बढ़ोतरी एक सच्चाई है, लेकिन इसके लिए भी प्लाइवुड इंडस्ट्री द्वारा क्वालिटी से समझौता करना और डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा बिना कोई मार्केटिंग प्रयास या क्वालिटी के लिए ठोस नीति अपनाए, आसानी से लाभ कमाना जिम्मेदार है। वैसी फैक्ट्रियां भी उतना ही दोषी है, जो अपने गुडविल और उठाये गये कदम का दूरगामी प्रभाव के बिना, कोई ख्याल किए आईएसआई का दुरूपयोग कर सस्ती और नकली बीडब्ल्यूआर या मेरिन ग्रेड प्लाइवुड दे रहे हैं। यही स्थित एमडीएफ में भी होगी, जहां अनेकों फैक्ट्रियां हर 0.2 एमएम पर एक अलग थिकनेस कैटेगरी बनाती जा रही है। डिस्ट्रीब्यूटर्स और मैन्युफैक्चरर्स द्वारा सस्ते उत्पाद बनाकर तेजी से फायदा कमाने की यही आदत एमडीएफ के गिरते स्तर के लिए जिम्मेदार होगा, क्यांेकि इंडस्ट्री और ट्रेड उत्पाद के गुडविल और बॉटम लाइन पर ध्यान देने के बजाय बड़े वॉल्यूम और टॉप लाइन पर जोर दे रहें हंै।
नया वर्ष 2021 आशावादी और जोश से भरा है। मुझे विश्वास है कि नए वित्त वर्ष के शुरूआत में ना सिर्फ कच्चे माल की कीमतें घटेगी, बल्कि क्वालिटी चाहने वाले डीलर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, और अच्छे ब्रांड जो क्वालिटी, एथिक्स और इनोवेशन के साथ वुड पैनल इंडस्ट्री के सभी सेगमेंट को खुशियां प्रदान करने के लिए तत्पर रहेंगे, उनके लिए नए अवसर भी बढ़ेंगें।